ईसाईयों द्वारा पार्किंग के लिए हुए अनधिकृत अतिक्रमण के विरोध में ‘शांखवाल तीर्थक्षेत्र गौशाला ट्रस्ट’ द्वारा शिकायत
पहले जिस भूमि पर श्री विजयादुर्गादेवी का मंदिर था (‘फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ’ नामक पुरातत्व विभाग की भूमि), उस भूमि में चर्च संस्था इस वर्ष लगातार तिसरी बार फेस्ता का आयोजन कर रही है। यह फेस्त १६ जनवरी को मनाया जाएगा । इसके मध्यनजर, सांकवळ में पुरातत्त्व की जगह के पास ‘शंखवाल तीर्थक्षेत्र गौशाला ट्रस्ट’ के स्थल पर ईसाई समुदाय के एक समूह ने अनधिकृत रूप से घुसपैठ की और घास को नष्ट कर दिया और उस जगह फेस्टा के लिए वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की है। इस विषय में ‘शंखवाल तीर्थक्षेत्र गौशाला ट्रस्ट’ ने पुलिस महासंचालक के पास शिकायत दर्ज कर संबंधिताें पर कारवाई करने की मांग की है ।
पहले हिन्दुओं के रहे श्री विजयादुर्गादेवी मंदिर को सेंट जोसेफ के नाम से विकसित करने का चर्च संस्था का षड्यंत्र !
-
पुरातत्व विभाग की भूमि ‘फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ’ में लगातार तिसरे वर्ष भी फेस्ता का आयोजन
-
‘सीआरजेड्’ की अनुमति न होते हुए भी फेस्ता की पूर्वसिद्धता की दृष्टि से निर्माणकार्य
हिन्दुओं का धार्मिक स्थान हडपनेवाले धर्मांध ईसाईयों के विरोध में गोवा के कथित आधुनिकतावादी, सुधारवादी और मानवाधिकारवादी एक शब्द भी नहीं बोलते, इसे ध्यान में लें ! इन सभी की धर्मनिरपेक्षता कितनी पाखंडी है, यही इससे दिखाई देता है !
सांकवाळ (गोवा) : पहले जिस भूमि पर श्री विजयादुर्गादेवी का मंदिर था (‘फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ’ नामक पुरातत्व विभाग की भूमि), उस भूमि में चर्च संस्था इस वर्ष लगातार तिसरी बार फेस्ता का आयोजन कर रही है। यह फेस्त १६ जनवरी को मनाया जाएगा, तो इसके उपलक्ष्य में ७ जनवरी से ‘नोव्हेना’ना का आरंभ हो रहा है। स्थानीय लोगों ने यह आरोप लगाया है कि, इस भूमि में कोस्टल रेग्युलेटरी जोन (सीआरजेड्) की अनुमति न होते हुए भी फेस्ता की पूर्वसिद्धता के रूप में मंडप खडा किया गया है। इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए नागरिक डॉ. कालिदास वाईंगणकर ने कहा कि, फ्रंटीस पीस ऑफ संकवाळ की भूमि जुवारी नदी से ५० मीटर की दूरी पर स्थित है और इसके कारण यहां कोई भी निर्माणकार्य करना हो, तो उसके लिए सीआरजेड् की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। इस संदर्भ में सीआरजेड् कार्यालय में पूछताछ करने पर यहां मंडप खडा करने के लिए किसी प्रकार की अनुमति न लिए जाने की बात सामने आई है !
फेस्ता के आयोजन को सामने रखकर शासन एवं पुलिस विभाग का चर्चसंस्था की ओर झुकाव !
फ्रंटीस पीस ऑप संकवाळ की भूमि पर फेस्ता के आयोजन को ध्यान में रखकर अवैधरूप से पेड काटे जाने के लंबित प्रकरण के संदर्भ में डॉ. कालिदास वाईंगणकर ने अधिक जानकारी देते हुए कहा,
‘‘जनवरी २०१८ को पहली बार फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ की भूमि पर फेस्ता का आयोजन किया गया। इस उपलक्ष्य में इस भूमि के निकट स्थित मेरी स्वामित्ववाली भूमि में अनेक पेड काटे गए। फेस्ता के दिन लोगों को वाहनों का पार्किंग करना संभव हो; इसके लिए ये पेड काटे गए। इस संदर्भ में प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत करने पर संबंधित अधिकारी ने तुरंत ही आगे का निर्णय होने तक इस अवैध पेडकटाई पर रोक लगाई; किंतु फेस्ता के आयोजन को ध्यान में रख कर धार्मिक भावनाएं आहत न हों; इसके लिए फेस्ता की पूर्वसिद्धता के लिए ७ जनवरी से १६ जनवरी २०१८ की अवधि के लिए संबंधित अधिकारी ने यह रोक
हटाई थी।
१७ जनवरी २०१८ के पश्चात पुनः आगे का निर्णय होने तक रोक होते हुए भी इस वर्ष भी हमारी भूमि में अवैधरूप से आकर घांस काटना (ट्रेसपासिंग) आदि अवैध कार्य किए गए। इस संदर्भ में शिकायत करने पर भी पुलिस एवं प्रशासन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला !’’
‘फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ’ के फलक में ‘चर्च’ शब्द घुसेड़ दिया गया !
चर्च संस्थाद्वारा एक जानकारी देनेवाला फलक लगाया गया है। इस फलक पर फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ, इस नाम के स्थान पर फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ चर्च’ लिखा गया है, जो अयोग्य है ! सरकार की ओर से इस भूमि को धरोहरस्थल के रूप में घोषित किया गया है। उस समय प्रकाशित अधिसूचना में इस स्थल का नाम फ्रंटीस पीस ऑफ सांकवाळ (सांकवाळ का प्रवेशद्वार) है !
सेंट जोसेफ वाज फेस्ता के उपलक्ष्य में १६ जनवरी को ‘रिस्ट्रीक्टेड हॉलिडे’ घोषित
सरकार की ओर से १६ जनवरी का दिन ‘रिस्ट्रीक्टेट हॉलिडे’ के रूप में घोषित किया गया है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात