पितृ पक्ष २०१९ की शुरुआत १४ सितंबर से हो गई है और २८ सितंबर को श्राद्ध करने का आखिरी दिन होगा। इसके बाद नवरात्रि का पर्व (Navratri 2019) आरंभ हो जायेगा। पितृ पक्ष में तिथि अनुसार पितरों का तर्पण किया जाता है। यानी कि जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। परंतु पितरों की तिथि याद न हो तो उनका श्राद्ध कब करें ?
सर्वपित्री (सर्वपितृ) अमावास्या इस तिथिपर कुल के सर्व पितरों को उद्देशित कर श्राद्ध करते हैं । यदि वर्षभर में एवं पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर श्राद्ध करना संभव न हो, तो इस तिथिपर सबके लिए श्राद्ध करना अत्यंत आवश्यक है; क्योंकि पितृपक्ष की यह अंतिम तिथि होती है । इस दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है । पूर्वज जिनकी मृत्यु की तारीख हमे याद नहीं होती है या फिर हम उनका श्राद्ध करना भूल जाते हैं तो हम भूले बिसरे सभी पितरों का श्राद्ध सर्वपित्री अमावस्या को कर सकते है ।
इस दिन प्रायः सर्व घरों में कम से कम एक ब्राह्मण को तो भोजन का निमंत्रण दिया ही जाता है । उस दिन मछुआरे, ठाकुर, बुनकर, कुनबी इत्यादि जातियों में पितरों के नाम से चावल का अथवा आटे का पिंड दिया जाता है और अपनी ही जाति के कुछ लोगों को भोजन कराया जाता है । इनमें इस दिन ब्राह्मणों को सीधा (अन्न सामग्री) देने की भी परंपरा प्रचलित है ।
श्राद्धकर्म के विषय में विस्तृत जानकारी यहां पढें : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism/rituals/shraddha