राजस्थान : बाबा श्याम के लक्खी मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के सेवार्थ भंडारों लगाने वालों की सुविधाएं बढ़ाने के बजाय प्रशासन ने आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है। इस बार खाटू मेले में भंडारा लगाने वालों को 11 से 21 हजार रुपए बतौर सफाई शुल्क चुकाना होगा। छोटे भंडारा संचालकों को 11 हजार व बड़े भंडारा संचालकों को 21 हजार रुपए चुकाने होंगे। गौरतलब है कि इससे पहले भंडारा लगाने वाली संस्थाओं को 2100 रुपए चुकाने होते थे, लेकिन इस बार सफाई शुल्क 10 गुना बढ़ा दिया गया है। गौरतलब है कि रींगस से खाटू मार्ग तक मेले के दौरान 100 से ज्यादा भंडारे लगाए जाते हैं। शुल्क में 10 गुना बढ़ोतरी करने के कारण कई संचालक इस बार भंडारा लगाने से पीछे हट गए है। भंडारों की संख्या में कमी से श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
भंडारा संचालकों का कहना है कि प्रशासन का 10 गुना सफाई शुल्क बढ़ाना नाजायज है। उनका कहना है कि मेले में जिला प्रशासन, नगरपालिका और ग्राम पंचायत की ओर से भंडारा संचालकों को काेई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है। लाइट, पानी, शौचालय, सफाई की सुविधा भंडारा संचालकों को अपने स्तर पर करनी होती है। भंडारा संचालकों ने बढ़े हुए शुल्क के विरोध में मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन दिया है। जिससे शुल्क पूर्ववत ही रखने की मांग की है। उन्होंने बताया कि बैठक में शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया, तब भी कई लोगों ने विरोध जताया, लेकिन इसके बावजूद फैसला लागू किया गया।
भंडारा संचालक बोले- प्रशासन कोई सुविधा ही नहीं देता तो शुल्क किस बात का
श्री श्याम सेवा परिवार सेवा समिति गोविंद अग्रवाल ने बताया कि, बाबा श्याम के मेले में पिछले 20 सालों से भंडारे लगाकर श्याम भक्तों की सेवा कर रहे रहे हैं। इस बार तुगलकी फरमान जारी कर श्याम भक्तों की आस्था पर प्रहार किया है, जो सरासर गलत है। मेले में भंडारा संचालकों प्रशासन के द्वारा कोई सुविधा नहीं दी जाती है।
श्याम सेवा केंद्र के अध्यक्ष अरुण कुमार गोयल ने बताया कि भंडारों को प्रशासन का सदैव ही नकारात्मक रवैया रहा है। मेले बाबा श्याम के भक्तों की सेवा करने लिए आते हैं। पिछले सात सालों से मेले में अपनी सेवा दे रहे थे। इस बार सीकर के कलेक्टर के कारण भंडारा नहीं लगा पाएंगे।अब तीन दिन ही भंडारा लगाएंगे।
श्याम युवा मण्डल समिति शास्त्री नगर जयपुर के पीयूषपाणि चतुर्वेदी ने बताया कि नगरपालिका और ग्राम पंचायत की तरफ से भंडारा संचालकों को कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जाती। ऐसे में भारी शुल्क लेना न्यायोचित नहीं है। भंडारा संचालक भंडारे के लिए जमीन का किराया स्थानीय काश्तकार को चुकाते हैं। यह 40 हजार से 60 हजार रुपए होता है।
सांवरिया सेवा केंद्र सचिव अंकुर अग्रवाल ने बताया कि खाटूश्यामजी मेले को लेकर सीकर का प्रशासन मनमर्जी पर उतर रहा है, जिसका हम विरोध करते हैं। भंडारे में लोग भक्तों की सेवा करते है। ऐसे में सफाई व्यवस्था के नाम पर 10 गुना शुल्क बढ़ाना नाजायज है।
रामलाल ने पूछा क्या अजमेर दरगाह जियारत करने वालों से भी ऐसी ही वसूली होती है। उन्होंने सरकार से खाटूश्यामजी में भंडारों और चिकित्सा शिविरों से वसूली बंद करने की मांग की।
शुल्क बढ़ाने का मामला सदन में गूंजा, भाजपा ने किया विरोध
भाजपा विधायक रामलाल शर्मा ने शून्यकाल के दौरान खाटू श्याम जी मेले में भंडारों पर शुल्क बढ़ाने का मामला उठाया। रामलाल शर्मा ने कहा, एक ओर सरकार खाटू श्याम जी में भंडारों से १० गुना अधिक शुल्क वसूल रही है, वहीं दुसरी ओर अजमेर दरगाह जियारत करने वालों को सब्सिडी देती है। क्या यही इनकी धर्मनिरपेक्षता है ? उन्होंने सरकार से खाटूश्यामजी में भंडारों और चिकित्सा शिविरों से वसूली बंद करने की मांग की।
स्त्राेत : भास्कर