हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा महाराष्ट्र के मंदिर न्यासियों के सक्रिय संगठन के लिए 29 मई को ‘ऑनलाइन चर्चासत्र’ आयोजित किया गया था । इस चर्चासत्र में राज्य के 225 मंदिर न्यासी, पुजारी, मठाधिपति, धर्मप्रेमी, हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता तथा विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।
भारत का संविधान ‘सेक्युलर’ होते हुए भी शासन केवल हिन्दू मंदिरों का व्यवस्थापन कैसे देख सकता है ? केवल हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण करनेवाली सरकार मस्जिदों और चर्च आदि का सरकारीकरण करने से क्यों पीछे है ? सरकारीकृत मंदिरों की स्थिति अत्यंत भयावह है । अनेक मंदिरों की सरकारी समितियों में भ्रष्टाचार चल रहे हैं; मंदिरों की परंपराएं, धार्मिक कृत्य, पुजारी और अन्य प्राचीन व्यवस्थाओं आदि में मनमाने सरकारी हस्तक्षेप हो रहे हैं । मंदिरों पर हो रहे ऐसे सर्व आघातों के विरुद्ध देशभर में ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में ‘राष्ट्रीय मंदिर-संस्कृति रक्षा अभियान’ आरंभ किया गया था । इस अभियान के अंतर्गत ही मंदिर न्यासियों का ‘ऑनलाइन’ चर्चासत्र संपन्न हुआ । इस अवसर पर ‘बडे मंदिर अपने परिसर के छोटे मंदिरों को सहायता करने के लिए उन्हें गोद लें’, ‘मंदिरों में श्रद्धालुओं को धर्मशिक्षा देने की व्यवस्था की जाए’, ‘मंदिर न्यासियों के संगठन के लिए नियमित बैठकें आयोजित की जाएं’, मंदिर न्यासियों ने ये सभी प्रस्ताव एकत्रित
पारित किए ।
सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने इस अवसर पर कहा कि मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित देवनिधि का विनियोग मंदिर के धार्मिक कृत्य, मंदिरों के जीर्णोद्धार, सनातन धर्म के प्रसार और केवल सत्कार्य के लिए ही होना चाहिए । भ्रष्टाचार और अकार्यक्षमता के कारण विविध सरकारी प्रतिष्ठानों का निजीकरण हो रहा है और केवल मंदिरों का सरकारीकरण ! मंदिर सरकारीकरण के लिए अभी और कितने मंदिरों की बलि दी जानेवाली है ? श्री. राजहंस ने इस समय यह प्रश्न भी किया ।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने कहा, ‘सरकार एक अधिसूचना जारी कर किसी समय कोई भी मंदिर नियंत्रण में ले सकती है’ । इसलिए सभी मंदिरों के सिर पर तलवार लटकी हुई है । सरकारीकृत मंदिरों में हो रहा सैकडों करोड रुपए का भ्रष्टाचार, भूमि घोटाले, आभूषणों की चोरी आदि गंभीर बातें सूचना अधिकारों के अंतर्गत उजागर हुई हैं । यह सब रोकने के लिए हिन्दुओं का दृढ संगठन होना चाहिए । इस अवसर पर अनेक मंदिर न्यासी और धर्मप्रेमी अधिवक्ताओं ने अपने अनुभव कथन किए । अंत में ‘हर हर महादेव’ का घोष कर एकत्रित रूप से प्रस्ताव पारित कर चर्चासत्र का समापन हुआ ।