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ट्विटर पर उठी भारतीय संविधान से सेक्युलर शब्द हटाने की मांग, ट्रेंड हुआ #SayNoToPseudoSecularism

भारत स्वतंत्र होने के उपरांत 1950 से लागू हुए भारतीय संविधान में ‘सेक्युलर’ यह शब्द नहीं था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाशवी बहुमत के बलपर 1976 में संविधान में यह शब्द जोड दिया था । इसकी कहीं भी व्याख्या न होने के कारण आज ‘सेक्युलरिजम’ अर्थात ‘धर्मनिरपेक्षता’ ऐसा अयोग्य समीकरण बन चुका है । इसके कारण भारत में तथाकथित अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण तथा हिन्दू समाज का दमन गत कई वर्षों से चला आ रहा है ।

इसी के चलते आज ट्विटर पर #SayNoToPseudoSecularism यह हॅशटॅग ट्रेंड हुआ दिखाई दिया । सवेरे से धर्मप्रेमी हिन्दू इस हॅशटॅग का प्रयोग कर ट्विट्स कर रहे है । यह ट्रेंड होते ही कुछ ही क्षण बाद 5 वे क्रमांक पर था । बाद में दुसरे स्थान पर आया और समाचार लिखने तक उसी स्थान पर कायम है । अब तक इस ट्रेंड में 1 लाख से अधिक ट्विट्स हुए है ।

ट्विट्स में धर्मप्रेमियों ने कहा कि, प्राचीन काल में भारत की पहचान हिन्दू राष्ट्र थी, उसे आज तुष्टिकरण हेतु जानबूझकर कांग्रेस ने सेक्युलर बनाया ।

एक ने कहा, आज देश में धर्मनिरपेक्षता का बोझ केवल हिन्दू ही सह रहा है । हर बार हिन्दू समाज ही धर्मनिरपेक्षता दिखाता है । क्या ये संविधान उल्लंघन नहीं है ?

अन्य यूजर ने कहा, यदि संसदीय अधिकारों का उपयोग कर, संविधान में कोई शब्द जोडा जा सकता है; तो उन्हीं अधिकारों के उपयोग से हटाया भी जा सकता है।

एक ने कहा, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्‍दुओं के बडे तथा संपन्‍न मंदिरों पर सरकार ने कब्जा कर रखा है । इसके विपरीत मस्जिद या चर्च पर सरकार का नियंत्रण नहीं है । यह कैसी अर्थहीन धर्मनिरपेक्षता है ?

एक ने कहा, हाल ही में हिन्दू फल विक्रेता दुकान पर लिखनेपर कार्यवही हुई किंतु धर्म के नाम पर अन्य धर्मियों के भी दुकान रहते है, तो उनपर कार्यवाही क्यों नहीं होती ?

और एक ने कहा, विश्व में आतंकवाद को अलग अलग संज्ञा दी गई है । अमेरिका में इसे Terrorism कहा जाता है, पाकिस्तान में Jihad और  हमारे भारत में इसे ही Secularism कहां जाता है ।

ट्रेंड के कुछ ट्विट्स…

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