Menu Close

छत्रपति शिवाजी महाराजजी वास्तव में ‘चक्रवर्ती सम्राट’ ही थे ! – उदय माहुरकर, इतिहास शोधकर्ता

शिवराज्याभिषेक दिवस के उपलक्ष्य में ‘हिन्दवी स्वराज्य से हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर ऑनलाईन संवाद !

इतिहास के शोधकर्ता छत्रपति शिवाजी महाराजजी द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज्य की प्रगाढता पर ध्यान नहीं देते । महाराजजी का स्वराज्य लगभग 1 हजार 600 किलोमीटर क्षेत्र के भूप्रदेश पर स्थापित था । उनकी मृत्यु के पश्‍चात मराठा सेना केवल 40 वर्षों मे ही देहली की कर्ता-धर्ता बन गई । इसकी तुलना में अफगानिस्तान से देहली आकर राज्य करनेवाले मुगलों का राज्य कितना बडा था; परंतु तब भी मुगलों को ‘सम्राट’ एवं ‘बादशाह’ कहा जाता है, तो शिवाजी महाराजजी को महाराष्ट्र तक ही सीमित रखा गया है, जो दुर्भाग्यजनक है । छत्रपति शिवाजी महाराजजी के जीवन का अध्ययन करने पर वे विगत 1 हजार वर्षों के कालखंड में एक महान भारतीय व्यक्ति थे, यह ध्यान में आता है । इसलिए शिवाजी महाराजजी केवल छत्रपति नहीं, अपितु वास्तव में वे ‘चक्रवर्ती सम्राट’ थे । माहुरकर राजवंश के वंशज तथा इतिहास के अभ्यासी एवं लेखक श्री. उदय माहुरकर ने ये गौरवोद्गार व्यक्त किए ।

 छत्रपति शिवाजी महाराजजी का स्वराज्य सर्वधर्मसमभावी नहीं, अपितु ‘हिन्दवी’ ! – डॉ. सच्चिदानंद शेवडे

मुगलों के अत्याचारों से त्रस्त जनता में छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने धर्माभिमान जागृत किया । उन्होंने धर्म की रक्षा की । ‘हिन्दवी’ स्वराज्य का निर्माण करते समय उन्होंने हिन्दू धर्म प्रसार हेतु किसी पर तलवार से आक्रमण नहीं किया । अतः हिन्दुओं का राज्य सर्वसमावेशी होगा ही; इसलिए उस पर सर्वधर्मसमभाव का ‘ठप्पा’ क्यों लगाया जा रहा है ? छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने संस्कृत में राजमुद्रा तैयार की । उन्होंने वैदिक पद्धति से स्वयं का राज्याभिषेक करवाया; परंतु आज सर्वधर्मसमभाव विचारधारावाले हिन्दुओं द्वारा इस ‘हिन्दवी स्वराज्य’ की पहचान मिटाने का प्रयास हो रहा है, जो दुर्भाग्यजनक है । हिन्दुत्वनिष्ठ लेखक तथा व्याख्याता डॉ. सच्चिदानंद शेवडे ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

छत्रपति शिवाजी महाराजजी का हिन्दवी स्वराज्य ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही था ! – रमेश शिंदे

जिस भाग की सीमा होती है, उसे ‘देश’ कहा जाता है, तो ‘राष्ट्र’ की संकल्पना में उस प्रदेश का इतिहास, भाषा, संस्कृति, कालगणना आदि भी अंतर्भूत होते हैं । इस परिप्रेक्ष्य में छत्रपति शिवाजी महाराजजी द्वारा स्थापित ‘हिन्दवी स्वराज्य’ ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही था । छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने संस्कृत में राजमुद्रा बनाई । उन्होंने ‘राज्य व्यवहार’ शब्दकोष बनाकर फारसी शब्दों को हटाया । धर्मांतरितों का शुद्धीकरण कर उन्हें पुनः हिन्दू धर्म में ले आए । उन्होंने मंदिरों के पुनरोद्धार करने के आदेश दिए । छत्रपति संभाजी महाराजजी के कार्यकाल का ‘पत्रसार संग्रह’ प्रसिद्ध है । उसमें भी ‘हिन्दू राज्य’ का उल्लेख है । श्री. रमेश शिंदे ने यह प्रश्‍न भी उपस्थित किया कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने संसद में अपने भाषण में ‘उस काल में शिवाजी महाराजजी हिन्दुओं की स्वतंत्रता हेतु संघर्ष किए’, ऐसा कहा है । ऐसा होते हुए भी 19 वीं शताब्दी के सेक्युलरवाद में 17वीं शताब्दी के छत्रपति शिवाजी महाराजजी को लपेटने का आग्रह क्यों ? अंत में श्री. शिंदे ने हिन्दुओं को स्वयं का स्वाभिमान जागृत कर हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु प्रतिदिन न्यूनतम 1 घंटा देने का आवाहन किया ।

6 जून को ‘हिन्दी’ भाषा में ‘छत्रपति शिवाजी महाराजजी का हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर ऑनलाईन संवाद !

शिवराज्याभिषेक दिवस के उपलक्ष्य में 4 जून 2020 को मराठी भाषा में संपन्न कार्यक्रम का अच्छा प्रत्युत्तर मिलने पर अब शिवप्रेमी एवं राष्ट्रप्रेमियों ने प्रस्तुत विषय पर हिन्दी भाषा में भी कार्यक्रम लेने की मांग की है । अतः इसके अनुसार पुनः 6 जून 2020 को सायंकाल 7 से 8.30 बजे की अवधि में ‘छत्रपति शिवाजी महाराजजी का हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर हिन्दी भाषा में ‘विशेष ऑनलाईन संवाद’ का आयोजन किया गया है । इस कार्यक्रम का प्रसारण फेसबुक लाईव एवं यू-ट्यूब के माध्यम से किया जाएगा । इसमें मान्यवर वक्ता के रूप में ‘सुदर्शन न्यज’ के अध्यक्ष तथा मुख्य संपादक श्री. सुरेश चव्हाणके, श्रीराम सेना के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी एवं हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे मार्गदर्शन करेंगे । अतः नागरिकों से इस कार्यक्रम का लाभ उठाने का आवाहन किया जा रहा है ।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *