मडगांव (गोवा) : हिन्दू जनजागृति समिति के गोवा राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी ने ऐसा प्रतिपादित किया कि, महिषासुरमर्दिनी देवी क्षात्रतेज का प्रकट रूप हैं, इसे ध्यान में लेकर स्वयं में विद्यमान क्षात्रतेज को जागृत करना ही शौर्यजागरण करना है और यह समय की मांग भी है ! फातोर्डा के दुर्गापूजा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित दशहरा महोत्सव में वे बोल रहे थे।
१. डॉ. मनोज सोलंकी ने दशहरा उत्सव का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए त्रेतायुग में श्रीरामद्वारा रावण पर प्राप्त की गई विजय, द्वापरयुग में पांडवोंद्वारा किया गया शक्तिपूजन, शमीपूजन का महत्त्व, अपराजिता पूजन, सीमोल्लंघन एवं शस्त्रपूजन के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी।
२. डॉ. सोलंकी ने आगे कहा, ‘‘आजकल माता-बहनों पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में लेते हुए सभी हिन्दू बहनों ने स्वसंरक्षण प्रशिक्षण लेना समय की मांग है ! स्वसंरक्षण और राष्ट्र-धर्म की रक्षा हेतु, साथ ही मनुष्य में विद्यमान शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता को दूर कर उसमें विद्यमान आंतरिक आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करना आवश्यक है !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात