देहरादून – वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी अब उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लडेंगे। स्वामी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि, वह इस मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे। इससे पहले सोमवार को तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के प्रतिनिधियों ने दिल्ली में स्वामी से इस मुद्दे पर मुलाकात की। महापंचायत के प्रवक्ता बृजेश सती के अनुसार, स्वामी इस माह के दूसरे पखवाड़े में जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार ने हाल में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक विधानसभा में पारित कराया था। राजभवन से मंजूरी के बाद यह अधिनियम अस्तित्व में आ चुका है। इसके तहत अब चारधाम देवस्थानम बोर्ड गठित करने की तैयारी है। अधिनियम के दायरे में चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही इनके आसपास के 51 मंदिरों को शामिल किया गया है।
तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी शुरू से ही अधिनियम का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे हक- हकूकधारियों के हितों पर चोट पहुंच रही है। हालांकि, सरकार इससे निरंतर इनकार कर रही है। उसका तर्क है कि अधिनियम का मकसद चारधाम व उनके आसपास के धार्मिक स्थलों में बेहतर सुविधाएं विकसित करना है। अधिनियम में हक-हकूकधारियों के सभी हित सुरक्षित रखे गए हैं। अलबत्ता, हक-हकूकधारी संघर्ष जारी रखे हैं।
देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत ने पिछले माह वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को ज्ञापन सौंपा था। महापंचायत का कहना है कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम से स्थानीय पुरोहित, पुजारी, व्यापार मंडल, हकहकूकधारी, डंडी, कंडी, घोड़ा, खच्चर का कार्य करने वाले 40 हजार से ज्यादा लोगों के हित प्रभावित होंगे। तब स्वामी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर करने पर विचार की बात कही थी।
इस बीच सोमवार को महापंचायत के प्रतिनिधियों ने फिर दिल्ली में राज्यसभा सदस्य स्वामी से भेंट कर विस्तार से चर्चा की। महापंचायत के प्रवक्ता डॉ.बृजेश सती के अनुसार वार्ता में इस बात पर सहमति बनी कि इस माह के दूसरे पखवाड़े में स्वामी उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में महापंचायत के संगठन मंत्री उमेश सती, गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव राजेश सेमवाल भी शामिल थे।
उधर, राज्यसभा सदस्य स्वामी ने सोमवार को ट्वीट किया कि, उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए इस अधिनियम के मामले में 51 मंदिरों से जुड़े तीर्थ पुरोहित उनसे लगातार मिल रहे हैं। उन्होंने लिखा कि जब यह असंवैधानिक अधिनियम तैयार हो रहा था तब उत्तराखंड के एटार्नी जनरल को उनसे सलाह लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के खिलाफ वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पीआइएल दाखिल करेंगे।
तीर्थ परंपरा में सरकार का दखल बर्दाश्त नहीं
भारत भ्रमण कर लौटे गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित शिव प्रकाश महाराज ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैैं। उन्होंने बोर्ड के गठन के विरोध में उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक तीर्थ परंपरा को बचाए रखने की लड़ाई लडऩे की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि चारधाम में आने वाला राजस्व ही सरकार को दिख रहा है। बोर्ड में पहाड़ के 51 मंदिरों को ही क्यों शामिल किया गया है? सरकार हरिद्वार के मठ-मंदिर और पिरान कलियर को भी इस बोर्ड में शामिल करने की हिम्मत दिखाए।
हरिद्वार बाईपास स्थित एक अपार्टमेंट में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए तीर्थ पुरोहित ने कहा कि सरकार तीर्थ और युगों से चली आ रही धर्म परंपरा के साथ छेड़छाड़ कर रही है। सच्चाई है कि जब-जब तीर्थ परंपरा के साथ छेड़छाड़ की गई तो उत्तराखंड में आपदा आई। अब सरकार बोर्ड बनाकर तीर्थों पर आधिपत्य जमाना चाहती है।
लेकिन, क्या उन्हें मालूम है कि धर्म परंपरा कैसे चलती है और उसे प्रभावित करने का समाज पर क्या असर पड़ता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बोर्ड बनाने का एकमात्र उद्देश्य तीर्थों में आने वाले चढ़ावे पर कब्जा करना है। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार यह कभी पूछने नहीं आई कि आपदा के बाद श्रद्धालुओं का आना कम हो गया था तो गंगोत्री धाम समेत अन्य तीर्थों की व्यवस्था कैसे संचालित हुई। उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप मढ़ा कि बोर्ड बनाने से पहले तीर्थ पुरोहितों से सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया।
केदारनाथ के तीर्थपुरोहितों ने भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के देवस्थानम एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल करने के निर्णय को सही बताते कहा कि सरकार को यह फैसला वापस लेना होगा।तीर्थपुरोहित समाज के महेश बगवाड़ी ने कहा कि भाजपा सरकार ने तीर्थपुरोहितों के हितों के खिलाफ कार्य कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा है कि देवस्थानम एक्ट के खिलाफ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने का निर्णय स्वागत योग्य है, पूरा तीर्थपुरोहित समाज इसका स्वागत करता है। तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने कहा कि आदि काल से चारधाम के तीर्थपुरोहित हिंदुओं के इन धामों से जुड़े हैं, और देश विदेश के भक्तों को भोले बाबा के दर्शन करवा रहे हैं। पौराणिक समय में कई किमी पैदल चलकर यात्रियों को ऋषिकेश से दर्शनों के लिए चारधाम लाते थे, लेकिन अब सरकार हमारे ही अधिकारों को लेना चाहती है, स्वामी का निर्णय स्वागत योग्य है।
स्त्रोत : जागरण