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कनकपुरा (कर्नाटक) : कपाली बेट्टा में हो रहे डीके शिवकुमार द्वारा समर्थित येशु की मूर्ति के अवैध निर्माण कार्य पर रोक

बैंगलुरु : नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों और भाजप नेताओं के के कडे विरोध के बाद, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार का घर होनेवाले कनकपुरा तालुक प्रशासन ने कनकपुरा शहर के पास कपाली बेट्टा में येशु क्रिस्त की मूर्ति के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है ।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने कपाली बेट्टा प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया, जिसके कारण प्रतिमा के काम भी रुक गए। स्थानीय लोगों ने जानकारी दी कि, जो मजदूर काम में लगे थे, वे गांव से बाहर चले गए।

बता दें कि, सोमवार की रात राज्य सरकार ने स्थानीय तहसीलदार आनंदैया का तबादला कर दिया था, जो डीके शिवकुमार परिवार के करीबी माने जाते थे। विपक्ष का आरोप है कि, कांग्रेस विधायक यह सब ईसाई और सोनिया गांधी को खुश करने के लिए कर रहे हैं।


ईसाई मिशनरियों ने अवैध रूप से ‘कपाली बेट्टा’ का नाम बदलकर ‘येशु बेट्टा’ किया

 

ऑर्गेनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार, येशू की मूर्ति को पारंपरिक रूप से ‘कपाली बेट्टा’ नाम से पहचाने जानेवाले पहाडीयों पर बनाया जा रहा है । स्थानीय लोगों ने कहा कहा है, सदियों से पहाडीयों को ‘कपाली बेट्टा’  इस नाम से बुलाया जाता है जो कि, कालभैरव देवता का स्थान है ।

किंतु, कुछ साल पहले ईसाई मिशनरियों ने अवैध रूप से एक विशाल क्रॉस स्थापित करके पहाडी का अवैध रूप नामकरण कर दिया और पहाडी का नाम ‘येशु बेट्टा’ (क्राइस्ट हिल) रख दिया। इस कदम पर कई लोगों ने सवाल उठाए थे, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि, गांव में कई ईसाई परिवार हैं जो पिछले कुछ दशकों में मिशनरीयों द्वारा परिवर्तित किए गए थे और कांग्रेस नेता का यह कदम उन्हें वोटबँक की अपील करने का एक प्रयास है।

2017 में दायर एक अन्य याचिका में यह पता चला है कि, ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध रूप से ’कपाली बेट्टा’ को  ‘येशु बेट्टा ’के रूप में नाम बदलने के प्रयासों पर सवाल उठाया गया था। कनकपुरा कार्यकर्ता एचजी वेंकटेश की याचिका ने जिला कलेक्टर से इस मामले की जांच करने का अनुरोध किया था, जहां ईसाई मिशनरियों ने अवैध रूप से 80 फुट का क्रॉस लगाकर पहाडी पर कब्जा करने का प्रयास किया है।  याचिका में कहा गया है कि, गांव के निवासी मूलत: ईसाई नहीं हैं, उन्हें जबरदस्ती और लुभाकर धर्मांतरित किया गया है ।

हालांकि, 2 वर्ष पूर्व, भारता पुनारुत्थाना ट्रस्ट द्वारा प्रदान किए गए विवरणों और याचिका के बावजूद, हैब्रेल में अवैध नाम बदलने और भूमि अधिग्रहण करने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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