चैत्र शुक्ल १२ , कलियुग वर्ष ५११५
१४ अप्रैलको आंध्रप्रदेशके एदुरापूरम् (अदिलाबाद, आंध्रप्रदेश) इस क्षेत्रमें हिंदू जनजागृति समितिने हिंदू धर्मजागृति सभाका आयोजन किया था । पिछले कई वर्षेांसे यहा धर्मंधोंके विरोधके कारण हिंदुओंका एक भी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो सका था । किंतु यह सभा निर्वीघ्नरूपसे संपन्न हुई । सभामें १ सहस्र हिंदू उपस्थित थे ।
१. बडी संख्यामें धर्मंध सभाके स्थानपर पहुंचनेका प्रयास कर रहे थे । किंतु समितिके कार्यकर्ताओंने उन्हें अंदर आने नहीं दिया । (कितने हिंदू धर्मंधोंकी सभामें जाकर वहांसे जानकारी लेने्का प्रयास करते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. एक धर्मंधोंने संवाददाता होनेका बहाना बनाकर अंदर जानेका प्रयास किया । (धोखा देनेवाले धर्मांध धर्मंध ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) जब उसे तिलक लगाकर अंदर जानेको कहा गया, तब उसने तिलक लगानेसे इन्कार किया । (धर्मंधोंका धर्मप्रेम ! श्री. नरेंद्र मोदीजीने धर्मंधोंकी टोपी पहननेसे इन्कार किया, इसलिए उनपर धर्मांधताका आरोप करनेवाले तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी क्या धर्मंधोंकी धर्मांधता समझ पाएंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. बादमें उसी व्यक्तिने पुलिस थानामें जाकर झूठा आरोपपत्र दाखिल किया कि, सभामें झगडा हो रहा है । कुर्सियां तोडी जा रही हैं । (हिंदूद्वेषी ! क्या हिंदू कभी धर्मंधोंके विरोधमें सच्चा आरोपपत्र भी कभी दाखिल करते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इसके उपरांत दो पुलिस अधिकारी सभाके स्थानपर आए थे। (क्या धर्मंधोंके झूठे आरोपपत्र तुरंत दर्ज कराके कृती करनेवाली पुलिस हिंदुओंके आरोपोंकी ओर कभी ध्यान देती हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात