झारखंड में कोरोना के प्रकोप से जनता को बचाने के लिए पूर्ण रूप से लॉकडाउन घोषित है। बावजूद इसके विशेष समुदाय के लोगों की मनमानियाँ कम होती नहीं दिख रहीं। सरकार और प्रशासन के बार-बार समझाने के बावजूद राँची के रातू थाना क्षेत्र के परहेपाट गाँव के मदरसे में मंगलवार (मार्च 24, 2020) को शिक्षण कार्य जारी रखा गया। मदरसे का दरवाजा बंद करके बच्चों को यहाँ पढ़ाया गया। जानकारी के मुताबिक इस मदरसे में 600 छात्राएँ पढ़ती हैं।
उल्लेखनीय है कि मदरसे के संचालक पर बच्चियों को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगा है। छात्राओं के परिजनों ने कहा है कि उन्होंने मदरसे के संचालक से छुट्टी के लिए कहा था। मगर न तो बच्चियों को छुट्टी दी गई और न ही उनसे उन्हें मिलने दिया गया। वहीं, मदरसे के मोहतमीम (मदरसे के प्रधानाध्यापक) अब्दुल्लाह अंसारी ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दी। अंसारी और मदरसे के सचिव इदरीश अंसारी ने बताया कि मदरसे में परीक्षा चल रही थी। इसी कारण छात्रों को मदरसे में रखा गया।
एक ओर जहाँ लॉकडाउन के दौरान शिक्षण कार्य जारी रखने और अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई मदरसे के उच्च अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। तो दूसरी ओर ये बात निकलकर सामने आई है कि अभिभावकों की शिकायतें निराधार नहीं है। दरअसल, मदरसे में रह रही एक बच्ची ने खुद अपने परिजनों को सूचना दी थी कि उन्हें वहाँ जबरन बंधक बना कर रखा गया है। इसके बाद ही पूरे मामले की जानकारी पुलिस को दी गई और ग्रामीण एसपी, रातू सीओ, रातू थाना प्रभारी सहित अन्य अधिकारी मौक़े पर पहुँचे।
पहले पुलिस प्रशासन को मदरसे का गेट बाहर से बंद मिला। लेकिन जब पुलिस ने गेट तोड़ा तो वहाँ पर बच्चियाँ मौजूद थीं। अधिकारियों ने फौरन बच्चियों को बाहर निकाला और अभिभावकों को बुलाकर उन्हें उनके-उनके घर भेजा। खबरों के अनुसार, इस कार्रवाई के दौरान हॉस्टल में 500 छात्राएँ मौजूद थीं।
इसके बाद मदरसे के संचालक पर लॉकडाउन उल्लंघन के लिए एफआईआर की माँग हुई। हालाँकि अभी ये पुष्टि नहीं हुई है कि अब्दुल्ला अंसारी पर केस दर्ज हुआ कि नहीं। लेकिन पुलिस ने आरोपितों को हिरासत में लेकर कार्रवाई की बात की है। बता दें परिजनों ने पुलिस को बताया कि बच्चियों की छुट्टी 18 मार्च को ही कर दी गई थी। लेकिन फिर भी सभी को रोककर रखा गया और उन्हें बंधक बनाया गया।
संदर्भ : OpIndia