चैत्र अमावस्या , कलियुग वर्ष ५११४
(कहते हैं ) गंगा प्रदूषित होनेके कारण कुंभपर्वमें स्नान करनेके उपरांत पाप धोए जानेके स्थानपर उनके बढनेकी संभावना है !
पवित्रता एवं शुचितामें जो अंतर है, उसे न जाननेवाले विपक्षके नेता प्रतापसिंह राणेका बौद्धिक दिवालियापन !
पणजी – ८ अप्रैलको विधानसभामें जलस्रोत विभागद्वारा की गई मांगोंकी कपात सूचनापर विपक्षनेता प्रतापसिंह राणेने अपने मत व्यक्त करते हुए कहा कि गंगा नदी प्रदूषित हो गई है । कुंभमेलेके समय गंगा नदीमें स्नान करनेसे पाप धोए जानेके स्थानपर बढनेकी संभावना है । प्रदूषणका सूत्र महत्त्वपूर्ण है । इस वर्ष कुंभमेलेमें विधायक दिगंबर कामत गए थे । उनसे पूछनेपर गंगाके प्रदूषणके संदर्भमें जानकारी मिलनेकी संभावना है । गोवामें इस प्रकारसे होनेवाला पानीके स्रोतोंका प्रदूषण टालनेके लिए गोवा सरकारको प्रयास करने चाहिए । ( पानीकी पवित्रता एवं पानीका प्रदूषण ये अलग-अलग बातें हैं । इसलिए गंगा नदीके प्रदूषणके कारण कुंभपर्वमें स्नान करनेके कारण पापोंके बढनेकी संभावना है, यह वक्तव्य तथ्यहीन तथा आधारहीन है । ऐसे वक्तव्य करनेके लिए प्रतापसिंह राणे को लज्जा आनी चाहिए थी, क्योंकि गंगा नदीके प्रदूषणके लिए केंद्रकी कांग्रेस सरकार ही उत्तरदायी है । प्रतापसिंह राणे विगत कितने वर्षोंसे इसी कांग्रेसके एक ज्येष्ठ नेता हैं । गंगा नदी प्रदूषणमुक्त होने हेतु संतमहंत आमरण अनशन कर रहे हैं । कांग्रेसियोंकी असंवेदनशीलताके कारण कुछ संतोंको उसके लिए प्राणोंकी आहुति भी देना पडी है । व्यर्थ बडबड करनेवाले राणे समान राजनीतिज्ञोंने गंगाको प्रदूषणमुक्त करने हेतु अबतक क्या किया ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) मांडवी पुलके ऊपरसे कुछ लोग प्लास्टिककी थैलियोंमें निर्माल्य डालकर नदीमें फेंकते हैं, जिसके कारण प्रदूषण होता है । यह टालना चाहिए । ( प्लास्टिककी थैलियोंसे निर्माल्य नदीमें विसर्जित करना अनुचित है ही; परंतु खदानकी मिट्टीसे गोवाकी नदियोंके पात्र प्रदूषित हो गए हैं । सत्तामें होते हुए भी राणे एवं कांग्रेसी नेताओंने क्यों कुछ भी नहीं किया ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात