नाशिक का सिंहस्थ कुंभपर्व सुचारू रूप से सम्पन्न होने के लिए हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की गई याचिका का प्रकरण
मुंबई : नाशिक और त्र्यंबकेश्वर में प्रति १२ वर्षोंमें होनेवाला सिंहस्थ कुंभपर्व सुचारु रूप से सम्पन्न होने के लिए हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रविष्ट की गई याचिका पर मुंबई उच्च न्यायालय ने सरन्यायाधीश मोहीत शहा और बर्जीस कुलाबावाला के खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई । गत सुनवाई के समय खंडपीठ ने केंद्रशासन, राज्यशासन, नाशिक महानगरपालिका और अन्य शासकीय विभाग को अपनी बात प्रस्तुत करने का आदेश दिया था उसके अनुसार नाशिक महानगरपालिका ने अपना सत्यप्रतिज्ञापत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया । इस सुनवाई के समय नाशिक महानगरपालिका के अधिवक्ताने बताया कि कुंभपर्व के लिए पर्याप्त भूमि नहीं है और २६९ एकड भूमि आवश्यक है । उसपर निर्माण कार्य होना है । १५ जुलाई २०१५ में कुंभपर्व प्रारम्भ होनेवाला है । यह २६९ एकड भूमि देने के लिए राज्यशासन से प्रतिसाद नहीं मिला है । जिनकी भूमि कुंभ के लिए राज्यशासन ने ली हैं, वे पुनः मुंबई उच्च न्यायालय में पहुंचे हैं । इन सब का पक्ष सुनने के पश्चात उच्च न्यायालय ने शासन की भूमि लेने की प्रक्रिया स्थगित की है । इस सब के कारण महानगरपालिका पर अत्यधिक तनाव है ।
इस प्रकरण में खंडपीठ ने केंद्रशासन, राज्यशासन, नाशिक महानगरपालिका और अन्य शासकीय विभागोंको १२ जनवरी तक अपना कहना लिखित स्वरूप में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है । इस याचिका की आगामी सुनवाई १९ जनवरी २०१५ को होगी । जुलाई २०१५ से नाशिक सिंहस्थ कुंभपर्व प्रारम्भ हो रहा है । यह कुंभपर्व योग्य पद्धति से सम्पन्न होने के लिए प्रशासकीय अंदाजपत्रक ४ सहस्र १०५ कराेड रुपयोंका होते हुए भी केंद्रशासन ने इस कुंभ के लिए एक रुपए की भी राशि नहीं दी है तथा राज्यशासन ने निधि देना मान्य करते हुए भी पर्याप्त राशि नहीं दी है । वर्ष २००३ में केंद्रशासन से १०० करोड रुपयोंकी राशि दी गई थी; परन्तु इस वर्ष राशि नहीं दी गई है । इस प्रकरण में आन्दोलन कर, शासन को पत्र लिखने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात