पूर्वी जर्मनी के शहर ड्रेसडेन में ‘पश्चिम के इस्लामीकरण’ के ख़िलाफ़ करीब १०,००० लोगों ने जुलूस निकाला है ।
इस प्रदर्शन के ख़िलाफ़ करीब ५,००० लोगों ने एक और प्रदर्शन किया । हालाँकि इस दौरान किसी अप्रिय घटना की ख़बर नहीं है ।
जर्मनी की चांसलर एंगेला मैर्कल ने देशवासियों को आगाह किया है कि वे चरमपंथियों के बहकावे में आने से बचें ।
बर्लिन में मैर्कल ने कहा, “जर्मनी में लोगों को एक जगह जमा होने की आज़ादी है, लेकिन सभी को सचेत रहने की ज़रूरत है कि कहीं प्रदर्शन आयोजित करने वाले आपका फ़ायदा तो नहीं उठा रहे हैं ।”
शरिया क़ानून का विरोध
पश्चिम के इस्लामीकरण के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन को ‘पेगिडा’ नाम दिया गया है ।
कब-कब हुआ इस्लाम का ‘अपमान’?
पेगिडा मतलब “पैट्रियोटिक यूरोपियन्स अगेंस्ट द इस्लामाइजेशन ऑफ द वेस्ट” यानी ऐसे यूरोपीय लोग जो पश्चिम के इस्लामीकरण के ख़िलाफ़ हैं ।
‘पेगिडा’ आंदोलन की जन्मस्थली ड्रेसडेन है जहां एक हफ्ते पहले भी बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था ।
ड्रेसडेन से बीबीसी संवाददाता जेनी हिल बताती हैं कि हज़ारों की संख्या में हाथों में जर्मनी का झंडा थामे लोगों ने मोमबत्तियों और बैनरों के साथ जर्मनी के कथित इस्लामीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया ।
इसी तरह के एक बैनर पर लिखा था, “यूरोप में शरिया क़ानून नहीं चलेगा !”
आप्रवासन मुद्दा
बीबीसी संवाददाता का मानना है कि अब ये स्पष्ट होता जा रहा है कि ये विरोध प्रदर्शन तेज़ी से हो रहे आप्रवासन और शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के ख़िलाफ़ हैं ।
जर्मनी में आप्रवासन का मुद्दा इन दिनों बेहद गर्म है. सीरिया और इराक़ में जारी संघर्ष के कारण जर्मनी में बड़ी संख्या में लोगों ने शरण ली है ।
यूरोप में किसी भी दूसरे देश की मुक़ाबले जर्मनी ज़्यादा शरणार्थियों को शरण देता है ।
एक आकलन के मुताबिक २०१३ में जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या १.२७ लाख थी, २०१४ में इसके बढ़कर दो लाख होने की संभावना है ।
स्रोत : बीबीसी हिंदी