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अयोध्या, मथुरा, काशी सहित मंदिर तोड कर बनाई गई ११ मस्जिदें हिन्दुओं को लौटाओ : वसीम रिजवी

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने राम मंदिर को लेकर बडी बात कही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या की विवादित जमीन हिन्दुओं को दे दी जानी चाहिए। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रिजवी ने कहा कि न केवल अयोध्या नहीं बल्कि मथुरा और कशी सहित उन सभी ११ मस्जिदों को हिन्दुओं को सौंप दी जानी चाहिए, जो मुगल बादशाहों ने मंदिर तोड कर बनवाए थे। इसमें दिल्ली की कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद सहित गुजरात की मस्जिदें भी शामिल हैं। रिजवी के इस बयान से सुन्नी वक्फ बोर्ड को तगडा झटका लग सकता है, जो अयोध्या मामले में मुस्लिमों की आेर से केस लड रहा है।

ये इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी इस बात का डर है कि अयोध्या में हिन्दुओं के हक में फैसला जाने के बाद अब अन्य मस्जिदों को लेकर भी विवाद खडा हो सकता है, जहाँ इस्लामी आक्रांताओं ने मंदिरों को तोड कर मस्जिदें बनाईं। भारत के कई बडे मस्जिदों के बारे में पता चलता है कि उनको बनवाने के लिए वहाँ स्थित मंदिर को तबाह कर दिया गया। इसीलिए, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जिन शर्तों के आधार पर राम मंदिर वाली जमीन पर दावा छोडने की बात कही थी, उसमें एक शर्त ये भी थी कि हिन्दू पक्ष बाकी के मस्जिदों पर दावा नहीं ठोकेंगे।

वसीम रिजवी ने दावा किया कि अयोध्या की विवादित जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति है ही नहीं, वो शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इसके पीछे तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि बाबर के जिस सेनापति ने इस मस्जिद को बनवाया था, वो एक शिया मुसलमान था। यूपी सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने भी विवादित जमीन पर दावा किया था लेकिन बाद में उसने राम मंदिर के पक्ष में अपना दावा वापस ले लिया। अब बोर्ड ने फिर से वहाँ पर राम मंदिर बनवाए जाने की वकालत की है। यूपी में संपत्ति और आय के स्रोत के मामले में शिया और सुन्नी, दोनों ही बोर्ड योगी सरकार की रडार पर है।

रिजवी ने बताया कि शिया बोर्ड की आेर से सारे कागजात सुप्रीम कोर्ट को सौंपे जा चुके हैं। वर्ष २०१० में इलाहबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बाँटने का आदेश दिया था। इसमें रामलला विराजमान, निर्मोही अखाडा और मुस्लिम पक्ष के बीच जमीन बाँटने को कहा गया था। शिया बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जो जमीन मुस्लिमों के पक्ष में आई है, वो शिया वक्फ बोर्ड को नहीं चाहिए। एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि ये जमीन हिन्दुओं को दे दी जाए।

राम मंदिर मामले में ६ अगस्त को शुरू हुई नियमित सुनवाई अब समाप्त हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की ५ सदस्यीय पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। १६ अक्टूबर को सुनवाई समाप्त होने के बाद कहा गया था कि २३ दिनों के अंदर फैसला सुनाया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर में रिटायर होने वाले हैं, अतः नियमानुसार उन्हें रिटायरमेंट से पहले ही फैसला सुनाना होगा। जहाँ हिन्दुओं को फैसला अपने पक्ष में आने की उम्मीद है, मुस्लिम पक्ष ने पहले ही धमकी भरे अंदाज में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट फैसला देते समय भविष्य का भी ध्यान रखे।

स्त्रोत : ऑपइंडिया 

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