पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के जिले सोब में 200 वर्ष प्राचीन एक मंदिर को हिंदू समुदाय को सौंप दिया गया है। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 70 वर्ष के बाद यह मंदिर हिंदू समुदाय को मिला है। बीते तीस वर्ष से इसमें एक विद्यालय चल रहा था जिसे अब यहां से स्थानांतरित कर दिया गया है।
चार कमरों वाले इस मंदिर की चाबी एक समारोह में हिंदू समुदाय के नेताओं को सौंपी गई। समारोह मंदिर के सामने हुआ जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इनमें अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य, सामाजिक व राजनैतिक संगठनों के सदस्य शामिल थे। सोब की केंद्रीय मस्जिद के इमाम एवं जमीयते उलेमाए इस्लाम के नेता मौलाना अल्लाह दाद काकर समारोह के मुख्य अतिथि थे।
मौलाना काकर ने स्थानीय हिंदू पंचायत के अध्यक्ष सलीम जान को मंदिर की चाबी सौंपी। इस मौके पर क्षेत्र के उपायुक्त ताहा सलीम ने कहा, “यह बलुचिस्तान, विशेषकर सोब के लिए एक खास और ऐतिहासिक दिन है’’। मौलाना काकर ने न केवल मंदिर को हिंदू समुदाय को वापस देने के सरकार के निर्णय का समर्थन किया बल्कि इस आयोजन का मुख्य अतिथि बनना भी स्वीकार किया।
उपायुक्त ने हिंदू समुदाय से इस बात के लिए क्षमा भी मांगी कि बीते 70 वर्ष में उन्हें यह मंदिर नहीं सौंपा गया। उन्होंने कहा कि, मंदिर को इसके वास्तविक रूप में बहाल किया जाएगा। मरम्मत और साज-सज्जा के बाद हिंदू मंदिर में पूजा अर्चना कर सकेंगे। स्थानीय हिंदू पंचायत अध्यक्ष सलीम जान ने कहा कि मंदिर 200 वर्ष प्राचीन है। पाकिस्तान बनने के बाद अधिकांश हिंदू भारत चले गए, लेकिन अभी भी शहर में हिंदुओं की अच्छी आबादी है। उन्होंने कहा कि अभी क्षेत्र के हिंदू एक मिट्टी के घर में पूजा अर्चना करते हैं जो किसी भी समय गिर सकता है।
उन्होंने कहा कि, हाल में बलूचिस्तान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जमाल खान मंडोखेल सोब आए थे। तब हिंदू समुदाय ने उनसे इस मंदिर को वापस दिलाने की अपील की थी। न्यायाधीश ने उन्हें आश्वस्त किया था कि मंदिर समुदाय को वापस मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय सिख समुदाय भी लंबे समय से अपने गुरुद्वारे से वंचित है और उनके पास अपनी धार्मिक रस्मों को करने के लिए कोई जगह नहीं है। गुरुद्वारे में भी एक विद्यालय चल रहा है।
स्त्रोत : जागरण