भक्तों ने दान की संपत्ति की नीलामी करने का अधिकार सरकारी बोर्ड को किसने दिया है ? इस संपत्ति का उपयोग तमिलनाडू में हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार या हिन्दू गुरूकल, गोशाला जैसे उपक्रम चलाने हेतु भी तो किया जा सकता है । मंदिरों के सरकारीकरण का यह दुष्परिणाम रोकने हेतु अब हिन्दू समाज का संगठित होना अत्यावश्यक है । – संपादक, हिन्दुजागृति
कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे दुनिया का सबसे अमीर मंदिर तिरुपति देवस्थानम भी अछूता नहीं रहा है। मंदिर प्रशासन ने भक्तों से दान में मिली 23 संपत्तियां नीलाम करने का फैसला लिया है। ये सभी संपत्तियां तमिलनाडु में हैं। मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने इन संपत्तियों की नीलामी करने के लिए दो समितियां बनाई हैं। इन संपत्तियों में तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में स्थित मकान और खेती की जमीन भी शामिल है।
#SaveTTD
विश्व का सबसे धनिक और भक्त प्रिय मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानकी संपत्ति बिक्री करने का निर्णय वहां के ईसाईपंथी मुख्यमंत्री ने लिया है ! हिंदुओं के मंदिर के संदर्भ में ईसाई व्यक्ति का हस्तक्षेप क्यों ? हम इस विकृत सेकुलरिज्म का विरोध करते हैं !#SayNoToPseudoSecularism pic.twitter.com/fu6doOs295— Chetan Rajhans © (@1chetanrajhans) May 24, 2020
इन संपत्तियों की नीलामी राशि डेढ़ करोड़ रुपये रखी गई है। प्रबंधन के अनुसार नियमित खर्चों के अलावा सुरक्षा और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए करीब 125 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है। लगभग दो महीने से जारी लॉकडाउन की वजह से मंदिर को केवल हुंडी से होने वाली 400 करोड़ रुपये की आय का नुकसान हुआ है। मंदिर की आय का यह प्रमुख स्रोत है जो भक्तों द्वारा चढ़ाए गए दान के रूप में प्राप्त होते हैं।
Tirupati wealth to be sold?!@narendramodi ji this is an SOS message to please SAVE our Temples!!
This is happening all over India..
The past few days we have news from Kerala Tamil Nadu and now Andhra… pic.twitter.com/vAPcrcFPXV
— Shilpa Nair (@shilpamdas) May 23, 2020
इस वजह से मंदिर समिति को कर्मचारियों के वेतन और मंदिर से जुड़े अन्य खर्च पूरे करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि मंदिर के पास करीब नौ टन सोना और 14 हजार करोड़ की एफडी है लेकिन समिति इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहती।