कानो – नाइजीरिया के बोको हराम आतंकी आत्मघाती हमलों के लिए बच्चों का इस्तेमाल करते हैं। महज १३ साल की एक बच्ची ने अपनी दास्तां सुनाकर इसका खुलासा किया है। हालांकि लोगों को मरता देख उसने खुद को नहीं उड़ाया। उसके पिता ने ही उसे आतंकियों के हवाले कर दिया था।
बच्ची ने बताया कि ‘मेरे पिता ही मुझे बोको हराम आतंकियों के पास ले गए थे। आतंकियों ने मुझसे पूछा जन्नत देखनी है। मैंने कह दिया हां। उसके बाद वे मुझे साथ ले गए। मुझे विस्फोटकों से भरी जैकेट पहनने को दी। कहा, भीड़ वाली जगह जाकर इसका बटन दबा देना। मैं डर गई, कहा- ऐसे तो मैं मर जाऊंगी। उन्होंने कहा जन्नत जाने के लिए मरना ही होता है। मेरे मना करने पर उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी। डर से मैंने शरीर से जैकेट बांधने की हामी भर दी।
उन्होंने मुझे कानो शहर में भेज दिया। मेरे साथ दो और लड़कियां थीं। उन्होंने १० दिसंबर को कानो टैक्सटाइल मार्केट में खुद को उड़ा दिया। मुझे लगा ऐसे तो बहुत निर्दोष मारे जाएंगे। मैंने बटन नहीं दबाया। लेकिन धमाकों से मैं घायल हो गई। मेरे पैर जख्मी हो गए। एक टैक्सीवाले से मैंने अस्पताल पहुंचाने को कहा। वहां से पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया।’
बच्ची ने पुलिस की मौजूदगी में प्रेस कांफ्रेंस में अपनी कहानी सुनाई। उसने कहा, जब पिताजी बौची स्थित बोको हराम के कैंप में ले जा रहे थे मैंने देखा कि वहां लोगों को जिंदा दफन किया जा रहा था। लड़के-लड़कियों को आत्मघाती हमलावर बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। पुलिस प्रमुख एदेनरेले शिनाबा ने बताया कि एक टैक्सी ड्राइवर ने बच्ची को अस्पताल पहुंचाया था। बच्ची अपनी विस्फोटक लदी जैकेट टैक्सी में ही छोड़ गई थी। उसे देख कर ड्राइवर ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस बच्ची के पिता की तलाश कर रही है।
लड़कियों का अपहर्ता है बोको हराम
नाइजीरिया में बोको हराम का बहुत आतंक है। संगठन ने चिबूक इलाके से २७६ स्कूली लड़कियों को अगवा कर लिया था। उनमें से कई को देह व्यापार में धकेल दिया। कुछ को आत्मघाती हमलावर बना दिया।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर