हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित शौर्य जागरण शिविर
समापन के अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज की तिथि के अनुसार जयंती मनाई गई
सोलापुर : विद्यालयों और महाविद्यालयों में छत्रपति शिवाजी महाराज का सच्चा इतिहास सिखाया जाना चाहिए। हमारे सामने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहल्यादेवी होळकर, राजमाता जिजाऊ जैसी हिन्दू वीरांगनाओं का आदर्श है। हिन्दूओं का इतिहास शौर्य से भरा हुआ है। आजकल अनेक लोग पाश्चात्यों का अंधानुकरण करते हैं, जिससे हिन्दू संस्कृति नष्ट हो रही है; इसलिए हर हिन्दू को धर्मशास्त्र के अनुसार आचरण करना आवश्यक है। आनेवाले कुछ दिनों में आनेवाले गुढी पाडवे के दिन किसी भी धर्मविरोधी आवाहनों पर बलि न चढते हुए शास्त्र के अनुसार ब्रह्मध्वज अर्थात गुढी खडी करेंगे।
आजकल कोरोना विषाणु के कारण हिन्दू धर्म की ‘नमस्कार’की पद्धति विश्वमान्य हो रही है। अतः हम भी धर्मपालन कर धर्मरक्षा करेंगे। हिन्दू जनजागृति समितिप्रणीत रणरागिणी शाखा की श्रीमती अलका व्हनमारे ने ऐसा आवाहन किया।
१२ मार्च को छत्रपति शिवाजी महाराज की तिथि के अनुसार जयंती, साथ ही ५ से ११ मार्च की अवधि में आयोजित शौर्य जागरण शिविर का समापन यहां के बनशंकरीनगर में संपन्न हुआ। उसमें ‘हिन्दू धर्म की महानता, धर्माचरण का महत्त्व एवं हिन्दू राष्ट्र की अनिवार्यता’ इन विषयों पर वे बोल रही थीं। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. मीनेश पुजारे भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के आरंभ में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का पूजन किया गया। इस समय ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जय हो’, ‘रणरागिणी झांसी की रानी की जय हो’, ‘जयतु जयतु हिन्दू राष्ट्रम्’की घोषणाएं दी गईं। शौर्य जागरण शिविर में सहभागी युवतियां और उनके अभिभावक भी इसमें उपस्थित थे। कार्यक्रमस्थल पर सनातन संस्थाद्वारा प्रकाशित ग्रंथ एवं सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया था।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात