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धार्मिक एवं लक्षित हिंसा प्रतिबंधक विधेयक संसदमें प्रस्तुत होनेकी संभावना

चैत्र अमावस्या , कलियुग वर्ष ५११४

 

 

हिंदुओ, धर्मांधोंको छोडकर आपको दंगाई सिद्ध करनेवाले विधेयकका विरोध करें !

 

नई देहली, ८ अप्रैल – धार्मिक एवं लक्षित हिंसा प्रतिबंधक विधेयक संसदमें प्रस्तुत किए जानेकी संभावना है । इस विधेयकसे केंद्र सरकारको देशमें धार्मिक दंगोंके कारण किसी एक क्षेत्रको संवेदनशील भागके रूपमें घोषित करनेका अधिकार दिया जाएगा तथा उस विशेष क्षेत्रमें राज्यकी विनतीके बिना ही प्रत्यक्ष (साक्षात) केंद्रीय दल भेजनेका अनुबंध है । इसलिए इस विधेयकका विवादग्रस्त भाजपाके साथ कांग्रेसके अतिरिक्त अन्य पक्षोंद्वारा विरोध हो रहा है ।

१. २२ अप्रैलसे पुनः संसदका अधिवेशन आरंभ होनेवाला है । इससे पूर्व विवादग्रस्त विधेयकका प्रारूप गृह मंत्रालयद्वारा मंत्रीमंडलको भेजा जाएगा । वैधानिक प्रक्रियाके लिए अधिनियम मंत्रालयको भी भेजा जाएगा ।

२. इस विधेयकके कारण राज्यकी सुव्यवस्थामें केंद्रसरकारका हस्तक्षेप बढेगा, ऐसी आलोचना भाजपाके साथ कांग्रेसके अतिरिक्त अन्य पक्षोंने की है । भारी मात्रामें जातीय दंगा विधेयकका विरोध किया गया है । इस विधेयकमें कुछ शर्तें कष्टदायी हैं, जिन्हें निरस्त करनेकी मांग भी राजनेताओंद्वारा की गई है ।

 

विधेयकमें विद्यमान कष्टदायी धाराएं

१. धार्मिक अथवा भाषासंबंधी अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति एवं जनजातिके नागरिकोंको लक्ष्य कर किए गए दंगों एवं सामूहिक हिंसाचारको प्रतिबंध करने हेतु उनपर नियंत्रण प्राप्त करनेके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारको अपने अधिकारियोंको अपने अधिकारोंका निष्पक्षतासे उपयोग करने हेतु उनका दायित्व निश्चित किया जाएगा ।

 

२. केंद्रसरकारद्वारा राष्ट्रीय जातीय एकता, न्याय एवं भरपाई प्राधिकरण जैसे प्रबंध स्थापित किए जाने चाहिए । उस प्रबंधद्वारा प्रस्तावित अधिनियममें विद्यमान सूत्रोंपर  कार्यवाही की जानी चाहिए ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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