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हिन्दू जनजागृति समिति के ४ वर्षों के संघर्ष को मिली बडी सफलता
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विधि लागू होनेतक समीक्षा करते रहने का शिवसेना एवं भाजपा विधायकों का आश्वासन
मुंबई : केंद्र शासन के चिकित्सकीय प्रतिष्ठान विधि २०१० (क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट २०१०) लागू करने से निर्धन रोगियों को उनकी आर्थिक क्षमता के अनुसार चिकित्साएं मिलेंगी । साथ ही निजी चिकित्सालय, आधुनिक वैद्य एवं पैथॉलॉजी लैब के द्वारा रोगियों की लूट भी रुकेगी । अतः महाराष्ट्र में प्रस्तुत विधि लागू हो; इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा दिसंबर २०१६ से जनप्रतिनिधियों से मिलना, आंदोलन चलाना आदि माध्यमों से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं । वर्तमान अर्थसंकल्पीय अधिवेशन में भी शिवसेना एवं भाजपा के विधायक, साथ ही स्वास्थ्यमंत्री राजेश टोपे को ज्ञापन प्रस्तुत कर इसकी समीक्षा की गई । इस पृष्ठभूमिपर विधानपरिषद में एक ध्यानाकर्षक सूचना का उत्तर देते हुए चिकित्सकीय शिक्षा मंत्री अमित देशमुख ने सरकार द्वारा इस विधि को महाराष्ट्र में लागू किए जाने की घोषणा की । इससे हिन्दू जनजागृति समिति के संघर्ष को बडी सफलता मिल गई है ।
शिवसेना विधायक सर्वश्री भरतशेठ गोगावले, विश्वनाथ भोईर, संजय रायमुलकर, प्रकाश सुर्वे, अजय चौधरी, प्रकाश आबिटकर, प्रदीप जयसवाल, डॉ. राहुल पाटिल; भाजपा विधायक सर्वश्री गोवर्धन शर्मा, अतुल भातखळकर, सुरेश (मामा) भोळे; साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक चंद्रकांत नवघरे से मिलकर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से इस विधि को लागू करने की मांग की गई ।
इससे पहले तत्कालीन स्वास्थ्यमंत्री डॉ. दीपक सावंत, साथ ही मंत्री एकनाथ शिंदे से मिलकर समिति ने यह विधि बनाने की मांग की थी ।
शिवसेना, भाजपा, राष्ट्रवादी एवं कांग्रेस इन राजनीतिक दलों के अनेक तत्कालीन विधायकों को प्रत्यक्षरूप से ज्ञापन प्रस्तुत किए गए थे और इसपर अनेक विधायकों ने अपने लेटरहेडपर पत्रव्यवहार कर सरकार से इस विधि को लागू करने की मांग की थी ।
अनेक वर्षोंतक समीक्षा कर भी निर्णय होने में विलंब होने के कारण वर्तमान अर्थसंकल्पीय अधिवेशन में शिवसेना विधायक श्री. भरतशेठ गोगावले ने हिन्दू जनजागृति समिति के शिष्टमंडल के साथ स्वास्थ्यमंत्री राजेश टोपे से भेंट की । तब उन्होंने इस विधि को लागू करना १०० प्रतिशत आवश्यक है, यह भूमिका ली, तो शिवसेना के सर्वश्री प्रकाश सुर्वे, संजय रायमुलकर तथा भाजपा विधायक श्री. सुरेश भोळे ने इस विधि को लागू करने हेतु मुख्यमंत्री और सरकार से इस मांग को लगाए रखने का समिति को आश्वासन दिया ।
क्या है यह विधि ?
आज देश में बिस्कुट का एक पैकेट भी बेचना हो, तो भी उसके लिए न्यूनतम समान मूल्य (एम्.आर्.पी.) सुनिश्चित किया गया है; परंतु जो जनता के जीवन-मृत्यु से संबंधित है, उस स्वास्थ्यसेवा के मूल्य सुनिश्चित नहीं किए गए हैं । इसका अनुचित लाभ उठाकर अधिकांश आधुनिक वैद्य (डॉक्टर्स), चिकित्सालय और चिकित्सकीय परिक्षण प्रयोगशालाएं (लैब्स) रोगियों से कैसे अधिक से अधिक पैसे वसूले जा सकते हैं ? तथा किसी परीक्षण की अनुशंसा करनेपर स्वयं को कितने पैसे (कमिशन) मिलेंगे ?, यह देख रहे हैं । उससे सर्वसामान्य रोगी अत्यंत व्यथित हुए हैं और उनपर चिकित्सालय की सीढी ही नहीं चढनी चाहिए, ऐसा कहने की स्थिति आई है । इसपर उपाय के रूप में तत्कालीन केंद्र सरकार ने क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट २०१० विधि पारित की थी और उसके क्रियान्वयन के अधिकार राज्य सरकारों को प्रदान किए थे । यह विधि किसी राज्य में लागू होनेपर प्रत्येक चिकित्सालयों को स्वास्थ्यसेवा, चिकित्सकीय परिक्षण, शल्यचिकित्सा और चिकित्सा के मूल्य की सारणी दर्शनीय भाग में लगाना अनिवार्य होगा । इसके कारण चिकित्सालयों को अ, ब, क और ड की श्रेणी के अनुसार ही शुल्क लेना पडेगा । इससे शासन और रोगियों के सहस्रों करोड रूपए बचेंगे । महाराष्ट्र से सटा राज्य कर्नाटक, साथ ही राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्कीम जैसे अनेक राज्यों ने तत्परता दिखाकर इससे पहले ही इस विधि का क्रियान्वयन करना आरंभ किया है ।