क्या सरकार किसी मस्जिद या चर्च के लिए श्राइन बोर्ड गठित करने तथा उसे अधिग्रहित करने का साहस कभी दिखाएगी ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
उत्तराखंड में चारधाम क्षेत्र के 51 प्रमुख मंदिर अब चारधाम श्राइन बोर्ड के अधीन आएंगे। त्रिवेंद्र सरकार ने ऐसे मंदिरों के संचालन एवं रखरखाव के लिए श्राइन बोर्ड गठित करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय को लेकर सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड रहा है। विरोध तीर्थ पुरोहितों और संतों की ओर से हो रहा है । उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 27 नवंबर को चार धामों सहित राज्य के 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के संचालन के जिनमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल है।
सरकार द्वारा उत्तराखंड में श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर पंडा समाज का विरोध लगातार जारी है। चारों धामों के तीर्थ पुरोहित और तमाम मंदिर समिति के लोगों ने भारी संख्या में एकत्रित होकर मुख्यमंत्री आवास कूच किया। साथ ही पंडा समाज ने सडक पर बैठकर सरकार के विरोध में नारेबाजी की और सरकार के इस निर्णय का जमकर विरोध किया।
वैष्णोदेवी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सरकार ने श्राइन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया है। ऐसे में तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज और तमाम मंदिर समिति के हिन्दुओं के भीतर बेहद आक्रोश बना हुआ है। सभी का कहना है कि, सरकार के इस काले कानून को वह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा।
तीर्थ पुरोहितों ने लगाया आरोप
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि, हमारे पूर्वज लंबे समय से मंदिरों में पूजा अर्चना करते हुए आए हैं। अनादि काल से तीर्थ पुरोहित मंदिरों का संचालन कर रहे हैं। ऐसे में अचानक से सरकार श्राइन बोर्ड लाकर उनके अधिकारों को छीन रही है।
तीर्थ पुरोहितों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि श्राइन बोर्ड के गठन से पहले सरकार ने तीर्थ पुरोहितों के साथ एक बार भी वार्ता नहीं की। अगर सरकार को श्राइन बोर्ड लाना ही था तो एक बार कम से कम उनके साथ बातचीत जरूर कर लेनी चाहिए थी। यात्रा अगर आज चरम सीमा पर गई है और यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है तो उसमें तीर्थ पुरोहितों और मंदिर समिति के कार्यकर्ताओं का अहम योगदान है।
मंदिर की आय करोडो में, क्या सरकार इसलिए तो मंदिर अधिग्रहित नही कर रही ?
एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि सिर्फ़ बदरीनाथ, केदारनाथ मंदिरों में पूजा और विशेष पूजा से होने वाली आय करोड़ों में है। चार धाम श्राइन बोर्ड में तो इन दोनों और गंगोत्री-यमुनोत्री समेत 51 मंदिर आने हैं। उधर तीर्थ पुरोहित सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि वह मंदिरों के दान पात्र पर नज़र न डाले क्योंकि यह उनका हक है।
न्यूज १८ के समाचर के अनुसार, आरटीआई में जो जानकारी मिली उसमें बद्रीनाथ धाम में विशेष पूजा से साल 1999-2000 में 58 लाख, 66 हज़ार रुपये आए थे।
इसके दास साल बाद 2009-10 में विशेष पूजा से 3 करोड, 66 लाख रुपये का अर्पण निधी आया।
आपदा के बावजूद साल 2013-14 में विशेष पूजा से 2 करोड़, 81 लाख रुपये का अर्पण निधी आया था । मंदिर समिति के एक अनुमान के अनुसार 2019-20 में बद्री-केदार समिति को 10 करोड़ रुपये से ज़्यादा की आय हुई है।
स्त्रोत : आज तक