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येस बैंक में फंसा है पुरी धाम के जगन्नाथ मंदिर का ५४५ करोड का धन  !

भगवान जगन्नाथ मंदिर भी सरकार ही चला रही है, तो मंदिर का धन सरकारी बँक मे क्यों नहीं रखा ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति

नयी दिल्ली/भुवनेश्वर : आरबीआई की ओर से निजी क्षेत्र के येस बैंक पर नियामकीय प्रतिबंध लगाने की वजह से ओड़िशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर गरीब होने के कगार पर खड़ा है। विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर के करीब 545 करोड़ रुपये येस बैंक में फंसे हैं। जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने येस बैंक से अपने 545 करोड़ रुपये बचाने की गुहार लगायी है। मंदिर प्रशासन को अपनी रकम को डूबने से बचाने की याद तब आयी, जब रिजर्व बैंक ने इस बैंक के खाताधारकों के लिए एक महीने में केवल 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय कर दी है।

बता दें कि रिजर्व बैंक ने गुरुवार की देर शाम को निजी क्षेत्र के येस बैंक पर वित्तीय अनियमितता की वजह से प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय बैंक ने निजी क्षेत्र के इस चौथे बड़े बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया और उसके खाताधारकों को एक महीने में 50,000 रुपये निकासी की सीमा तय कर दी है। बीते एक साल में पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉरपोरेशन (पीएमसी) बैंक के बाद यह दूसरा बड़ा मामला है, जब रिजर्व बैंक ने वित्तीय अनियमितता और घोटालों की वजह से प्रतिबंध लगाते हुए निकासी की सीमा तय की है।

गौरतलब है कि पुरी के प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर के पास ओड़िशा और राज्य के बाहर करीब 60,418 एकड़ की जमीन है। मंदिर के पास कुल जमीन ओड़िशा के पुरी शहर से भी 15 गुना अधिक है। केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के खजाने की रकम के प्रकाश में आने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के साल 2011 के एक आदेश के बाद इस बात का खुलासा हुआ है। संपत्ति के मामले में पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक बन गया है। अगर पुरी के जगन्नाथ मंदिर के मालिकाना हक वाली जमीन की बात करें, तो यह 244.5 वर्ग किलोमीटर है। पूरी शहर सिर्फ 16.33 वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है। कोर्ट की जांच में यह भी पता चला है कि मंदिर के पास कई खदान, खान एवं अन्य संपत्तियां हैं।

पुरी के इस मंदिर के दैतापति (सेवक) विनायक दासमहापात्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा येस बैंक पर रोक से सेवक और भक्त आशंकित हैं। उन्होंने कहा कि हम उन लोगों के खिलाफ जांच की मांग करते हैं, जिन्होंने थोड़े ज्यादा ब्याज के लालच में निजी क्षेत्र के बैंक में इतनी बड़ी राशि जमा करायी है। वहीं, जगन्नाथ सेना के संयोजक प्रियदर्शी पटनायक ने कहा कि भगवान के धन को निजी क्षेत्र के बैंक में जमा कराना न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि यह अनैतिक भी है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) और मंदिर की प्रबंधन समिति इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि निजी बैंक में पैसा जमा कराने के मामले में पुरी के पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गयी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इन आशंकाओं को खारिज करते हुए विधि मंत्री प्रताप जेना ने कहा कि यह पैसा बैंक में मियादी जमा (एफडी) के रूप में रखा गया है, बचत खातों में नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही एफडी की परिपक्वता अवधि इस महीने समाप्त होने के बाद इस कोष को येस बैंक से किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में स्थानांतरित करने का फैसला किया है।

स्त्रोत : प्रभात खबर

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