मनोरंजन इंडस्ट्री में दशकों से जमे इकोसिस्टम को देखें तो ये तो मानना ही पड़ेगा कि इनमें से काफ़ी लोग प्रतिभाशाली और क्रिएटिव रहे हैं। एक ऐसी चीज, जो दक्षिणपंथी निर्माता-निर्देशकों-लेखकों में या तो है नहीं या फिर उन्हें इसे दिखाने के उचित मौके नहीं मिले। हम बात कर रहे हैं अमेजन प्राइम पर आए वीडियो सीरीज ‘पाताल लोक’ की, जिसमें हिन्दू-घृणा कूट-कूट कर भरी हुई है। यदि कथित सवर्णों के प्रति घृणा को भी जोड दें तो ‘पाताल लोक’ कई अवॉर्ड्स जीत सकती है।
आखिर क्या है ‘पाताल लोक’? कहानी आउटर जमुना पार पुलिस स्टेशन की है। यही है पाताल लोक, जहां पुलिस अधिकरी पोस्टिंग होने से भागते हैं। शुरू में ही बता दिया जाता है कि, कहां-कहां पोस्टिंग होना स्वर्ग लोक के समान है और कहां पृथ्वी लोक के सामान। ‘पातल लोक’ का एक बना बनाया सिस्टम है, जो वैसे ही चला आ रहा है। अधिकतर मामलों में केस की जांच शुरू होने से पहले ही निर्णय सुनाया जाता है और फिर परिणाम तक पहुंचा जाता है।
इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी इस सीरीज के मुख्य किरदार हैं, जिसे जयदीप अहलावत ने अदा किया है। हमने उन्हें अक्षय कुमार के ‘गब्बर इज बैक’ में एक जांच अधिकारी के किरदार में देखा था। उस किरदार में से ग्लैमर हटा कर उसे और गरीब बना दिया जाए तो ‘पाताल लोक’ का उनका किरदार बन जाता है। वही मध्यम वर्गीय पुलिस अधिकारी जिसकी बीवी भी रुपए कमाने की जुगत में लगी है, जो अपने बेटे को किसी तरह महंगे विद्यालय में पढा रहा है, जिसका सालों से प्रमोशन नहीं हुआ, जिसे पुलिस विभाग में कम बुद्धि वाला माना जाता है।
‘पीके’ वाला फंडा : तब भगवान शंकर थे, अब नरसिंह हैं
वैसे तो ये दृश्य अंतिम एपिसोड में आता है लेकिन इसका जिक्र सबसे पहले करना ज़रूरी है। जब आमिर खान से पूछा गया था कि उन्होंने ‘पीके’ में हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक क्यों बनाया तो उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा तो होता है, नसीरुद्दीन शाह की फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ में ऐसा हुआ था। बता दें कि उस फ़िल्म के अंतिम दृश्य में महाभारत और अनारकली वाले नाटक को मिक्स कर दिया जाता है। इसी तरह ‘पाताल लोक’ में भी जब इंस्पेक्टर चौधरी भागते रहते हैं तो एक मेले चल रहे भक्त प्रह्लाद वाले नाटक में पहुंच जाते हैं।
गुंडे उनका पीछा कर रहे होते हैं, जिनसे भागते-भागते वो स्टेज पर चढ जाते हैं। संयोग देखिए कि ठीक उसी समय खम्भे को फाड कर हिरण्यकश्यप राक्षस के समक्ष भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह प्रकट होते हैं। नरसिंह के किरदार को भागते हुए इंस्पेक्टर चौधरी जोर का धक्का देकर निकल जाते हैं। नरसिंह सीधा हिरण्यकश्यप के ऊपर गिरते हैं। सोचिए, यदि ऐसा किसी और धर्म या मजहब के ईश्वर के साथ किया गया रहता तो क्या होता? क्या ये सीरीज रिलीज हो पाती?
निर्देशक फराह खान, अभिनेत्री रवीना टंडन और कॉमेडियन भारती सिंह ने एक शो के दौरान बाइबिल के किसी शब्द को लेकर हल्का सा मजाक कर दिया था तो इतना विरोध हुआ था कि उन तीनों को क्षमा मांगनी पडी थी। इतने पर भी बात नहीं बनीं तो भारत में वेटिकन के आर्कबिशप के पास जाकर लिखित माफीनामा सौंपना पडा था। यही सेलेब्रिटीज हिन्दुओं के मामले में स्वयं के न झुकने का दिखावा करते हुए निडरता का स्वांग भरते हैं। मुसलमानों या ईसाईयों का एक समूह भी विरोध कर दे तो इनकी घिग्घी बंध जाती है।
हिंदूवादियों से लोग डरते हैं, वो मार-काट मचाते रहते हैं, ऐसे दिखाने का प्रयास
यदि अपराधियों के महिमामंडन की कोई प्रतियोगिता होगी तो ‘पाताल लोक’ को सबसे ऊपर की श्रेणी में रखा जाएगा। ट्रेन में एक महिला अपनी युवा बेटी के साथ बैठी होती है। सामने कुछ मुसलमान बैठे होते हैं, जिनमें से एक युवक से युवती प्रभावित हो रही है और बार-बार उसकी तरफ देखती है। जैसे ही वो खाने की पोटली निकालते हैं, उसमें मांस देखते ही महिला को चक्कर आ जाता है और उलटी आने लगती है। ‘अच्छे’ मुसलमान उसे पानी लाकर देते हैं, जिसे वो ‘घृणा’ के कारण ठुकरा देती है।
इस दृश्य से हिन्दू ‘घटिया’ व्यवहार करते है, यह दिखाने का प्रयास किया है । अब आते हैं एक अपराधी कबीर एम पर। जिन चार अपराधियों के इर्दगिर्द ये फिल्म घूमती है, वो उनमें से एक है। एक मुसलमान, एक दलित, एक हिन्दू और एक ट्रांसजेंडर- 4 अपराधियों का ऐसा कॉकटेल है कि इनके ‘मानवीय पक्षों’ को उभार कर इन्हें केवल इसीलिए बेचारा साबित किया जाता है क्योंकि इन्हें आईएसआई-पाकिस्तान वगैरह के केस में ‘फंसाया’ जा रहा है।
तो कबीर एम मुसलमान है लेकिन किसी को बताता नहीं। उसके पास ऑपरेशन का एक मेडिकल सर्टिफिकेट मिलता है। उसके पिता हाथीराम से कहते हैं कि, उनके बड़े बेटे को मुसलमान होने के कारण मार डाला गया था। उस दृश्य में भगवा झंडा लिए हिंदूवादी कत्लेआम मचाते दिखते हैं। कबीर के पिता कहते हैं कि इसी कारण उन्होंने अपने दूसरे बेटे को मुसलमान तक नहीं बनने दिया लेकिन आप लोगों ने उसे आतंकवादी बना दिया।
दरअसल, ये वही था जिसने ट्रेन में मांस खाने के लिए निकाला था। कुछ याद आया ? जुनैद हत्याकांड के बारे में प्रचारित किया गया था कि, उसे बीफ के कारण ट्रेन में मारा गया जबकि वो सीट का झगड़ा था। बस इसी दृश्य को एक तरह से प्रोपेगंडा के अनुसार रीक्रिएट किया गया है। उस देश की कहानी है, जहां मुस्लिमों के 20 करोड से भी अधिक होने का दम्भ उसी समाज के तथाकथित ठेकेदारों द्वारा भरा जाता है और 15 मिनट के लिए पुलिस हटाने की धमकी दी जाती है।
भारत को इस्लामोफोबिया से ग्रसित देश दिखाने का कुत्सित प्रयास
‘पाताल लोक’ एक और सन्देश ये देती है कि, आप चाहें कितने भी ऊपर चले जाओ, देश आपको मुसलमान होने का एहसास पग-पग पर दिलाता रहेगा। इसके लिए हाथीराम के अंतर्गत काम करने वाले पुलिसकर्मी इमरान अंसारी का किरदार गढ़ा गया है। वो यूपीएससी पास कर लेता है, और काफी सौम्य है। यानी, हर हिसाब से एक अच्छा मुसलमान। जब सीबीआई की महिला अधिकारी को पता चलता है कि इमरान ने यूपीएससी निकाला है तो वो कहती हैं – ‘आजकल काफी आ रहे हैं न इनके समुदाय से?”
जब वो इंटरव्यू देकर निकलता है तो एक दूसरा प्रतियोगी उस पर तंज कसते हुए कहता है, “अरे तेरा तो हो ही जाएगा। उन लोगों को भी तो रिप्रजेंटेशन दिखानी होती है।” यहां तक कि इंटरव्यू लेने वाले भी उसे ‘पॉजिटिव’ होने की सलाह देते हैं, जब उससे मुस्लिम समुदाय के उत्थान को लेकर सवाल पूछा जाता है। उसके सामने हाथीराम कबीर को ‘कटुआ’ कहता है। हां, उसका पैंट खोल कर चेक करना होता है कि वो मुसलमान है। इमरान हिंदूवादी सिस्टम के बीच फंसा हुआ है, ऐसे दिखाने का प्रयास किया गया है ।
पत्रकारों पर हो रहे हैं जुल्म, खतरे में मीडिया की स्वतंत्रता
इस सीरीज में आपको बार-बार एहसास दिलाया जाएगा कि समय बदल गया है। हम सभी को पता है कि लिबरल गैंग के लिए समय मई 2014 के बाद से ही बदला है। एक पत्रकार है, जो सत्ता से सवाल पूछता है। ये किरदार नीरज काबी ने काफ़ी अच्छे से निभाया है। चैनल की टीआरपी गिर रही है, मालिक दबाव बना रहा है कि उसे निकल जाना चाहिए। लेकिन हां, वो जैसे ही आईएसआई और पाकिस्तान की बातें शुरू करता है, उसे टीआरपी आने लगती है। जानते हुए कि ये तो सीबीआई की बनी बनाई बातें हैं।
चाहे वो ‘ट्रोल आर्मी’ की बात हो या फिर रोज मिल रही धमकियों की, इस अंग्रेजी पत्रकार के किरदार को यूं गढ़ा गया है जैसे वो ये दिखा रहें हों कि मोदी युग में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं। साथ ही सीधा सन्देश है कि यदि किसी मामले को आईएसआई या पाकिस्तान से जुड़ा पाया जाए तो उस पर शक कीजिए, जांच पर शक कीजिए। क्यों ? क्योंकि आजकल एकाध दर्जन खून करने वाले कथित ‘बेचारे अपराधियों’ को भी ऐसे मामलों में घसीट कर आतंकवादी बता दिया जा रहा है।
मनोरंजन इंडस्ट्री का सवर्णोफोबिया
‘मिर्जापुर’ में त्रिपाठी खानदान ने आतंक मचा रखा था। ‘आर्टिकल-15’ में तो जानबूझ कर उन्नाव गैंगरेप व हत्या केस के असली आरोपितों की पहचान छिपा कर उनकी जगह पर कथित उच्च-जाति के लोगों को फिट किया गया। ‘सेक्रेड गेम्स’ में त्रिवेदी सबसे बड़े विलेन्स में से एक होता है। गायतोंडे मुसलमानों को मारता है। ठीक इसी तरह, ‘पाताल लोक’ में भी जगह-जगह सवर्ण दलितों पर अत्याचार करते दिखते हैं। पंजाब में तो एक सवर्ण समूह एक दलित एक्टिविस्ट का सिर काट लेता है। दूसरे की मां के साथ सबके सामने बलात्कार करता है।
Oppressed Minority No.2 shown in #PaatalLok
Hindu Killing Sikhs.. Really? Anushka Sharma Thodi sharm nahi hai tum logo ko? Jhooth pe jhooth.
Khalistani, Pakistani & ISI agenda..
CBI, GOVT, POLICE, HINDUS ALL ARE SHOWN IN BAD LIGHT.. #boycottpaatallok pic.twitter.com/WuhIRQkIX9— ѕнιvanι nannυ (@shivani_nannu) May 16, 2020
‘वाजपेयी’ (अनूप जलोटा ने ये किरदार निभाया है) दलितों के सबसे बड़े नेता बन कर बैठे हैं, जो छिपा कर अपनी गाडी में गंगाजल लेकर चलते हैं। दलितों के साथ खाने का दिखावा कर वो उसी से नहा कर ‘पवित्र’ होते हैं। शुक्ला उनके लिए काम करता है। त्यागी सबसे बड़ा हत्यारा है। यानी, जहां भी कथित सवर्ण दिखें, वहां वो किसी न किसी दलित पर अत्याचार कर रहे होते हैं। एक तरह से इस इंडस्ट्री ने जातिवाद की खाई को और बढ़ाने का ठेका ले रखा है। एक ‘साधु महाराज’ मां की गालियां बकते हैं और मांस खाते-परोसते हैं, वो भी मंदिर के प्रांगण में।
#PaataLok @AnushkaSharma @imVkohli
scene from web series Paatallok, in which a man eating chicken in front Hindu goddess. Which culture you wnts to promote. #banpaatallok
@PrimeVideoIN @rsprasad @RSSorg
Should be ban this crap pic.twitter.com/Jyw23TqneY— Roshan पाठक (@Roshan_3966) May 17, 2020
#patalok
After torturing us with her shit n illogical roles in RNBDJ, JTHJ, SULTAN, PK, BOMBAY VELVET, SANJU, PARI, Phillauri, ADHM, Sui Dhaga, JHMS, ZERO, Overrated actress @AnushkaSharma is back with a anti-hindu series.
Wat a shame?? pic.twitter.com/kXJqc7qqws— IamNik (@NikhilB15338339) May 18, 2020
शुक्ला कान पर जनेऊ रख कर होटल में पराई स्त्री के साथ सेक्स करता दिखता है। वैसे अगर ये लोग चाहते तो इमरान को यूपीएससी के इंटरव्यू की जगह किसी बम ब्लास्ट की प्लानिंग करने भी भेज सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। मुसलमान तो हर जगह पीड़ित ही है, दलित जहाँ है वहाँ कथित सवर्णों के अत्याचार ही झेल रहा है बेचारा। इमरान भी बेचारा है।
हिन्दू विरोधी प्रोपेगेंडा है ‘पाताल लोक’
कुछ और चीजों को देखें तो एक कुतिया का नाम सावित्री है। गुंडों का कनेक्शन चित्रकूट से है, जहां भगवान दत्तात्रेय, वाल्मीकि, मार्कण्डेय और अत्रि जैसे महान ऋषियों का चरणस्पर्श हुआ है । क्या जानबूझ कर रामायण से जुड़े स्थान को गुंडों से जोड कर दिखाया गया ? इन सबके बारे में सोशल मीडिया पर भी चर्चा चल रही है।
So @AnushkaSharma #PatalLokReview #patalok is nothing but one addon to propagandist series.
When you sick people of b'wood are going to stop this shit???B'wood- Market of sold souls and intellect. #anushkasharmaisurbannaxal pic.twitter.com/FxJR7aFu34
— Dhruvesh Tiwari (@dvs11698) May 18, 2020
▪️M are being harrassed or discriminated at work places, as Hindu employees are racists.
▪️How CBI proved a M guy a Terrorist.
▪️Hindus lynched a M guy for just opening his lunch box in train.
▪️There is conspiracy going on against left jurnos in country.
▪️Hinduphobic #patalok pic.twitter.com/s6Heb1kYqc— Srivastava (@srivastava_2195) May 18, 2020
Its common these days by struggling actors/Directors/producers to bash Hinduism for cheap publicity!
With hope that it might make their movies & Careers bright
Spreading Propaganda #patalok@ishkarnBHANDARI Sir can You file an FIR and get this series banned for spreading Hatred? pic.twitter.com/c1nEG7AYGh— Awoke Tiwariji (@Gyanitiwariji_) May 18, 2020
1) इस फिल्म का प्रमुख विलेन अपने घृणित कार्य से पहले नियम से भगवान शिव की ध्यान लगाकर पूजा करता है। जो डाकू होता है, वह बड़ा ही धार्मिक होता है, और वह कहता है कि बाभन देवता की पूजा करो।
2) सीरीज में जो मुस्लिम किरदार है, वो साक्षात देव माणुस होता है, जिसे हर कोई सताता है। उसके साथी उस पर फब्तियां कसते, उसे IS से संबंधित बताते हैं, यहां तक कि होम सेक्रेटरी के पद पर बैठा व्यक्ति उससे अजीबोगरीब सवाल पूछता है। मतलब हिन्दू धर्म और उसके लोग कभी अच्छे और सच्चे हो ही नहीं सकते और अल्पसंख्यक, विशेषकर मुसलमान कभी गलत हो ही नहीं सकता।
3) जो वामपंथी पत्रकार है, वह सच्चा है, निष्पक्ष है, और उससे अच्छा कोई नहीं। नकारात्मक किरदार के पीछे हमेशा एक दर्दनाक बैक स्टोरी होगी ही होगी। मोदी सरकार को बार बार निशाने पर लिए जाएगा। इसमें बताया गया है कि सच्ची पत्रकारिता करने वाले को कंपनी फायरिंग का धमकी देती है।
4) कॉरपोरेट जगत के पास देश में दंगे कराने और हिन्दू मुस्लिम करने के अलावा कुछ भी नहीं है जीवन में करने को। ब्राह्मण लोग कान पर जनेऊ चढाकर यौन सुख का अनुभव लेते हैं।
5) बाजपेई जाति का ब्राह्मण नेता है, वो दलितों का मसीहा है, उनके घर जाता है। साथ खाना खाता है लेकिन जैसे ही वहां से निकलता है तो गंगा जल से अपनी सफाई करता है। यानि ब्राह्मण नेता दलित विरोधी ही होते हैं इस सीरीज में दिखाया गया है।
इसका अर्थ क्या निकाला जाए ? यही कि जो ज्यादा शास्त्र पढ लेता है या फिर मंदिरों वगैरह से जिसका ज्यादा जुडाव है- वो गुंडा और कातिल बन जाता है ? वामपंथी पत्रकार को पाकिस्तान जाने धमकियां मिलती है। इन चीजों से पता चलता है कि ये सीरीज पूरी तरह वामपंथी प्रोपेगेंडा है।
स्त्रोत : OpIndia