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‘हलाल’ प्रमाणपत्र धर्मपर आधारित एक राष्ट्रविघातक समानांतर अर्थव्यवस्था – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

धुलियां, जळगांव एवं मालेगांव (महाराष्ट्र) में व्याख्यान !

धुलियां में आयोजित व्याख्यान में उपस्थित धर्मप्रेमी

धुलियां : आजकल भारत के मुसलमानों द्वारा प्रत्येक पदार्थ और वस्तु इस्लाम के अनुसार वैध होने की अर्थात उनके ‘हलाल’ होने की मांग की जा रही है । उसके लिए प्रतिष्ठानों को हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य बन गया है । इसके द्वारा इस्लामी अर्थव्यवस्था अर्थात हलाल इकॉनॉमी धार्मिक आधारपर होते हुए भी अत्यंत चतुराई के साथ उसे निधर्मी भारत में लागू करा दिया गया है । आश्‍चर्य की बात यह कि भारतीय रेल, एयर इंडिया जैसे सरकारी प्रतिष्ठानों में मिलनेवाले खाद्यपदार्थों में भी हलाल प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है । देश में केवल १५ प्रतिशत जनसंख्यावाले अल्पसंख्यक मुसलमानों द्वारा उन्हें इस्लाम के अनुसार ही हलाल मांस खाना है; इसकी मांग की जाने से शेष ८५ प्रतिशत जनतापर भी वह थोपा जा रहा है । अब तो यह हलाल प्रमाणपत्र केवल मांसतक सीमित न रहकर खाद्यपदार्थ, सौंदर्यप्रसाधन, औषधियां, चिकित्सालय, गृहनिर्माण संस्थान और मॉल में भी लागू किया गया है । इस्लामी देशों को निर्यात करनेवालों को तो हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया गया है । इस हलाल अर्थव्यवस्था ने विश्‍वभर में अपना दबदबा बनाया है । उसने अब भारतीय अर्थव्यवस्था के समान अर्थात २ ट्रिलीयन (१ ट्रिलीयन का अर्थ १ पर १२ शून्य अर्थात १ सहस्र अरब) डॉलर्स का लक्ष्य प्राप्त किया है । जब कोई समानांतर अर्थव्यवस्था खडी रहती है, तब देश के विविध तंत्रोंपर निश्‍चितरूप से उसका परिणाम होता है । यहां तो धर्मपर आधारित एक समानांतर अर्थव्यवस्था खडी हो रही है । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा प्रतिपादित किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां के कान्हा रेजिन्सी में २६ जनवरी को आयोजित कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रहे थे ।

२७ जनवरी को मालेगांव में तथा २७ जनवरी को ही जळगांव के सरदार वल्लभभाई पटेल भवन में भी इसी प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । इसमें श्री. रमेश शिंदे ने उपस्थित राष्ट्रप्रेमियों को हलाल प्रमाणपत्र संकल्पना के भयावह परिणामों से अवगत कराकर विषय को उदाहरणोंसहित स्पष्ट किया । इन सभी कार्यक्रमों में उद्योगपति, व्यापारी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ बडी संख्या में उपस्थित थे । कुछ व्यापारियों ने प्रधानता लेकर इस आर्थिक जिहाद के विरुद्ध चलाए जा रहे उद्बोधन अभियान में सहभागी होने की सिद्धता दर्शाई । व्याख्यान के पश्‍चात उपस्थित लोगों ने उत्स्फूर्तता से प्रश्‍न पूछकर शंकाओं का निराकरण करवाकर लिया और इस सूत्र के संदर्भ में संगठितरूप से कार्य करने का निश्‍चय किया ।

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