पूर्व-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने BMC द्वारा PFI को मान्यता देने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निशाने पर लिया है। फडणवीस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो इस फ़ैसले से अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि PFI को देश और समाज विरोधी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। उसे मृत मुसलमान कोरोना मरीजों के शवों को दफनाने की जिम्मेदारी दे दी गई है।
फडणवीस ने इससे सम्बंधित दस्तावेज शेयर करते हुए उद्धव से पूछा कि क्या वो इससे सहमत हैं? उन्होंने पूछा कि अगर मुख्यमंत्री इससे सहमत नहीं हैं तो क्या वो इस मामले में एक्शन लेंगे? साथ ही उन्होंने कुछ ख़बरों को शेयर करके बताया कि PFI कैसा संगठन है और BMC द्वारा इसे मान्यता देना क्यों ग़लत है। दरअसल, ये सब एक पत्र को लेकर शुरू हुआ जो BMC ने मुसलमानों के मृत शरीर को दफनाने को लेकर जारी किया है।
इस पत्र में सभी अस्पतालों के इंचार्जों को निर्देश दिया है कि अगर किसी मुसलमान मरीज की कोरोना की वजह से मौत होती है तो वो ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) के उन पदाधिकारियों से संपर्क करेंगे, जिनकी सूची BMC ने जारी की है। BMC ने अपने निर्देश में PFI के 4 नेताओं के नाम जारी किए हैं- सईद चौधरी, इक़बाल ख़ान, सईद अहमद और सादिक़ कुरैशी। साथ ही इन सभी का मोबाइल नंबर भी पत्र में उपलब्ध कराया गया है।
Shocked to know that @mybmc giving legitimacy to organisation like Popular Front of India (PFI), allegedly known for anti-national & anti-social activities.
Hon CM @OfficeofUT ji do you agree to this?
If not, will you take strong action?
Sharing few links, See what is PFI? pic.twitter.com/KLcZoupBPh
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) June 2, 2020
मुसलमान कोरोना मरीजों की मौत होने के बाद उन्हें दफनाने के लिए BMC ने PFI की स्पेशल टास्क फोर्स को लगाया है। यानी, एक तरह से BMC ने इस तरह की एक बड़ी जिम्मेदारी उस PFI के कंधे पर डाल दी है, जिस पर दिल्ली दंगो सहित, CAA विरोधी दंगो जैसे तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं।
दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों जैसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI), जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (JCC) पिंजरा तोड़ और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) से जुड़ी ‘स्टूडेंट एक्टिविस्ट्स’ की भी भूमिका थी। दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा इस मामले के संबंध में गिरफ्तार किए गए 9 लोगों के व्हाट्सएप चैट, भाषणों और कथित तौर पर पीएफआई और विदेशों से प्राप्त धन की जाँच की थी।
दो PFI कार्यकर्ताओं को कोरोना वायरस के संबंध में देश में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के ख़िलाफ़ नफरत भरे मैसेज फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।