जब से भारत में सीएए लागू किया गया है, तब से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों ने राहत की सांस ली है। सीएए के राजनीतिक विरोध के बावजूद, देश के लोगों और शरणार्थियों ने खुद इस कानून के महत्व को समझा है। इसके अलावा, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं और सिखों के उत्पीडन की हाल ही की घटनाएं सीएए और उसके इरादों को पुष्टी देती हैं।
ननकाना साहिब में गुरुद्वारा पर सिखों पर हमले और पथराव के बाद पाकिस्तान में इस्लामिक चरमपंथ उजागर हुआ, बांग्लादेश में हिंदू वहां जिहादियों का खामियाजा भुगत रहे हैं। बांग्लादेश से प्राप्त समाचारों से संकेत मिलता है कि, दो अलग-अलग घटनाओं में हिंदुओं के घर पर हमला किया गया और देवी मां काली की मूर्ति को जिहादियों ने तोड दिया। अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियों को भी तोड दिया गया ।
बांग्लादेश में फरीदपुर जिला के बोआलमारी अपोजिला के रूपपत बाजार से सामने आई घटनाओं में कहा गया है कि, जिहादियों की भीड ने एक लक्ष्मण दत्त नामक हिन्दू के घर पर दो बार हमला किया। 3 जनवरी, 2020 को हुई पहली घटना में, उनके घर में तोडफोड की गई, जो एक चेतावनी की तरह लग रहा था। घटना की सूचना स्थानीय पुलिस को दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रशासन की निष्क्रियता के कारण, लक्ष्मण के घर पर 16 जनवरी को जिहादियों की भीड ने फिर हमला किया। इस हमले में, देवी मां काली की मूर्तियों को तोड दिया गया था और मूर्ति के हिस्सों को आंगन में फेंक दिया गया था। इन हमलों के बाद हुए हमलों के कारण लक्ष्मण दत्त और उनका परिवार भय में जी रहा है। ढाका के मानवाधिकार कार्यकर्ता जोयना कर्मकार ने बताया कि, बांग्लादेश पुलिस ने अभी तक हमले पर मामला दर्ज नहीं किया है ।
……………..and The Bangladesh Police didn't record the case of such religious attack. It is surprising that the Hindus of those area became surprised & soon after the second incident took place, the owner of deity Laksman Datta fell down all the broken deities due to fear.
— Joyanta Karmoker(জয়ন্ত কর্মকার) (@JoyantaKarmoker) January 16, 2020
एक हिंदू के घर पर हुए दोहरे हमलों के बावजूद, बांग्लादेश पुलिस और प्रशासन ने वहां के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर आंखें मूंद लीं।बांग्लादेश पुलिस ने जानबूझकर इस घटना को अनदेखा कर अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है। यहां तक कि बांग्लादेश की मीडिया भी इस घटना पर चुप्पी साधे हुए है और उसने उतनी दृढ़ता से रिपोर्ट नहीं की है जितनी होनी चाहिए थी।
स्त्रोत : Organiser