सडक चौडाईकरण हेतु कोई मस्जिद अथवा दर्गाह को गिराने का प्रस्ताव आया, तो उसपर अमल नहीं होता और वहां की सडक कभी चौडी नहीं बनती ! देश में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं; परंतु जब सडक चौडाईकरण के मार्ग में हिन्दुओं के मंदिर आते हैं, तब हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं की चिंता न कर उन्हें गिराया जाता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
भुवनेश्वर (ओडिशा) : यहां के लिंगराज कॉम्प्लेक्स के इर्द-गिर्द अनेक मंदिर हैं। इन मंदिरों में से लिंगराज कॉम्प्लेक्स की उत्तर दिशा में स्थित पवित्र श्री गणेश मंदिर को गिरा देने का ओडिशा के बिजू जनता दल सरकार का प्रस्ताव है ! यह मंदिर ११वीं शताब्दी में बना हुआ है और वह लिंगराज मंदिर का समकालीन मंदिर है। पुराने नगर में अनेक वर्षों प्राचीन संरक्षित स्मारकों में यह मंदिर अंतर्भूत है !
१. आजकल यह मंदिर बी.एम्. महाविद्यालय के परिसर में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई ७ फीट है और वह बहुत प्राचीन है। बी.एम्. महाविद्यालय की स्थापना वर्ष १९४० में हुई है। इस महाविद्यालय के छात्र मंदिर में स्थित ३ फीट ऊंची श्री गणेशमूर्ति का पूजन करते हैं। इस मंदिर में नवग्रहों की छोटी प्रतिमाएं हैं एवं उसके प्रवेशद्वार पर कीर्तिमुख अंकित है। साथ ही इस मंदिर में प्राचीन हनुमानजी की मूर्ति है। सूर्योदय के समय सूर्यकिरण इस मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते हैं। सरकार ने इस मंदिर के आसपास की भूमि का उत्खनन किया है एवं इस मंदिर में स्थित मूर्ति को विद्यालय की अटारी में स्थापित करने हेतु एक छोटा चबुतरा बनाया है। इस विद्यालय के कुछ कक्ष भी हटाए गए हैं। मंदिर में स्थित मूर्तियों को हटाए जाने के कुछ दिन पश्चात इस मंदिर को गिराया जानेवाला है !
२. यहां के बे ऑफ बेंगेल इनिशिएटीव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकॉनॉमिक को ऑ परेशन डिजास्टर मैनेजमेंट के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्राचीन धरोहरवाले स्थान हमारी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं। उनके कारण हमारे आर्थिक व्यवहार को बढावा मिलता है। इसलिए किसी भी मूल्य पर अगली पीढी को इन स्थलों को संजोकर रखना होगा !’’ इस प्रकार से भाषण देकर भी इस प्राचीन मंदिर को गिराने का प्रस्ताव रखा जाना आश्चर्यजनक है ! विद्यालय की अटारी में बिना किसी बाधा के इस मंदिर को यथास्थिति में रखा जा सकता है !
पुरातत्व विभाग मूकदर्शक बना हुआ है ! – वरिष्ठ पत्रकार श्री. अनिल धीर
वरिष्ठ पत्रकार एवं इनटैक के श्री. अनिल धीर के मतानुसार भारतीय पुरातत्व विभाग को ऐसे कृत्य रोकने चाहिए। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को रोक कर प्राचीन धरोहरों का उचित मूल्यांकन किया जाना चाहिए। एक ओर ऐसे अनेक अमूल्य स्मारक नष्ट किए जा रहे हैं और पुरातत्व विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। इससे पहले भी बहुत कुछ नष्ट हो चुका है और ऐसा होते हुए भी सरकार ने और कुछ धरोहरों को नष्ट करने का नियोजन किया है !
‘इनटैक’के राज्य समन्वयक श्री. ए.बी. त्रिपाठी ने कहा, ‘‘मंदिरों को गिराना अनिवार्य ही हो, तो उन्हें संपूर्णरूप से गिराए जाने के स्थान पर उचित विभागद्वारा दूसरे किसी उचित स्थान पर उनका निर्माण किया जाना चाहिए। आधुनिकीकरण अथवा विकास करते समय सरकार को इतिहास विशेषज्ञ और पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों से सुझाव लेना चाहिए !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात