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बेटे को दूध पिलाने में बिजी, शौहर को नहीं दे सकी चाय : हाजी अफजल ने दिया तलाक

कोरोना वायरस के कारण लागू किए गए लॉकडाउन में हर कोई अपने घरों में हैं। ऐसे में सबका ज्यादातर समय अपने माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन व बच्चों के बीच व्यतीत हो रहा है। कुछ लोग इस लॉकडाउन को परिवार के साथ रहने के लिहाज से अच्छा समय मान रहे हैं। तो कुछ ऐसे हैं, जो परिवार के साथ अत्यधिक समय बिता देने के कारण उन पर गुस्सा निकाल रहे हैं। ऐसे में एक अलग मामला सामने आया है। जहाँ शौहर ने घर पर बैठे-बैठे अपनी बीवी से चाय माँगी। मगर, जब बीवी ने उसकी बात नहीं सुनी तो उसने गुस्से में उसे तीन तलाक दे दिया और अपनी बीवी को 2 साल के मासूम समेत घर से बाहर कर दिया।

घटना उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रामनगर थाना क्षेत्र के सुंधियामऊ की है और चाय न मिलने पर नाराज होने वाले युवक का नाम हाजी अफजल है। जानकारी के मुताबिक लॉकडाउन के दिनों में घर में बैठे हाजी ने अपनी बीवी दरकशा से चाय माँगी। लेकिन किसी कारणवश उसकी बीवी ने उसकी बात नहीं सुनी और उसे चाय नहीं मिली। बस इसी बात को अफजल ने अपनी आन पर ले लिया। उसने न केवल इसके बाद अपनी बीवी दरकशा को तलाक दिया, बल्कि उससे मारपीट की और उसे बच्चे समेत घर से बाहर कर दिया।

दरकशा द्वारा पेश किए गए सबूत के मुताबिक, 3 साल पहले पीड़िता का निकाह हाजी से हुआ था। इसके बाद इनका एक बेटा हुआ, जो वर्तमान में 2 साल का है। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, दरकशा का कहना है कि उनकी शादी को तीन साल बीत गए हैं। उनका एक बेटा भी है। उनका कहना है कि जब हाजी ने उनसे चाय माँगी तो वे बेटे के लिए दूध की शीशी बना रही थीं। इस वजह से वे उसे चाय नहीं दे पाईं। बस इसी कारण अफजल ने उन्हें मारा और तीन तलाक देकर घर से बाहर कर दिया।

दरकशा का कहना है कि लॉकडाउन के कारण इस समय वह अपने घर लखनऊ भी नहीं जा सकतीं। इसलिए गाँव में अपने रिश्तेदार के यहाँ रह रही हैं। साथ ही पुलिस से न्याय की गुहार लगा रही हैं। जानकारी के मुताबिक पुलिस ने महिला की शिकायत पर एक्शन लेते हुए हाजी अफजल पर व उसके परिवारवालों पर मामला दर्ज कर लिया है। अब आगे की पड़ताल कर मामले पर कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले साल तीन तलाक़ जैसी कुरीति से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने के लिए मोदी सरकार ने इसे लोकसभा में पास करवाया था। बाद में तीन तलाक को अपराध बनाने वाले बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर किया था। जिसमें कहा गया था कि 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी मामले तीन तलाक से संबंधित आए हैं, उन सभी का निपटारा इसी कानून के तहत किया जाएगा। कानून में इसके लिए कैद की सजा का प्रावधान भी है।

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