अमेजॉन (Amazon) पर ऑनलाइन डिलीवरी सर्विस के नाम पर हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में घृणा फैलाने का वाकया एक बार फिर सामने आया है। इसका खुलासा ट्विटर यूजर अंजी (Anji) ने किया है।
अंजी ने बताया कि उन्होंने अमेजॉन के जरिए विश्व बुक्स से श्रीभागवत पुराण मंगाने का ऑर्डर दिया। जब उनके ऑर्डर की डिलीवरी हुई, तो उसके साथ एक और बुक थी जिसका शीर्षक था- भागवत पुराण कितना अप्रासंगिक।
अंजी ने ट्विटर पर बताया है कि उन्होंने यूपी गाजियाबाद स्थित विश्व बुक से श्रीभागवत पुराण का ऑर्डर अमेजॉन के जरिए दिया था। लेकिन बुक विक्रेता ने उनके एक ऑर्डर की जगह दो आइटम डिस्पैच कर दिए।
जब उन्हें इस ऑर्डर की डिलीवरी हुई तो उसमें श्रीभागवत पुराण के अलावा एक किताब और थी। किताब के ऊपर विशेष उपहार लिखा था, जिसका शीर्षक भागवत पुराण कितना अप्रासंगिक था।
2- the package arrived in this condition. Above the Srimad Bhagwata Puran was this book marked special gift by the seller. pic.twitter.com/0cn5veN3iO
— Anj¡? ☀️? (@WarpedInGlory) June 8, 2020
अंजी लिखते हैं कि विक्रेता द्वारा भेजी गई उक्त पुस्तक पुराण का प्रतिवाद है और पाठकों को पुराण पढ़ने से रोकने के लिए स्पष्ट रूप से लक्षित है। वे किताब की तस्वीर डालते हुए उसके अंदर मौजूद सर्वे कार्ड को भी ट्विटर पर साझा करते हैं, जिसमें किताब के बारे में राय और विश्व बुक्स की अन्य किताबें पढ़ने की इच्छा व प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया था।
3- the said book sent by the seller is the antithesis of the Puran and clearly aimed at disparaging the readers from reading the Puran. Inside the book, there exist this survey card kind of a thing for reader reviews. pic.twitter.com/1n0oUanJzY
— Anj¡? ☀️? (@WarpedInGlory) June 8, 2020
इसके अलावा अंजी बताते हैं कि ये पहली बार नहीं है, जब इस विक्रेता ने अमेजॉन के जरिए इस प्रकार की किताबें अपने कस्टमर को भेजने का काम किया। इससे पहले भी लोगों ने अमेजॉन पर रिव्यू लिखे हैं, जहाँ सत्यम एस नाम का यूजर लिखता है कि किताब विक्रेता ने उसे भी एक किताब फ्री भेजी थी। जिसमें हिंदुत्व औऱ श्रीभागवत पुराण के ख़िलाफ़ विचार प्रस्तुत थे।
हालाँकि अपने रिव्यू में कस्टमर ने उस किताब का नाम नहीं लिखा था और कहा था कि वह उस किताब को लिखने वाले लेखक का प्रचार नहीं करना चाहता। लेकिन विक्रेता से कहना चाहता है कि जब कोई पवित्र ग्रंथ पढ़ना चाहे, अपने विचारों को शुद्ध करना चाहे, शांत जीवन जीना चाहे, तो तुम होते कौन हो नकारात्मता फैलाने वाले? अपने रिव्यू में यूजर ने विक्रेता के ख़िलाफ़ एक्शन लेते हुए उसे ब्लॉक करने की माँग की थी।
अंजी ने भी अपने थ्रेड में आगे लिखा कि यदि पुराण मैंने ऑर्डर किया है, तो इसका मतलब मैं उसे पढ़ने चाहता हूँ, विक्रेता को कोई अधिकार नहीं है कि वह मेरे धर्मग्रंथ का प्रतिवाद भेजकर मेरे विश्वास का मजाक उड़ाए।
यहाँ बता दें कि ये वाकये एक दो संख्या तक सीमित नहीं हैं। साल 2017 में एक ऐसा ही मामला आया था। उस समय योगिनी देशपांडे नाम की एक महिला ने अपने मैसेज शेयर किए थे और बताया था कि उन्हें अमेजॉन द्वारा बाइबल भेजी गई थी, जबकि उन्होंने ‘जेएनयू में एक लड़की रहती थी’ नाम की किताब ऑर्डर की थी।
इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए उन्होंने कई प्रमाण भी साझा किए थे। इन प्रमाणों में टेक्स्ट मैसेज से लेकर किताब की तस्वीर, उसका प्रथम पृष्ठ आदि भी शेयर किए थे। इस मामले में हैरत की बात ये थी कि दोनों किताबों के विषय वस्तु बिलकुल अलग-अलग थी और दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं था।
बाद में पता चला कि इस तरह की घटना कई उपभोक्ताओं के साथ हो चुकी है। कई लोगों को ऐसी किताबें भेजी गई हैं। किसी ने सुपरहीरोज की किताब ऑर्डर की तो उन्हें ये मिला, किसी ने अंग्रेजी की किताब मँगाई तो उन्हें बाइबल पहुँची।
Amazon India sends a Bible, even though customer never ordered one – https://t.co/SC7z97HZaU
— OpIndia.com (@OpIndia_com) August 9, 2017