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सरकारी अधिग्रहित तिरूपती मंदिर बोर्ड नीलाम करेगा भक्तों ने दान की 23 संपत्तियां

भक्तों ने दान की संपत्ति की नीलामी करने का अधिकार सरकारी बोर्ड को किसने दिया है ? इस संपत्ति का उपयोग तमिलनाडू में हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार या हिन्दू गुरूकल, गोशाला जैसे उपक्रम चलाने हेतु भी तो किया जा सकता है । मंदिरों के सरकारीकरण का यह दुष्परिणाम रोकने हेतु अब हिन्दू समाज का संगठित होना अत्यावश्यक है । – संपादक, हिन्दुजागृति

कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे दुनिया का सबसे अमीर मंदिर तिरुपति देवस्थानम भी अछूता नहीं रहा है। मंदिर प्रशासन ने भक्तों से दान में मिली 23 संपत्तियां नीलाम करने का फैसला लिया है। ये सभी संपत्तियां तमिलनाडु में हैं। मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने इन संपत्तियों की नीलामी करने के लिए दो समितियां बनाई हैं। इन संपत्तियों में तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में स्थित मकान और खेती की जमीन भी शामिल है।

इन संपत्तियों की नीलामी राशि डेढ़ करोड़ रुपये रखी गई है। प्रबंधन के अनुसार नियमित खर्चों के अलावा सुरक्षा और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए करीब 125 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है। लगभग दो महीने से जारी लॉकडाउन की वजह से मंदिर को केवल हुंडी से होने वाली 400 करोड़ रुपये की आय का नुकसान हुआ है। मंदिर की आय का यह प्रमुख स्रोत है जो भक्तों द्वारा चढ़ाए गए दान के रूप में प्राप्त होते हैं।

इस वजह से मंदिर समिति को कर्मचारियों के वेतन और मंदिर से जुड़े अन्य खर्च पूरे करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि मंदिर के पास करीब नौ टन सोना और 14 हजार करोड़ की एफडी है लेकिन समिति इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहती।

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