आंध्र प्रदेश के कुरनूल में श्रीशैलम में चार ईसाईयों को मौजूदा कानूनों के उल्लंघन में सक्रिय रूप से ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए हिरासत में लिया गया था। उन्हें आंध्र प्रदेश के धर्म प्रचार या प्रार्थना (निषेध) अधिनियम, 2007 (2007 के अधिनियम 24) के अन्य धर्मों के प्रसार की धारा 3 के तहत अपराध दर्ज किया गया। अधिनियम में तीन साल की कैद या ५००० जुर्माना यह सजा का स्वरूप है ।
आरोपियों की पहचान कृष्णा जिले के वुयुर के निवासी एम. टिमोथी, तेलंगाना राज्य के महबूबनगर जिले के प्रवीण और कुरनूल जिले के एम जोशुवा और सुन्निपेंटा के एम पीटर के रूप में हुई हैं। उन्होंने शुक्रवार को कथित तौर पर प्रार्थनाएं कीं लेकिन मामला शनिवार को सामने आया। स्थानीय लोगों द्वारा दर्ज शिकायतों के आधार पर उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
आरोपी शुक्रवार को श्रीशैलम के रुद्र पार्क में बाइबल लेकर षड्यंत्र रच रहे थे। उन्हें नंद्याल न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। डीएसपी वेंकटराव ने कहा, उनमें से, पीटर को 2018 में इसी तरह के अपराध के लिए एक ही अधिनियम के तहत पकडा गया था। उसके खिलाफ यह मामला अदालत में लंबित है।
इससे पहले भी श्रीशैलम में गैर-हिंदू गतिविधियों के आरोप सामने आए थे। इस साल सितंबर में, हिंदू भक्तों द्वारा कथित तौर पर ईसाई धर्म का प्रचार करनेवाला एक वाहन पाया गया था। वाहन पर बाइबिल के पाठ वाले फ्लेक्स बैनर थे।
स्थानीय पुजारियों का कहना है कि, संपूर्ण पहाडी क्षेत्र गर्भगृह का हिस्सा है और पवित्र है। अन्य धर्मों के लोगों को क्षेत्र में अपने विश्वास का प्रचार करने की अनुमति नहीं है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर शहर में स्थित है और हिंदू धर्म के शैववादी और शक्तिवाद संप्रदायों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल में से एक है। श्रीशैलम शहर को ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठ दोनों के रूप में वर्गीकृत किया गया है ।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा ईसाई समुदायों को दी जाने वाली मुफ्त की सुविधाओं के बारे में विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है। मुफ्त की सुविधाएं न केवल सार्वजनिक धन की हानि का कारण बन रही है, बल्कि इन तुष्टिकरण योजनाओं का उद्देश्य आम आंध्र के नागरिकों को धर्मांतरण के लिए प्रोत्साहित करना भी है।
स्त्रोत : OpIndia