आज #KashmiriHinduLivesMatter हैश टैग 10 हजार से अधिक ट्विट्स के साथ शीर्ष पहले 20 में ट्रेंड हो रहा था। किंतु हैशटैग ट्विटर पर क्लिक करने के बाद “No Results for #KashmiriHinduLivesMatter” यह संदेश दिखाई देता है।
२० जून को अंतरराष्ट्रीय विस्थापन दिन था । जिहादी आतंकवाद के कारण 1989-1990 में कश्मिरी हिन्दुओं को अपनी भूमी छोडने पर मजबूर होना पडा था । आज भी वे अपने ही देश में विस्थापित जीवन जी रहे है । उन्हें न्याय दिलाने हेतु ट्विटर पर आज सुबह #KashmiriHinduLivesMatter यह हॅशटॅग से धर्मप्रेमियों ने ट्विट्स किए थे । किंतु इस हॅशटॅग पर जाने के बाद No Results for #KashmiriHinduLivesMatter ऐसा संदेश दिखाई दे रहा था । इससे धर्मप्रेमियों के मन में यह प्रश्न आता है कि, क्या ट्विटर ने हिन्दुओं की आवाज दबाने का प्रयास किया है ? क्या जानबूझकर ट्विटर ने ऐसा किया है ?
ट्विटर पर #BlackLivesMatter इस हॅशटॅग से किए सभी ट्विट्स दिखते है । वर्णभेद का विषय ट्विटर पर वायरल होता है । पर जब बात कश्मीरी हिन्दुओं की आती है, तो यही ट्विटर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है ।
जैक डोरसी और उनकी ट्विटर टीम वर्णभेद, LGBTQA जैसे उत्पीडित समुदायों के लिए अपना समर्थन दिखाने में काफी सक्रिय रही है । शायद उन्हें अत्याचारित कश्मीरी हिंदुओं का दर्द नहीं दिखा आैर वे उन्हें समर्थन देने का काबिल नहीं मानते ।
अपने मंच पर हिन्दू विषयों को दबानेवाला ट्विटर, स्वयं वामपंथी विचारधारा का समर्थक है और जो बातें हम नहीं मानते उनकी आवाज सक्रिय रूप से दबाते हैं, यह साबित करने के लिए उत्सुक हुआ है । एकतरफा रवैया को देखते हुए ट्विटर को इस दोगले रवैया पर आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है । साथ ही उनकी अलिखित नीति को फिर से बदलने की आवश्यकता है।