हाजीपुर : बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने यहां आयोजित ‘संत समागम’ में कहा कि बाबरी मस्जिद को ढहाकर हिंदुओं ने आपसी एकता दिखाई थी। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह ‘घर वापसी’ के मुद्दे में दखल न दे। उन्होंने हिंदुओं से एकता बनाए रखने का आह्वान भी किया। योगी ने ‘माला के साथ भाला’ (प्रार्थना के साथ युद्ध) का मंत्र देते हुए कहा कि अगर १५ लाख संत ६.२३ लाख गांवों में जाने लगें तो मुट्ठी भर ईसाई धर्मगुरु और मौलवी हिंदुओं का धर्मांतरण नहीं कर सकेंगे।
योगी ने मठों और मंदिरों के अध्यक्षों से अपील की कि वे गांव-गांव जाकर हिंदुओं को एकजुट करें। उन्होंने पूछा- जब नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट किया गया तो हमने इसकी परवाह क्यों नहीं की? हमने यह जानने की कोशिश क्यों नहीं की कि नांलदा विश्वविद्यालय को किसने नष्ट किया? योगी ने कहा कि संतों ने लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया है। हमें अपनी ताकत को पहचानना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि जब हिंदू अपना धर्म बदलते हैं, तो विपक्ष चुप्पी साध लेता है, लेकिन वह घर वापसी का विरोध करता है।
उन्होंने कहा कि विदेश के लोगों ने कृष्ण की सीख अपनाई -‘दुष्टों को दंड दो, भले ही वे तुम्हारे अपने हों’। लेकिन भारतीयों ने यीशु की सीख अपनाई कि अगर कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी सामने कर दो। योगी ने कहा, “यह समय द्रोणाचार्य बनने का है, यानी शास्त्र के साथ शस्त्र उठाने का भी है।”
बिहार में यह संत समागम केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद पहली बार हुआ है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और लोक जनशक्ति पार्टी के राम विसाल पासवान भी संत समागम में हिस्सा लेंगे। समागम तीन दिनों तक चलेगा। योगी ने वहां जुटे लोगों को शपथ दिलाई कि वे जबरदस्ती कराए जाने वाले धर्मांतरण का विरोध करेंगे, लेकिन उन हिंदुओं का स्वागत करेंगे जिनकी घर वापसी हुई है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन जगहों पर हिंदुओं की संख्या कम हो रही है, वहां राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां जोरों पर हैं। इसलिए देश की संस्कृति की रक्षा के लिए हिंदुओं का धर्मांतरण रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो हिंदू रास्ता भटककर मुस्लिम या ईसाई बन गए हैं, हमें उनकी घर वापसी का स्वागत करना चाहिए।
स्रोत : जागरण