कोरोना के संदर्भ में तबलीगी जमात की सच्चाई सामने आने के उपरांत संपूर्ण देश में भय का वातावरण बना है । कलतक केंद्र और राज्य सरकारें देश में कोरोना का संक्रमण न फैले; इसके लिए दिन-रात अथक प्रयास कर रहे हैं, तो दूसरी ओर तबलीगी जमात ने मेहनत पर पानी फेरने का काम किया है । अब देश के सामने कोरोना के नए सुलेमानी संकट से जनता की रक्षा करने की नई चुनौती खडी है । एक ओर जहां देश कोरोना के तिसरे चरण में पहुंचने की कगारपर खडा है, तो ऐसे में तबलीगी जमात के इस जनताद्रोही कृत्य के कारण भारत सचमुच ही कोरोना के तिसरे चरण में पहुंचा, तो उसमें आश्चर्य कैसा ? युरोप और अमेरिका में जिस प्रकार कोरोना का संक्रमण फैला, उसके लिए फ्रान्स में स्थित सुपर चर्च में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम भी कारण बना था । उस कार्यक्रम में सहभागी लोग जब वापस अपने मूल स्थानपर गए, तब अन्य लोगों को भी कोरोना का संक्रमण हुआ । अब यही घटना तबलीग के कारण भारत में हो सकती है । केवल भारत ही नहीं, अपितु मार्च माह में पाकिस्तान और मलेशिया में भी तबलीग के कार्यक्रम आयोजित किए गए थे और उसके पश्चात इन दोनों देशों में कोरोना का संक्रमण बडी मात्रा में बढा है । देहली में संपन्न कार्यक्रम में सहभागी लोग १९ राज्यों में लौट गए हैं । अभीतक उनमें से १० लोगों की मृत्यु हुई है; परंतु उनके कारण और कितने लोगों में संक्रमण हुआ है, यह अभीतक स्पष्ट नहीं हुआ है । अब प्रत्येक राज्य तबलीग के कार्यक्रम में सहभागी लोगों को ढूंढकर उनका अलगाव कर रहे हैं । यह सब होते समय अब तबलीगी जमात के संदर्भ में कुछ जानकारी भी सामने आने लगी है । उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान इन देशों में इस संगठनपर प्रतिबंध लगाया है । जमात का आतंकवाद से गुप्त संबंध होने से इन देशों ने तबलीगपर प्रतिबंध लगाया है । अनेक जिहादी आतंकियों को पाकिस्तान पहुंचाने हेतु जमात के देहली के मरकज मस्जिद के मुख्यालय से सहायता दी जाने की बात भी सामने आई है । लंडन के ग्लास्गो हवाई अड्डेपर किए गए आतंकी आक्रमण के प्रकरण में इस संगठन का नाम सामने आया था । इस प्रकरण में गिरफ्तार भारतीय वंश का कफील अहमद तबलीगी जमात से संबंधित था । बोस्निया के आक्रमण के प्रकरण में भी जमात का संबंध होने की बात सामने आई थी । वर्ष २०११ में कराची में हुए आतंकी आक्रमण के पश्चात पाकिस्तान ने इस संगठनपर प्रतिबंध लगाया था । भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने भी पहले इस संगठन का कार्य रहस्यमय होने की बात कही थी । डोवाल ने ही २८ मार्च की रात में मरकज मस्जिद के प्रमुख लोगों से वार्तालाप कर उन्हें कोरोना की जांच करने के लिए कहा और उसके पश्चात उनकी जांच की गई । उसके पश्चात विस्मयकारी जानकारी सामने आई । देहली और संपूर्ण देश में धारा १४४ लागू होते हुए भी मरकज मस्जिद में २ सहस्र लोक एकत्रित कैसे रह रहे थे ? पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी थी, तो उन्होंने उनके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की ?, ये प्रश्न भी यहां उपस्थित होते हैं । जमात ने भी सरकारपर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने सरकार से मस्जिदों में एकत्रित लोगों को उनके घर भेजने का प्रबंध करने के लिए कहा था; परंतु प्रशासन ने किसी प्रकार का प्रबंध नहीं किया । तो यदि जमात के इस आरोप में तथ्य है, तो प्रशासन ने इसकी अनदेखी क्यों की ?, यह प्रश्न उपस्थित होता है । इस संदर्भ में जमात के कार्यक्रम के आयोजक मौलाना मोहम्मद साद का एक ऑडियो भी सामने आया है । उसमें उन्होंने मस्जिद में मरने की अपेक्षा और अधिक अच्छी बात क्या हो सकती है ?, इसे ध्यान में लेकर आप लोग यही रहें, यह वक्तव्य देने की बात सामने आई है । इससे जमात की मानसिकता ध्यान में आती है । यहां के कार्यक्रम के उपरांत जमात के सदस्य बडी संख्या में देश में फैल गए और अब उनके कारण अनेक लोगों में कोरोना का संक्रमण हुआ है ।
तबलीगी जमातपर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए !
तबलीगी जमात संगठन किसी भी सरकार, राजनीतिक दल अथवा अन्य किसी संगठन से संबंध नहीं रखता । यह संगठन किसी भी कार्यक्रम में सहभागी नहीं होता । यह संगठन संपूर्णरूप से अलिप्त रहकर कार्य करता है, उसके कारण लोगों को इस संगठन के संदर्भ में अधिक जानकारी नहीं है । उनपर यह आरोप भी लगाया जाता है कि यह संगठन कट्टरतावादी सुन्नी लोगों का संगठन है । आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट भी सुन्नी मुसलमानों का संगठन है । अतः अब क्या इस संगठन का इस्लामिक स्टेट से कुछ संबंध है ?, इसकी जांच की आवश्यकता है । उत्तर प्रदेश के शिया मुस्लिम वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने भी इस संगठनपर मानवीय बम बनाने का आरोप लगाया है । इस्लाम का प्रसार करना इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है । इस संगठन ने अभीतक अन्य धर्मों से विशेषरूप से धर्मांतरित हिन्दुओं को इस्लाम की शिक्षा देने का काम किया है और इसका प्रसार १५० देशों में है । अब केंद्र सरकार को यह संगठन किस प्रकार से इस्लाम की शिक्षा देता है ?, इसकी जांच करनी चाहिए । इससे कितने लोग आतंकवाद की ओर झुके हैं ?, इसकी भी जांच की आवश्यकता है । अब जनता की ओर से जमात की आलोचना होना आरंभ होनेपर कुछ मुसलमान नेता और मौलानाओं ने इस संदर्भ में मुसलमानों को जानबूझकर लक्ष्य बनाए जाने का आरोप लगाया है । वास्तव में देश में सर्वत्र ही यातायात बंदी होते हुए और हिन्दुओं द्वारा उनके मंदिरों को बंद किए जाने के पश्चात भी मस्जिदों और तबलीगी जमात की मरकज मस्जिद में बडी संख्या में लोग क्यों जा रहे थे अथवा वहां क्यों रह रहे थे?, इसका उत्तर वे क्यों नहीं देते ? जमात के लोगों को मस्जिद से बाहर निकालकर कारोना संदेहित के रूप में उन्हें जब बस में भरकर अलगाव केंद्र में ले जाया जा रहा था, तब वे सडकपर क्यों थूक रहे थे ?, इसका उत्तर ये नेता क्यों नहीं देते ? थूक के द्वारा कोरोना का संक्रमण हो सकता है, यह ज्ञात होते हुए भी ये लोग जानबूझकर ऐसा कर रहे थे, ऐसा किसी ने कहा, तो उसे अनुचित कैसे कहा जा सकता है ? इसलिए कुल मिलाकर तबलीगी जमात का इतिहास और उसका वर्तमान देखते हुए उसपर प्रतिबंध लगाकर देश की रक्षा करना ही उचित होगा !