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संयुक्त राष्ट्र महासभा में इमरान खान के ४७ मिनट के झूठ को भारत ने ६ मिनट में बेनकाब कर दिया !

संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर पंतप्रधान मोदी पहले ही भाषण दे चुके थे लिहाजा भारत ने इमरान खान के झूठ को बेनकाब करने के लिए ‘राइट टू रिप्लाई’ का सहारा लिया !

न्यूयॉर्क : अमेरिका के न्यूयॉर्क में शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भाषण देने पहुंचे, तो उन्होंने भारत के खिलाफ एक के बाद एक झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए ! ४७ मिनट के भाषण में उन्होंने कश्मीर से लेकर बालाकोट में आतंकी हमला, हर मुद्दे पर दुनिया को झूठी कहानी बतानी शुरू कर दी ! संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर पंतप्रधान मोदी पहले ही भाषण दे चुके थे। लिहाजा भारत ने इमरान खान के झूठ को बेनकाब करने के लिए ‘राइट टू रिप्लाई’ का सहारा लिया। सिर्फ ६ मिनट के भाषण में विदेश मंत्रालय की फर्स्ट सेक्रेटरी विदिशा मैत्रा ने इमरान खान को बेनकाब कर दिया !

आइए, एक नजर डालते हैं आई विदिशा मैत्रा के भाषण पर, जिसने पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी  . . . .

ये इमरान की हेट स्पीट थी . . . विदिशा मैत्रा ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, ‘ऐसा माना जाता है कि, इस मंच से बोले गए हर शब्द का इतिहास से वास्ता है ! दुर्भाग्य से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से हमने आज जो भी सुना वो दोहरे अर्थों में दुनिया का निर्मम चित्रण था। हम बनाम वह, अमीर बनाम गरीब, उत्तर बनाम दक्षिण, विकसित बनाम विकासशील, मुस्लिम बनाम अन्य था। एक ऐसी पटकथा जो संयुक्त राष्ट्र में विभाजन को बढ़ावा देती है ! मतभेदों को भड़काने और नफरत पैदा करने की कोशिश जिसे सीधे तौर पर ‘घृणा भाषण’ कहा जा सकता है !’

ये कैसी भाषा ?

‘कूटनीति में शब्द मायने रखते हैं ! ‘तबाही’, ‘खून-खराबा’, ‘नस्लीय श्रेष्ठता’, ‘बंदूक उठाओ’ और ‘अंत तक लड़ाई’ करो जैसे वाक्यांशों का इस्तेमाल मध्यकालीन मानसिकता को दर्शाता है न कि, २१वीं सदी की दूरदृष्टि को !

इतिहास याद दिलाया

हम आपसे अनुरोध करेंगे कि, आप इतिहास की अपनी समझ को ताजा करें ! साल १९७१ में पाकिस्तानद्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ किए क्रूर नरसंहार और उसमें लेफ्टिनेंट जनरल ए ए के निआजी की भूमिका को न भूलें ! एक ऐसी कड़वी सच्चाई जिसकी बांग्लादेश की माननीय प्रधानमंत्री ने आज दोपहर को इस महासभा को याद दिलाई !

आतंकियों के समर्थक

भारत के लोगों को अपने लिए बोलनेवाले किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं है ! कम से कम उनकी तो बिल्कुल नहीं, जिन्होंने नफरत की विचारधारा से आतंकवाद का कारोबार खड़ा किया है ! कुछ सवाल है जिस पर पाकिस्तान प्रस्तावित सत्यापन के अग्रदूत के रूप में जवाब दे सकता है और वह है कि, क्या खान ‘न्यूयॉर्क शहर से इस बात से मना कर पाएंगे कि, वह ओसामा बिन लादेन के खुलेआम समर्थक थे ?’ क्या पाकिस्तान इस बात की पुष्टि कर सकता है कि, संयुक्त राष्ट्रद्वारा घोषित १३० आतंकवादी और २५ आतंकवादी संगठन उसके यहां नहीं है ?’

आतंकियों को पेंशन

क्या पाकिस्तान यह मानेगा कि, वह दुनिया में एकमात्र देश है जो संयुक्त राष्ट्र की अलकायदा और इस्लामिक स्टेट प्रतिबंध सूची में शामिल लोगों को पेंशन देता है !’ क्या पाकिस्तान बता सकता है कि, यहां न्यूयॉर्क में उसके प्रमुख बैंक हबीब बैंक को आतंकवाद के वित्त पोषण पर लाखों डॉलर के जुर्माने के बाद अपनी दुकान बंद करनी पड़ी ? क्या पाकिस्तान इससे इनकार करेगा कि, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल ने देश को २७ प्रमुख मानकों में से २०  से अधिक के उल्लंघन के लिए नोटिस दिया ?

अल्पसंख्यकों को करते हैं परेशान

पाकिस्तान ऐसा देश है जहां १९४७ में २३ फीसदी रहे अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या घटकर आज तीन फीसद रह गई है और उसने ईसाइयों, सिखों, अहमदियों, हिंदुओं, शियाओं, पश्तूनों, सिंधियों और बलोचों पर कठोर ईशनिंदा कानून लगाए, व्यवस्थित मुकदमें चलाए, घोर उल्लंघन किए और जबरन धर्म परिवर्तन किया ! पाकिस्तान ने आतंकवाद और घृणा भाषण को बढ़ावा दिया वहीं भारत जम्मू कश्मीर में विकास की मुख्यधारा के साथ आगे बढ़ रहा है !

स्त्रोत : न्यूज 18

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