चैत्र शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५
श्री जोतिबा यात्राके निर्बंधका प्रकरण
कोल्हापुर,(महाराष्ट्र) – जनपद प्रशासनद्वारा हिंदुओंपर निर्बंध लगाए गए थे कि श्री जोतिबा यात्राकी सासनकाठीकी उंचाई ४० फुटसे अल्प हो तथा पालकी समारोहमें ऊंट-घोडोंका सहभाग न हो । (हिंदू असंगठित हैं । इसीलिए प्रशासन ऐसे निर्बंध लगानेका साहस करता है !- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) श्रद्धालु इस निर्णयका भीषण विरोध कर रहे थे । इस संदर्भमें गृहमंत्री रा.रा.पाटिलने जनपद प्रशासनको १८ अप्रैलको आदेश दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि श्री जोतिबा यात्रामें सम्मिलित किए जानेवाले सासनकाठियोंकी उंचाई अल्प करनेके विषयमें निर्णय न लें । यात्रामें जो प्रथा-परंपराएं चलती आई हैं, उन परंपराओंका विरोध कर जनपद प्रशासन श्रद्धालुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत न करे । इस विषयमें जनपद प्रशासन कोई हस्तक्षेप न करे । (प्रस्तावित (अंध)श्रद्धा निर्मूलन अधिनियममें भी हिंदुओंकी धार्मिक प्रथा-परंपराओंको नष्ट करनेके अनुबंध हैं । श्री जोतिबा यात्राके विषयमें विचार करनेवाले गृहमंत्री इसी प्रकारसे विचार कर यह विधेयक स्थायी रूपसे क्यों नहीं निरस्त करते ? हिंदुओ, लोकप्रतिनिधिद्वारा यह अधिनियम स्थायी रूपसे निरस्त होनेतक आप संगठित रूपसे आपका विरोध जारी रखें ! – संपादक) पालकी समारोहमें ऊंट, घोडोंको अनुमति दी गई है । शाहूवाडी-पन्हाळाके विधायक श्री. विनय कोरकी अध्यक्षतामें जोतिबा डोंगरके पुजारी एवं श्रद्धालुओंके प्रतिनिधिमंडल एवं प्रशासकीय अधिकारीने मुंबईमें पाटिलसे मुंबईमें भेंट की थी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात