चैत्र कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११४
हिंदुओ, समर्थ हिंदुनिष्ठ संगठन इसके विरोधमें कुछ नहीं करेंगे । इसलिए आपही ऐसे नियमोंमें परिवर्तन करने हेतु कृत्यशील हों !
आलप्पुळ (केरल) – विविध प्रलोभनोंमें आकर धर्मपरिवर्तित हुए कुछ हिंदू परिवार मातृधर्ममें पुनः वापिस आनेके लिए उत्सुक हैं । कुट्टनाडु तहसीलमें ईसाई धर्मपरिवर्तित कुछ हिंदू परिवारोंने पुनः मातृधर्ममें आनेकी सिद्धता की है ।
१. अपने पूर्वजोंको अयोग्य संदेश देकर एवं विविध प्रलोभन दिखाकर ईसाईयोंद्वारा धर्मपरिवर्तित किया गया है । तब भी वे एवं उनकी पीढियोंको आज भी पुलयन ईसाई एवं चेरम्मर ईसाई (दलित ईसाई) के रूपमें पहचाना जाता है । अत: व्यथित अगली पीढीद्वारा मातृधर्ममें वापिस आनेकी इच्छा व्यक्त होना शुभ सूचना है । इतनाही नहीं, आजकल ५-६ व्यक्तियोंने आचारके अनुसार हिंदू धर्ममें प्रवेश किया है । परंतु हिंदुओंद्वारा कहा जा रहा है कि इस पुनर्प्रवेशके लिए केरल सरकारके नियमोंकी अडचनें आ रही हैं ।
२. धर्मपरिवर्तित अनेक परिवार प्रलोभनों एवं धमकियोंको दुतकारकर पुनः हिंदू धर्ममें प्रवेश करनेकी सिद्धतामें हैं; परंतु कुछ समय पूर्व ही मातृधर्ममें लौटे कुरुवडी पुदुवल् निवासी शाजी (आयु ४१ वर्ष) ने बताया कि वैधानिक कार्यवाहीके लिए होनेवाला व्यय एवं कुछ विषयमें अज्ञानताके कारण इसमें अडचनें आ रही हैं ।
३. धर्मपरिवर्तन करनेकी इच्छा करनेवाले व्यक्तिको प्रार्थनापत्र भरकर देना पडता है । यह प्रार्थनापत्र शासकीय लेखनसामग्री विभागमें मिलता है । धर्मपरिवर्तन करनेवाले व्यक्तिके लिए कोई एक देवस्थानके कार्यकारी मंडल अथवा क्षेत्राधिकारीद्वारा ऐसा प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है कि वह सदैव देवालयमें आता था एवं हिंदू आचार अनुष्ठानका पालन करता था । (क्या हिंदुओंको ईसाई धर्ममें परिवर्तित करते समय ऐसे कोई नियम हैं ? हिंदुओंके देशमें धर्मपरिवर्तित हिंदुओंको पुनः स्वधर्ममें लेनेके लिए कठिन नियम बनानेवाले हिंदूद्रोही राजनेता हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अनिवार्य करते हैं ! – संपादक)
४. मातृधर्ममें स्वीकार कर रहे हैं, इस प्रकारका योग्य हिंदू संगठनका प्रमाणपत्र आवश्यक है । शासकीय समाचारपत्रोंमें धर्मपरिवर्तन करनेके विषयमें विज्ञापन छपवानेकी आवश्यकता है । विज्ञापनके लिए १ सहस्र ५०० रुपए व्यय होते हैं । इसके अतिरिक्त अन्य व्यय मिलाकर एक व्यक्तिको मातृधर्ममें वापिस आने हेतु ५ सहस्र रुपयोंतककी राशि व्यय करनी पडती है । निर्धन परिवारोंके लिए यह व्यय करना संभव नहीं है । इसलिए वे इस विषयमें आनाकानी करते हैं । (गरीब धर्मपरिवर्तित हिंदू पुनः स्वधर्ममें न जाने पाएं, इसलिए ही ये नियम बनाए गए हैं । समर्थ हिंदुनिष्ठ संगठनोंको चाहिए कि यह व्यय कर धर्मपरिवर्तित हिंदुओंको पुनः स्वधर्ममें लाने हेतु प्रयास करें ! – संपादक)
५. वास्तवमें यह धर्म परिवर्तन नहीं, अपितु मातृधर्ममें वापिस आनेकी प्रक्रिया है । इसलिए इसपर धर्मांतर प्रक्रियाके विधि-निषेध लगाना कहांतक उचित है, ऐसा प्रश्न भी उपस्थित हुआ है । इस अवसरपर शाजीद्वारा मांग की गई है कि हिंदू संगठनोंद्वारा उन्हें सीधे मातृधर्ममें वापिस आनेका अवसर उपलब्ध करवाया जाए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात