‘अनुच्छेद 370’ निरस्त होना तथा अयोध्या में प्रभु श्रीरामजी के भव्य मंदिर निर्माण का न्यायालयीन मार्ग प्रशस्त होने के उपरांत अब प्रजा के समक्ष देश और धर्म संबंधी महत्त्वपूर्ण चुनौतियां हैं ।
इंदिरा गांधी ने 1976 में आपातकाल में विपक्ष को कारावास में रखकर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मूल संविधान में असंवैधानिक पद्धति से परिवर्तन कर, ‘सेक्युलर’ शब्द जोडा । तब से भारत में ‘सेक्युलर’वाद का उपयोग केवल अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए किया गया है । सभी नागरिकों को एक समान अधिकार देने हेतु समान नागरिक कानून की आवश्यकता है । छत्रपति शिवाजी महाराज का हिन्दवी स्वराज्य इसका आदर्श उदाहरण है । इसलिए आदर्श रामराज्य की नींव रखने के लिए संवैधानिक स्तर पर भेदभाव करनेवाला ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर भारत को ‘स्पिरिच्युअल’ हिन्दू राष्ट्र घोषित करना होगा । वर्तमान केंद्र सरकार साहसी निर्णय लेने की क्षमता रखती है । विगत 70 वर्षों में जो अयोग्य निर्णय अथवा कानून बने थे, उन्हें सुधारने का यही सही समय है । इसी दृष्टि से संगठित रूप से भावी कार्य की दिशा निश्चित करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से दिल्ली में 22 से 24 नवंबर 2019 की अवधि में ‘भारत सेवाश्रम संघ’, श्रीनिवासपुरी में ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ आयोजित किया गया है, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे जी ने पत्रकार वार्ता में दी । इस पत्रकार वार्ता में ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टीस’ के प्रवक्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन जी, ‘सनातन संस्था’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंसजी तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे जी उपस्थित थे ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेजी ने कहा कि शासनतंत्र द्वारा केवल मंदिरों का अधिग्रहण किया जाना गंभीर है । वस्तुतः सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘देश के सेक्युलर शासन को मंदिरों का व्यवस्थापन करने का कोई अधिकार नहीं ।’ फिर भी देश के 1 लाख से अधिक मंदिरों का व्यवस्थापन राज्य की सेक्युलर सरकारों द्वारा किया जाता है । अब मंदिरों को भक्तों के हाथों में सौैंपने की आवश्यकता है । इसी दृष्टि से चिंतन-चर्चा-संवाद हेतु इस अधिवेशन में उत्तर भारत के 8 राज्यों से तथा बांग्लादेश से 110 हिन्दू संगठनों के 225 प्रतिनिधि सहभागी होंगे ।
‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैनजी ने बताया कि देश में बढ रही सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों को रोकने के लिए ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के अंतर्गत 24 नवंबर को देशभक्त अधिवक्ताआें का एक दिवसीय ‘हिन्दू अधिवक्ता अधिवेशन’ आयोजित किया गया हैै । ‘प्लेसेज ऑफ वरशिप कानून 1991’ के सेक्शन 3 और 4 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (1) और 25 का उल्लंघन करते हैं । इसलिए इस कानून को अब निरस्त करने की आवश्यकता है ।
‘सनातन संस्था’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंसजी ने बताया कि इस अधिवेशन के अंतर्गत 23 नवंबर को सवेरे 10 से दोपहर 1 की अवधि में पत्रकार बंधुओं के लिए ‘देश के वर्तमान सूत्र (मुद्दे) एवं पत्रकारिता’ इस परिसंवाद का आयोजन किया गया है । 23 नवंबर को ही शाम 5 से 7 की अवधि में ‘साधना सत्र’ का आयोजन किया गया है ।