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फिल्म ”पीके” के खिलाफ याचिका दायर, हिंदु फ्रंट फॉर जस्टिसद्वारा बैन की मांग

boycottpkलखनऊ – मिस्टर परफेक्टनिस्ट आमिर खान स्टारर फिल्म “पीके” भले ही बॉक्सऑफिस पर खूब धमाल मचा रही हो लेकिन फिल्म रिलीज के साथ विवादों में घिर गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में फिल्म पर बैन की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। 

एक वेबसाइट के अनुसार, याचिका एक एनजीओ “हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस” ने दायर की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि फिल्म में हिंदू देवी-देवताओं को गलत तरीके से दिखाया गया है। उनका आरोप है कि फिल्म निर्माता-निर्देशक ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग कर हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया है। 

गौरतलब है कि इससे पहले भी कहानी को लेकर कुछ हिंदू संगठन फिल्म का बहिष्कार कर चुके है। इन संगठनों ने “पीके”ौपर लव जिहाद की भावना भड़काने का आरोप लगाया था। फिल्म में अनुष्का एक हिंदु लड़की बनी है और सुशांत सिंह पाकिस्तानी युवक है। 

फिल्म में आमिर खान के अलावा सुशांत सिंह राजपूत, अनुष्का शर्मा, संजय दत्त, बोमन ईरानी ने भी मुख्य भूमिकाएं निभाई है।

स्त्रोत : पत्रिका


सायबराबाद, मुंबई एवं नागपुरमें धर्माभिमानी हिन्दुओंद्वारा परिवाद प्रविष्ट

धर्माभिमानी हिन्दुओंने सायबराबाद, मुंबई एवं नागपुरमें पुलिस अधिकारियोंको परिवाद दिए हैं । सायबराबादके सरूरनगर पुलिस  थानेमें के. करुणासागरने परिवाद दिया तथा इस चलचित्रसे सम्बन्धित सभी लोगोंपर कार्यवाही करनेकी मांग की गई । हिन्दू जनजागृति समितिके वैद्य उदय धुरीने नई मुंबई पुलिस आयुक्तको एवं नागपुरके हिन्दू धर्माभिमानी श्री. जयंत दळवीने नागपुर पुलिस  आयु्क्त, महाराष्ट्रके पुलिस महासंचालक तथा मुख्यमन्त्रीकोे लिखित परिवाद प्रविष्ट किया है । ‘पीके’ चलचित्रके अनेक संवादोंके कारण धार्मिक भावनाएं आहत हुर्इं, ऐसा कहा गया है । उदा. ‘जो डरते हैं, वही मन्दिर जाते हैं ।’,  ‘शिव को दूध चढाना अन्धश्रद्धा है ।’, ‘मन्दिर निर्माण करना तथा तीर्थयात्रा जाना ये  धर्म नहीं है ।’ इसमें ईश्वरको ‘लापता’ घोषित कर अनेक आपत्तिजनक दृश्य चित्रित किए हैं । अतः इस चलचित्रके निर्माता, दिग्दर्शक, अभिनेता, अभिनेत्री, अन्य कलाकार, कथा लेखक, वितरक एवं अन्य सभी सम्बन्धित व्यक्तियोंके विरोधमें हिन्दुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करना, हिन्दुओंकी धार्मिक भावनाएं भडकने समान संवाद-दृश्य प्रदर्शित करना एवं समाजमें धार्मिक वैमनस्य उत्पन्न कर सामाजिक मित्रता एवं एकताको बिगाडकर समाजकी शान्तिपर संकट लाना इत्यादिके विषयमें भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १५३ (अ), २९५ (अ) एवं अन्य धाराओंके नामपर फौजदारी स्वरूपके अपराध प्रविष्ट करनेकी मांग की गई है । इस चलचित्रमें मुख्यमन्त्री एवं पुलिस महासंचालकसे धार्मिक वैमनस्य उत्पन्न करनेवाले संवाद, दृश्य इत्यादि निरस्त करनेतक राज्यमें चलचित्रकी प्रदर्शनीपर तत्काल स्थगन लानेकी विनती भी की गई है । महाराष्ट्र विधिमण्डलके मुख्यमन्त्री एवं पुलिस महासंचालकसे वर्तमान समयमें चालू रहनेवाले शीतकालीन अधिवेशनमें आवाज उठानेकी मांग की गई है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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