बेंगलूरू : नई पीढ़ी के प्रक्षेपण यान के विकास और अंतरिक्ष से धरती पर लौटने की तकनीक हासिल करने के लिए इसरो गुरूवार को सफल परीक्षण किया। नवीनतम पीढ़ी केप्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-३ का पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण गुरूवार सुबह ९.३० बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया जो पूरी तरह सफल रहा। इस के तहत “कू्र मॉडल एटमॉसफेयरिक री-एंट्री एक्सपेरीमेंट” (केयर) का भी परीक्षण हो रहा है। यान अपने साथ एक मानव रहित क्रू मॉड्यूल भी साथ लेकर गया है। इस परीक्षण में अंतरिक्ष से लौटने की तकनीक का भी परीक्षण किया जा रहा है।
समुद्र से १२६.१६ किमी ऊंचा
समुद्र से १२६.१६ किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपण के ३२५.५२ सेकंड बाद कू्र मॉडल रॉकेट से अलग हो जाएगा। इसके बाद विशेष तरह से निर्मित पैराशूट मॉड्यूल की मदद से अंडमान निकोबार द्वीप में इंदिरा गांधी प्वाइंट से लगभग सौ किमी की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में उसे आसानी से उतार लिया जाएगा। बाद में तटरक्षकों द्वारा उसे निकाल लिया जाएगा। अधिकारी ने बताया, “श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने और बंगाल की खाड़ी में गिरने की इस पूरी प्रक्रिया में करीब २० से ३० मिनट का समय लगेगा।”
१५५ करोड़ का मिशन
रॉकेट पर १४० करोड़, क्रू मॉड्यूल पर १५ करोड़ का खर्च आया। ६३० टन वजन का यह यान करीब ३.६५ टन वजनी कू्रमॉड्यूल लेकर जा रहा है। यह इसरो का यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना का हिस्सा है।
स्रोत : पत्रिका