पाकिस्तान के सुकुर से जान बचाकर गुलशेर अपने परिवार के साथ भारत तो आ गए, परंतु उनकी परेशानियॉं समाप्त होने का नाम नहीं ले रही। इसी साल १४ मई को देहली आए गुलशेर के तीन बच्चों को स्कूल में एडमिशन नहीं मिल रहा। गुलशेर अपनी फरियाद लेकर अधिकारियों को कई बार मिल चुके हैं, परंतु किसी को उनके बच्चों के भविष्य के लिए उन्हे मदत नहीं की है।
फिलहाल देहली के छतरपुर इलाके के भाटी माइन्स में गुलशेर अपने बच्चों के साथ रहते हैं। यहाँ के एक सरकारी स्कूल ने उनके ३ बच्चों को यह कह कर निकाल दिया गया कि वह उम्र में बडे हैं। बच्चों के नाम मूना कुमारी (१८ वर्ष), संजिना बाई (१६ वर्ष), और रवि कुमार (१७ वर्ष) है। इन्हें कक्षा नौवीं और दसवीं में दाखिला लेने की दरकार है, परंतु स्कूल के अनुसार उम्र से अधिक होने के कारण इन्हें एडमिशन नहीं दिया जा सकता। बच्चों के पास पाकिस्तान से स्कूल छोडने के प्रमाण-पत्र और एनरोलमेंट कार्ड भी हैं।
बच्चे अपने माता-पिता के साथ इसी साल १४ मई पाकिस्तान से भारत आए हैं। इन्हें बिना किसी मशक्कत के ५ जुलाई को स्कूल में एडमिशन मिल गया और ८ जुलाई से क्लास अटेंड करने की भी अनुमति दे दी गई। परंतु अचानक १४ सितंबर २०१९ को बडी उम्र का हवाला देकर इन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।
3 Pakistani Hindu Refugee students denied admission in class 9 in Delhi Govt School Bhatti Mines alleging overage. All these students have passed class VIII in 2018 from school at Town Ship Sukkur, Pakistan. They feel harassed both by Pakistan and India. Part 1 pic.twitter.com/eGgd7Rb0mn
— Ashok Agarwal (@socialjurist) September 19, 2019
ऑपइंडिया के अनुसार, बच्चों के पिता गुलशेर ने बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने पहले कहा कि बच्चों का दाखिला होगा। परंतु एक महीने बाद उम्र ज्यादा बताकर एडमिशन देने से मना कर दिया। बच्चों के पिता की मानें तो पाकिस्तान के स्कूल से मिले दस्तावेज भी वह स्कूल को दे चुके हैं।
3 Pakistani Hindu Refugee students denied admission in class 9 in Delhi Govt School Bhatti Mines alleging overage. All these students have passed class VIII in 2018 from school at Town Ship Sukkur, Pakistan. They feel harassed both by Pakistan and India. Part 2 complete pic.twitter.com/7JAYw5aVu6
— Ashok Agarwal (@socialjurist) September 19, 2019
घर में बैठे-बैठे उनके बच्चों का कीमती समय बर्बाद हो रहा है। वो इस संबंध में इलाके के विधायक से लेकर जिलाधिकारी तक से मिल चुके हैं, परंतु कहीं से कोई मदद नहीं मिली। अधिकारियों मदद करने की बजाए उन्हें देहली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मिलने की सलाह दी। गुलशेर ने बताया कि कई बार प्रयास करने के बावजूद वे सिसोदिया से मिल नहीं पाए।
गुलशेर ने बताया कि उनका पूरा परिवार इससे परेशान हैं। स्कूल प्रशासन रोज मामले को टाल रहा है। उनके मुताबिक वह अपने बच्चों को किताब-कॉपियाँ और ड्रेस-जूते सब दिलवा चुके हैं, परंतु स्कूल अब कह रहा है कि वह बच्चों को स्कूल में नहीं पढ़ा सकते। इस परिस्थिति में न केवल वो बल्कि उनके बच्चे भी मानसिक रूप से प्रताडित हो रहे हैं।
थक हार के गुलशेर की सारी उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल पर टिकी है। ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अग्रवाल ने इस संबंध में देहली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को पत्र लिखा है।
पत्र में अग्रवाल ने पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति से अवगत करवाते हुए इस मामले पर मुख्यमंत्री से इस मामले पर गौर करने की अपील की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए बनी असहज स्थिति के कारण बहुत से हिंदू भारत की ओर प्रवास कर रहे हैं। वे यहाँ शरणार्थियों की भाँति रह रहे हैं और उनकी नागरिकता की अर्जी केंद्र सरकार के विचार में है। इन हिंदू परिवारों में बहुत से स्कूल जाने वाले बच्चे हैं जिन्हें अपनी आगे की पढ़ाई चालू करने के लिए सरकारी स्कूल में दाखिला लेने की आवश्यकता है।
अपने पत्र में उन्होंने पाकिस्तानी बच्ची मधु का भी उल्लेख किया है। जिसको कुछ समय पहले भारत आकर इन्हीं परिस्थितियों का सामना करना पडा था, परंतु पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मदद से उसे छतरपुर के भाटी माइन्स स्कूल में कक्षा नौंवीं में दाखिला मिल गया था, जबकि उस समय मधु के पास कोई दस्तावेज नहीं थे। आज मधु उसी स्कूल में बाहरवीं की छात्रा है।
वकील अशोक अग्रवाल ने अपने पत्र में इस बात पर भी मुख्यमंत्री का ध्यान दिलवाया है कि भारत के संविधान के अनुसार इन बच्चों का आर्टिकल १४ और २१ के तहत शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार हैं। जबकि स्कूल ने इन्हें दाखिला न देकर इनके अधिकारों का हनन किया है।