त्रिपुरा में पबियाछारा के कुम्हारघाट होली क्रॉस स्कूल में जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने से नौवीं कक्षा का एक छात्र परेशान था। इस बात को लेकर स्कूल मैनेजमेंट का उसने विरोध भी किया था। इस बात को लेकर छात्र को हॉस्टल में प्रताडित किया गया, जिसके कारण जीबीपी अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक छात्र की पहचान हैप्पी देबबर्मा के रूप में हुई है।
१५ वर्षीय छात्र देबबर्मा की मौत ने त्रिपुरा सरकार को इस मामले में न्यायिक जांच की ओर कदम बढाने को लेकर विवश कर दिया है। बता दें कि छात्र की मौत उसे बुर तरह से किए गए प्रताडना के चलते आई अंदरूनी चोट की वजह से हुर्इ है।
इस मामले में होली क्रॉस स्कूल के वार्डन बुलचुंग हलम के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। बता दें कि वार्डन बुलचुंग छात्र देबबर्मा को हमेशा परेशान किया करता था। २५ सितम्बर को वार्डन ने हैप्पी के कमरे में घुसकर उसे इतनी लात मारी कि उसे गंभीर चोटें आईं और इलाज के दौरान उसकी मौत भी हो गई।
इस मामले में पुलिस ने ईसाई स्कूल के पादरियों और स्कूल में हॉस्टल के वार्डन को मृतक छात्र की माँ की तहरीर पर गिरफ्तार कर लिया है। हालाँकि पादरी जो पॉल और फादर अल्फ्रेड को बेल दे दी गई मगर बुलचुंग और फादर लेंसी डी सूजा को हिरासत में लिया गया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, छात्र हैप्पी तमाम गरीब बच्चों का जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के खिलाफ था। बुल्चुंग द्वारा जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करने का हैप्पी ने विरोध किया। गुस्साए बुलचुंग ने इस पर हैप्पी को बुलाया और एक ऐसे कोने में लेकर गया जो किसी भी CCTV की नजर में नहीं है। इसके बाद बुलचुंग ने छात्र देबबर्मा को पीटना शुरू कर दिया। इस दौरान हैप्पी के सीने में बुलचुंग ने इतनी जोर से मुक्का मारा कि वह वहीं गिर गया। इतने से बुलचुंग का मन नहीं भरा तो उसने हैप्पी के ऊपर चढकर उसको मारना शुरू कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की शिकायत जब फादर लेंसी डी सूज़ा तक पहुंची तो उसने मारपीट की इस घटना को देखते हुए हैप्पी को प्राथमिक इलाज दिलाकर यह बात किसी को नहीं बताने की भी चेतवानी दी।
मामले को संभालने के लिए स्कूल प्रशासन ने हैप्पी को उसका आखिरी एग्जाम होते ही छुट्टियों के लिए उसकी माँ के पास घर भेज दिया। घर पहुँचे हैप्पी को तेज बुखार और सीने में दर्द की शिकायत हुई। इस पर जब घर वालों ने २९ सितम्बर को एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया मगर उसके बावजूद कोई आराम मिलता नहीं दिखा तो हैप्पी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिला अस्पताल की बजाय छात्र के परिजनों से उसे अगरतला के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। जाँच में सामने आया कि हैप्पी के श्वास प्रणाली यानी रेस्पिरेटरी सिस्टम में गंभीर चोटें आई हैं, जिसके चलते उसके फेफडे और दिल दोनों की हालत बेहद नाज़ुक है।
अपने आखिरी क्षणों में हैप्पी ने खुद पर बीते ज़ुल्म की पूरी कहानी अपने घर वालों को सुनाई। उसने बताया कि कैसे स्कूल में पादरी और वार्डन के चलते उसे कितनी परेशानी और दिक्कत का सामना करना पडा। हैप्पी की माँ ने बाद में बताया कि अगर उसे वहाँ फिर भेजा जाता तो वह उन परिस्थितियों में जी भी नहीं पाता।
आईसीडीएस में काम करने वाली हैप्पी की माँ ने पुलिस को बताया, “धर्मान्तरण के लिए दबाव बनाए जाने से नाखुश रहने वाले बच्चों के संबंध में बात करते हुए हॉस्टल का वार्डन स्कूल के फादर से झूठ बोलता था। पिछले साल भी एक लडकी ने इसी मामले को लेकर आत्महत्या की थी।”
एक जाँच अधिकारी ने बताया “हैप्पी की मौत प्राइवेट स्कूलों के चरित्र पर कई तरह के सवाल उठाती है खास कर वह जो मिशनरी इंस्टीट्यूशनों द्वारा संचालित हैं। पिछले साल लाहरी देबबर्मा नाम की एक लडकी ने आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद राज्य सरकार ने सीआईडी जाँच के भी आदेश दिए थे मगर कुछ भी सामने नहीं आया।”
राज्य के शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ सिलसिलेवार शिकायतें आ रही हैं। सरकार एक ऐसी शिक्षा नीति तैयार कर रही है, जिससे इस तरह की घटनाओं पर रोकथाम की जा सके। रिपोर्ट्स के अनुसार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लाब कुमार देब ने जबरन धर्मंतारण जैसी घटनाओं के मामलों के चलते इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। राज्य सरकार ने इस मामले में न्यायिक जाँच कराने का फैसला किया है।
स्त्रोत : ऑपइंडिया