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देहली में पाकिस्तानी हाई कमीशन ने रखी थी हुर्रियत नेताओं के लिए पार्टी
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पार्टी में हुर्रियत नेताओं को बताया गया कि कहां खर्च किए जाएं रुपये
भारत में आतंक फैलाने के लिए न केवल पाकिस्तान बल्कि पाकिस्तान की सरकारें भी लिप्त हैं। आतंकवादियों के साथ-साथ पाकिस्तान सरकार भी भारत में दहशतगर्दों की सरपरस्ती करती है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग मामले में दाखिल हालिया चार्जशीट में कहा है कि देहली में पाकिस्तानी हाई कमीशन ने हुर्रियत नेताओं के लिए एक पार्टी रखी थी। इस पार्टी में पाकिस्तानी अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि कैसे रुपये गैरकानूनी कामों में खत्म किए जाएं।
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कहा कि इन फंड्स को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास बिजनेस और हवाला और कश्मीर में संबंधित फर्जी कंपनियों द्वारा नई देहली में विदेशी सामानों की खरीदारी के जरिए अवैध रूप से जमा किया गया। चार्जशीट के अनुसार कश्मीरी हैंडलूम सामानों के एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट से मिले फंड का भी हुर्रियत नेताओं ने इस्तेमाल किया।
एनआईए ने ४ अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक, जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष शब्बीर शाह, दुख्तरान-ए-मिल्लत प्रमुख आसिया अंद्राबी, ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के महासचिव मसरत आलम और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर के खिलाफ नए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत वित्तपोषण मामले में एक दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी।
एजेंसी ने इन लोगों पर २०१० और २०१६ में आतंकी गतिविधि और पथराव की घटना करवाने के लिए अवैध रूप से पाकिस्तान से फंड लेने का आरोप लगाया था।
एनआईए ने कहा कि इसके लिए फंड कर्ज के रूप में मध्यपूर्व में रह रहे परिवार के सदस्यों और कश्मीरी निवासियों के समर्थकों के जरिए प्राप्त होता था।
चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि कश्मीर घाटी में होटलों के मालिक बुकिंग के तौर विदेशी धन लेते थे और इनमें से कुछ पैसे हुर्रियत नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के पास पहुंचते थे। चार्जशीट में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर बैंक में कई लोन डिफॉल्टर हैं। ये लोन केवल हुर्रियत नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के लिए फंड इकट्ठा करने के मकसद से लिए गए थे।
स्त्रोत : आज तक