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सभी तीर्थक्षेत्रोंमें मदिरा एवं मांसपर बंदी लानी चाहिए ! – प्रा. लक्ष्मणराव ढोबळेजी

चैत्र शुक्ल १२ , कलियुग वर्ष ५११५


मुंबई – श्रीक्षेत्र पंढरपुरमें १०० प्रतिशत मदिरा एवं मांसपर बंदी लाई जाए, ऐसी मांग वारकरी तथा हिंदुनिष्ठ संगठनोंने सोलापुरके पालकमंत्री एवं जलआपूर्ति मंत्री प्रा. लक्ष्मणराव ढोबळेजीसे की । इसपर प्रा. ढोबळे जीने कहा,  `केवल श्रीक्षेत्र पंढरपुर ही नहीं, महाराष्ट्रके सभी तीर्थक्षेत्रोंपर मदिरा एवं मांसपर बंदी लाई जाए, ऐसा मुझे लगता है । इस हेतु मैं स्वयं प्रयास करुंगा । ’ राष्ट्रीय वारकरी सेनाके कोकण प्रांताध्यक्ष ह.भ.प. बापू महाराज रावकर तथा हिंदू जनजागृति समितिके मुंबई समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरजीने कुछ दिन पहले विधान भवनमें प्रा. ढोबळेजीसे भेंट की । इस अवसरपर हरिद्वार तथा ऋषिकेषकी धरतीपर श्रीक्षेत्र पंढरपुरमें मदिरा -मांसपर बंदी लानेके संदर्भमें एक आवेदन वारकरी संप्रदायकी ओरसे मंत्रीजीको दिया गया । इस समय वारकरियोंको पंढरपुरमें सुविधा उपलब्ध करानेकी ओर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है, यह बात वारकरियोंने सामने लाई गई । प्रा. ढोबळेजीने आगे कहा, ‘ जल्दी ही आषाढी वारिकी पार्श्वभूमिपर वारकरियोंके साथ एक बैठकका आयोजन किया जाएगा । उसमें वारकरियोंकी सारी मांगोंपर विचार किया जाएगा । ’ प्रशासन द्वारा वारकरियोंपर अन्याय पूर्णत: अनुचित !  इस अवसरपर प्रस्तावित (अंध)श्रद्धा निर्मूलन अधिनियमके संदर्भमें महाराष्ट्र प्रशासन वारकरियोंको धोखा दे रहा है, यह बात ह.भ.प. बापू महाराज रावकरजीने प्रा. ढोबळेजीके सामने लाई । अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके राष्ट्रीय संगठक प्रा. श्याम मानव तथा उनके तीन कार्यकर्ताओंके साथ दिनांक ३१ जुलाई २०१२ को सामाजिक न्यायमंत्री तथा विधि एवं न्याय विभागके अधिकारियोंके साथ बैठक हुई । उसमें प्रा. मानवके सुझावके अनुसार प्रस्तावित अधिनियममें किए जानेवाले सुधार प्रशासनद्वारा पूर्ण रूपसे  स्वीकार किए गए । वैसा पत्र भी मानवको दिया गया; किंतु दिनांक ९ जनवारी २०१३ को ये सब सुधार वारकरियोंके सुझावके अनुसार किए जानेका पत्र सामाजिक न्याय  देकर विभागने वारकरियोंके साथ पूरी तरहसे विश्वासघात किया । प्रशासन सबको यह बताकर कि वारकरियोंके कहनेके अनुसार सब सुधार हुए है, तथा वारकरियोंद्वारा अब इस अधिनियमका विरोध नहीं है, वारकरी संप्रदायके बारेमें समाज एवं प्रसिद्धिमाध्यमोंमें संभ्रम उत्पन्न कर रही है । इस संदर्भमें सारे दस्तावेज देखनेपर प्रा. ढोबळेजीने तीव्र नाराजगी व्यक्त की । उन्होंने कहा, `एक तो यह नास्तिकद्वारा धार्मिक व्यक्तिको भगवानकी पूजा सिखाने जैसी गंभीर बात है तथा यह वारकरियोंपर अन्याय ही है । ’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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