संसद की भांति न्यायालयों में सभी अभियोगों की कार्यवाही ‘विडियो कॉन्फरेन्सिंग’ से करें ! – सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुभाष झा की मांग
कोई अभियोग 10 मिनट में निपटाया जा सकता है; फिर भी वह 10-10 दिन चलता है । दूसरी ओर, जिन अभियोगों के लिए समय देना आवश्यक है, उन्हें 2 मिनट में निपटा दिया जाता है । मैंने 33 वर्ष के कार्यकाल में अनुभव किया है कि हमारे न्यायतंत्र में सुधार की बहुत आवश्यकता है । राज्यसभा और लोकसभा में जहां गोपनीय विषयों पर चर्चा की जाती है, वहां भी ‘विडियो कॉन्फरेन्सिंग’ की अनुमति रहती है । तब, न्यायपालिका में ‘विडियो कॉन्फरेन्सिंग’ का उपयोग क्यों नहीं हो सकता ? विश्व के अनेक देशों में न्यायदान की संपूर्ण कार्यवाही जनता ‘विडियो कॉन्फरेन्सिंग’ के माध्यम से कभी भी देख सकती है । परंतु, भारत में कोरोना के चलते संचारबंदी लागू होने के पश्चात, ‘विडियो कॉन्फरेन्सिंग’ के माध्यम से न्यायदान प्रारंभ हुआ है । न्यायप्रणाली की इस प्रक्रिया को और सक्षम बनाना चाहिए । यदि न्यायपालिका स्थायीरूप से ‘विडियो कॉन्फरेन्सिंग’ नहीं स्वीकारती है, तब केंद्रशासन को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और अध्यादेश जारी कर ‘सभी अभियोगों की कार्यवाही का ध्वनिचित्रीकरण अनिवार्य करनेवाला कानून बनाए’, यह मांग उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता सुभाष झा ने की । वे, हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से आयोजित 3-दिवसीय ‘ऑनलाइन’ राष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन में ‘कोरोना महामारी, न्यायव्यवस्था की वर्तमान दशा और उपाय’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे ।
इस सम्मेलन का उद्घाटन देहली स्थित हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे के हाथों दीपप्रज्वलन से हुआ । सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में अधिवक्ताओं का साधना के रूप में क्या योगदान हो ?’ इस विषय में मार्गदर्शन किया । उन्होंने कहा, ‘‘सम्मेलन के माध्यम से हमें राष्ट्र और धर्मनिष्ठ अधिवक्ताओं का संगठन करना है । समाजव्यवस्था कानून पर आधारित होती है । इसलिए, राष्ट्रनिर्माण में अधिवक्ताओं का योगदान महत्वपूर्ण है । हिन्दू समाज पर अन्याय के विरुद्ध अधिवक्ताओं को कार्य करना चाहिए ।’’ इस अवसर पर हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में अधिवक्ताओं का योगदान’ विषय पर उद्बोधन किया ।
राममंदिर का अभियोग लडनेवाले उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ‘याचिकाओं के माध्यम से राष्ट्र और धर्म की रक्षा हेतु किए कार्य’; जम्मू के अधिवक्ता अंकुर शर्मा ने ‘जम्मू में जारी ‘लैंड जिहाद’ के विरुद्ध किए वैधानिक संघर्ष’; ‘हिन्दू जागरण मंच’असम केंद्र के अधिवक्ता राजीब नाथ ने ‘लव जिहाद और धर्मांतर रोकने के लिए किए वैधानिक और संगठनात्मक कार्य’ तथा बैंगलूरू के अधिवक्ता कृष्णमूर्ति ने ‘कोरोना महामारी काल में समाजरक्षाके लिए किए कार्य’ विषय पर संबोधन किया । जिहादी आतंकवादियों ने कश्मीरी हिन्दू सरपंच अजय पंडिता की जो हत्या की है, उसकी सम्मेलन में निंदा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।