मजाकुर ममद अब्दुल्ला लुहार नाम के एक शख्स को समाज-विरोधी गतिविधियों की रोकथाम (PASA) के तहत सूरत की लाजपोर जेल में भेज दिया गया। बता दें कि अब्दुल्ला लुहार को महीने की शुरुआत में भुज की एक मस्जिद में देर रात घुसने माइक से अजान देकर भड़काऊ अपील करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
स्वराज्य इंटर्न हर्षिल मेहता के अनुसार, बाद में उसके खिलाफ आईपीसी और महामारी रोग अधिनियम की धारा 153, 153A / B, 188, 504, 269 और 270 के तहत FIR दर्ज की गई थी।
Maamad Abdullah Luhar, who reportedly appealed Muslims to wake up and pick arms in Bhuj, has been charged with Prevention of Anti-Social Activities (PASA) act by authorities.
He has been sent to Lajpor Central Jail, Surat.
FIR against him is also attached. pic.twitter.com/6pilsese34
— Harshil Mehta હર્ષિલ મહેતા (@MehHarshil) May 18, 2020
घटना को लेकर ताजा जानकारी देने के लिए स्थानीय कच्छ क्राइम ब्रांच ने 14 मई 2020 को एक बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन जारी होने के बावजूद, मजाकुर ममद अब्दुल्ला लुहार ने मस्जिद में प्रवेश किया और माइक्रोफोन पर बेवक्त अजान दिया और सांप्रदायिक कलह को भड़काने की कोशिश की।
प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि लुहार ने लोगों को बाहर आने और संक्रमित होने के लिए उकसाया था और इसलिए उसके खिलाफ समाज विरोधी गतिविधियों (PASA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया था। क्राइम ब्रांच ने बताया कि आरोपित को सूरत की लाजपोर जेल भेज दिया गया है।
मुसलमान अब जागो, हथियार उठाओ और अपने घर से बाहर आओ: भुज की मस्जिद से देर रात अजान
गुजरात के भुज में एक मस्जिद से देर रात को अजान दी गई। मुसलमानों से हथियार उठाकर घर से निकलने की अपील की गई।
संदेश में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार घटना भुज के कोकड़ी रोड स्थित बाकली कॉलोनी की है। यहॉं मस्जिद से बेवक्त अजान देकर अपील की गई, “मुसलमान अब जागो, हथियार उठाओ और अपने घर से बाहर आओ।”
पुलिस ने कथित तौर पर अजान देने वाले शख्स को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में आगे की जाँच की जा रही है। अब्दुल्ला लुहार कथित तौर इमाम-ए-रब्बानी नामक मस्जिद में देर रात करीब 2:30 बजे घुस गया और लाउडस्पीकर से असमय अजान दी।
बेवक्त के अजान से जाहिर होता है कि सांप्रदायिकता विद्वेष फैलाने के इरादे से ऐसा किया गया है। आरोपी ने लाउडस्पीकर से भड़काऊ ऐलान किए। कथित तौर पर उसने घोषणा की, “मैं कच्छ का राजा हूँ। मुसलमानों को जाग जाना चाहिए और हथियार उठाकर अपने घरों से बाहर आना चाहिए।” इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई और मौके पर पहुँच गई।
लॉकडाउन के कारण जमावड़े पर है प्रतिबंध
यहाँ यह बताना बेहद जरूरी है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन में किसी भी स्थान पर लोगों का एकत्र होना प्रतिबंधित है। धार्मिक स्थलों पर भी जुटान की मनाही है।
कई राज्यों में स्थानीय प्रशासन कोरोना के प्रति मुस्लिम समुदाय में जागरुकता फैलाने के लिए मस्जिद के मौलवियों और इमामों के साथ समन्वय बनाए हुए हैं। ऐसी स्थिति में बिना समय के अजान देना सांप्रदायिक हिंसा को भड़का सकता है।
मस्जिदों से हिंसा फैलाने की कुछ पिछली घटनाएँ
पिछले महीने बेंगलुरु में आशा कार्यकर्ताओं और नर्सों के एक समूह पर कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट सादिक लेआउट क्षेत्र में स्थानीय लोगों द्वारा हमला किया गया था। स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया था कि पॉजिटिव केस मिलने के बाद वे इलाके में सैंपल लेने गए थे। उसी समय स्थानीय लोगों की भीड़ ने उन पर हमला किया और उन्हें पीटा। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें पीटने के लिए स्थानीय मस्जिद से आह्वान किया गया था।
28 अप्रैल को गुजरात के वडोदरा में कसम आला मस्जिद क्षेत्र के पास सेहरी के बाद एक पुलिस टीम पर स्थानीय लोगों द्वारा हमला किया गया था। जब पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो कथित तौर पर मुख्य आरोपी नजीर और उसके सहयोगियों की एक भीड़ उन पर हमला कर दिया।
कुछ इसी तरह 27 अप्रैल को औरंगाबाद में लॉकडाउन का पालन कराने और मस्जिद में इबादत के लिए इकट्ठा हो रही भीड़ को रोकने के लिए जब पुलिस की टीम मौके पर पहुँची तो महिलाओं सहित भीड़ ने हमला कर दिया।
वहीं 2 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में लोगों की भीड़ ने पुलिस को घेरकर उन पर पत्थर बरसाए थे। यह घटना उस समय घटित हुई कि जब पुलिस सराय रहमान क्षेत्र की एक मस्जिद में सामूहिक नमाज को रोकने के लिए गई थी।