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बंगाल : 10 वर्ष से बंद सरस्वती पूजा को शुरू करने की मांग कर रहे छात्रों पर जिहादी भीडद्वारा आक्रमण

  • सरस्वती पूजा की मांग करनी पडती है, यह भारत में हिन्दुओं के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है !
  • क्या बंगाल बन रहा है इस्लामिक जिहादियों का केंद्र ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24-परगना जिले के एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में सरस्वती पूजा शुरू करने की मांग को लेकर धरना कर रहे छात्रों में पांच छात्रों को जिहादी भीड द्वारा पीटने का मामला सामने आया है। छात्र 29 जनवरी को सरस्वती पूजा की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

प्रदर्शनकारी छात्रों में बसीरहाट क्षेत्र के हारोआ थाना क्षेत्र में चौहट्टा आदर्श विद्यापीठ स्कूल के कई छात्र-छात्राएं शामिल थे। हालांकि किसी को भी अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया है। चश्मदीदों ने कहा कि, चोट लगने की वजह से दो छात्रों रक्तस्राव भी हुआ जिनका प्राथमिक इलाज किया गया। मामले को लेकर रविवार दोपहर तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई थी।

अंग्रेजी के एक शिक्षक गणेश सरदार ने आरोप लगाया कि, जिहादियों की भीड स्कूल में गई थी और उनकी खोज कर रही थी। उन्होंने कहा कि, कुछ शिक्षकों ने मुझे बचाने के लिए एक लेडीज टॉयलेट के अंदर छुपा दिया। यदि जिला प्रशासन समय पर कार्रवाई नहीं करता, तो स्थिति और खराब हो सकती थी, हारो पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी ने मुझे बचाया।

अध्यापक ने आरोप लगाया कि, वो प्रदर्शनकारियों के निशाने पर थे क्योंकि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध एक शिक्षक निकाय के जिला महासचिव हैं। उन्होंने कहा कि, मैंने नबी दिवस और सरस्वती पूजा दोनों को फिर से शुरू करने की बात कह चुका हूं। वहीं सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस की राज्य मंत्री और जिला अध्यक्ष ज्योति प्रिया मल्लिक ने कहा कि, उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस पर कुछ बोलने से पहले मुझे इसके बारे में जानकारी इकट्ठा करनी होगी। कथित तौर पर स्थानीय लोगों के दबाव में पूजा को 2009 में रोक दिया गया। स्कूल के 1700 छात्रों में से लगभग 75% छात्र मुस्लिम हैं, जबकि अधिकांश शिक्षक हिंदू हैं। 2019 में स्कूल हेडमास्टर के रूप में ज्वाइन करने वाले हिमांशु शेखर मोंडल ने कहा कि साल 2009 में जब स्थानीय लोगों और छात्रों ने स्कूल में नबी दिवस आयोजित करने पर आपत्ति जताई थी तब सरस्वती पूजा को भी रोक दिया गया। इसके बाद शांति बनाए रखने के लिए परिसर के अंदर इस तरह की पूजा आयोजित न करने का फैसला किया।

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