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क्या हिन्दुआेंने अपने ही पैसोंसे अपने देवी-देवताओंकी आलोचना होते हुए देखना है ? – सुरेश चौहानके

‘डी.बी. विसपुते महाविद्यालय’ में अन्र्तमहाविद्यालयीन प्रतियोगिताके समय विद्यार्थियोंको आवाहन

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देवद (पनवेल) – आमीर खान ‘पीके’ चलचित्रमें कहता है, ‘जो भयभीत होते हैं, वे मन्दिर जाते हैं’ यदि ऐसा है, तो उससे पूछें कि वह मक्काको क्यों गया था ? अपनेमें अनेक लोग मन्दिरमें जाते हैं, तो क्या वे भयभीत हैं ? आमीर खानसमान लोगोंके चलचित्रोंको देखने हेतु क्या अपने पैसे देकर जाना एवं अपने ही देवी-देवताओंकी निन्दा होते देखना है ? सुदर्शन न्यूज’ प्रणालके सम्पादक अध्यक्ष श्री. सुरेश चौहानकेने एक बार स्थायी रूपसे इसे निश्चित करनेका आवाहन ‘किया । वे ‘डी.बी. विसपुते महाविद्यालय’में आयोजित महाविद्यालयीन नृत्य प्रतियोगिताके कार्यक्रममें प्रमुख अतिथिके रूपमें बोल रहे थे । इस अवसरपर महाविद्यालयके संस्थापक अध्यक्ष श्री. धनराज विसपुते, सनातन संस्थाके प्रवक्ता श्री. संदीप शिंदे एवं श्री. अभय वर्तक इत्यादि उपस्थित थे ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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