कट्टर इस्लामी संस्था का सवाल- जनता के पैसे से गैर-मुस्लिमों के लिए मंदिर क्यों ?
इससे यही सिद्ध होता है कि, पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिए कोई स्थान नहीं है ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
पाकिस्तान में हिंदुओं को अपने धर्म का अनुसरण करने की कितनी आजादी है- ये बात अब किसी से छिपी नहीं है। हाल में पाक की राजधानी इस्लामाबाद को लेकर खबर आई थी कि वहां पहला हिंदू मंदिर बनने जा रहा है।
इसके बाद मीडिया में चहुंओर इमरान सरकार की तारीफों के पुलिंदे बांध दिए गए। मगर, इस बीच यह भुला दिया गया कि उन कट्टरपंथियों के रहते ये कार्य संभव कैसे होगा? जिन्होंने पहले मंदिर की खबर सुनते ही इसका विरोध शुरू कर दिया।
बाद में सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ फतवे जारी किए, हिंदुओं को धमकियां दी और बात जब इतने से नहीं बनी, तो जिस जगह पर मंदिर बनना था, वहां जाकर खुलेआम अजान देने लगे।
जी हां। सोशल मीडिया पर इस समय एक वीडियो वायरल हो रही है। वीडियो में हम देख सकते हैं कि एक मुस्लिम युवक खुली जमीन पर खड़े होकर अजान दे रहा है। वहीं, उसके आस पास खड़े लोग उसकी वीडियो बना रहे हैं और उसे सुन रहे हैं। ट्विटर पर दावा किया जा रहा है कि ये भूमि वही जगह है जिसे हिंदू मंदिर के लिए आवंटित किया गया था।
کیا یہ بدمعاشی نہیں ہے کہ ایک جگہ جو حکومت نے مندر کے لیے قانونأ مختص کی ہے اس پر سینا زوری کرکے آذان پڑھ کے یہ بتانا چاہتے ہو کہ اب یہاں پر مندر نہیں بنے گا؟
یہی قصور ہے نا ہمارا کہ ہمارے آباؤ اجداد نے تقسیم ہند کے دوران اپنی دھرتی ماں سے وفا کی اور پاکستان کو وطن مانا! pic.twitter.com/wGNVlxjfI6
— Kapil Dev (@KDSindhi) July 6, 2020
कपिल देव नाम के यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए (ट्विटर के अनुवाद के अनुसार) लिखा है कि ये सब हमारे पूर्वजों की ही गलती है कि उन्होंने विभाजन के समय अपनी धरती के साथ वफादारी नहीं निभाई और पाकिस्तान को अपना घर मान लिया।
यहां बता दें कि इस वीडियो के अलावा इस्लामाबाद में हिंदू मंदिर की जमीन को लेकर कुछ अन्य वीडियोज भी सामने आई है। इनमें हम देख सकते हैं कि कैसे कुछ पाकिस्तानी कट्टरपंथी मंदिर के लिए रखी नींव को उजाड़ते दिख रहे हैं और एक-एक ईंट उठाकर फेंक रहे हैं।
— Kapil Dev (@KDSindhi) July 6, 2020
‘अगर मंदिर बना तो याद रखना… हिंदुओं को चुन-चुन कर मारूंगा’ – बच्चे ने दी धमकी, Video Viral
इसके अलावा एक अन्य वीडियो भी सोशल मीडिया में इस बीच वायरल हुई है। इस वीडियो में नजर आ रहा है कि एक युवक अपने बच्चों से हिंदुओं को मारने की धमकी दिलवा रहा है।
बच्चे को कहते सुना जा सकता है, “कान साफ! अगर इस्लामाबाद में मंदिर बना तो ये याद रखना मैं उन हिंदुओं को चुन-चुनकर मारूँगा। समझ गए? अल्लाह हाफिज।”
Pakistani father makes his son utter hatred towards Hindus and threatens violence if a Hindu Temple permitted in Islamabad. Check out the pride in the father’s eyes. Shocking.
pic.twitter.com/Myy6Kh0aB4— Tarek Fatah (@TarekFatah) July 7, 2020
इस्लामाबाद में श्रीकृष्ण मंदिर में मलिक शनी ने की तोड़फोड़, उसे ‘हीरो’ बता रहे पाकिस्तानी
July 5, 2020
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कट्टरपंथियों के दबाव में प्रशासन ने श्रीकृष्ण मंदिर के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। अब यहॉं तोड़फोड़ किए जाने की खबर आई है। इस हरकत को अंजाम देने वाला का नाम मलिक शनी अवन बताया जा रहा।
इस्लामाबाद के मुसलमान इस घटना के बाद उसे ‘हीरो’ की तरह पेश कर रहे। उसकी जम कर प्रशंसा की जा रही है।
सोशल मीडिया में पाकिस्तानी उसकी तारीफ कर रहे हैं, जिससे वहां पहले से ही डर के साए में जी रहे हिन्दुओं के लिए माहौल और ज्यादा असुरक्षित हो गया है। मलिक शनी ने न सिर्फ मंदिर की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया बल्कि ऐसा करते हुए वीडियो भी शूट किया।
इस वीडियो में वह कुछ लोगों के साथ मंदिर कंस्ट्रक्शन साइट पर जाकर दिखाता है कि काम रोक दिया गया है और वो इस पर ख़ुशी भी जताता है।
Islamabad Temple Construction site: VIDEO #3 pic.twitter.com/0PcCBrWHWa
— Prem Rathi #AreHindusLesserPakistani (@PremRathee) July 4, 2020
एक अन्य वीडियो में ये शख्स मंदिर के निर्माण के लिए खड़ी की गई दीवारों को तोड़ता हुआ दिखता है और साथ ही उसने ईंटों को भी उठा-उठा कर इधर-उधर फेंका। एक अन्य वीडियो में भी वो मंदिर में तोड़फोड़ मचाता दिख रहा है और बैकग्राउंड में ‘अल्लाह ने अपने बच्चों को तनहा नहीं छोड़ा’ गाना बज रहा है। इस व्यक्ति की इस हरकत के बाद पूरे पाकिस्तान में हिन्दू-विरोधी माहौल को और हवा मिल रही है।
पाकिस्तान में मुसलमान सोशल मीडिया पर ‘एक दूसरे से कह रहे हैं कि वे इस्लामाबाद स्थित निर्माणाधीन श्रीकृष्ण मंदिर वाले स्थल पर पहुँचें और मंदिर को ध्वस्त कर दें। कई लोग वीडियो बना कर भी ऐसी अपील कर रहे हैं।
इससे अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय डरा हुआ है। मौलाना इस मंदिर को लेकर पहले ही फतवा जारी कर चुके हैं।
His name is Malik Shani Awan. He proudly posted this incident on Facebook too. He has become a local hero after the sacrilege.https://t.co/UNPOCwreuM
— Soumyadipta (@Soumyadipta) July 5, 2020
वहीं अगर मलिक शनी अवन के बारे में बात करें तो उसके फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, वो पाकिस्तान में ’99 न्यूज़ HD प्लस’ में कार्यरत है। उसने अल्लामा इक़बाल ओपन यूनिवर्सिटी, इस्लामाबाद से पढ़ाई की है। उसने लिखा है कि वो फिलहाल पाकिस्तान के रावलपिंडी में रह रहा है। उसने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स कर गर्व से दावा भी किया कि उसने मंदिर में तोड़फोड़ मचाई है।
बता दें कि इस्लामी कट्टरपंथियों ने फतवा जारी करते हुए कहा था कि सरकार ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों की मरम्मत या जीर्णोद्धार के लिए सरकारी कोष से रुपए खर्च कर सकती है। सरकारी धनराशि का प्रयोग गैर-मुसलमानों के नए धार्मिक स्थलों के निर्माण में कतई नहीं किया जा सकता है।
इस्लामी कट्टरवादियों के विरोध के आगे झुकते हुए इस्लामाबाद में कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (CDA) ने शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को कानून का हवाला देते हुए कृष्णा मंदिर के निर्माण में बनने वाली चारदीवारी का कार्य रोक दिया था। पाकिस्तान सरकार ने अब मंदिर के संबंध में इस्लामिक आइडियॉलजी काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है। मजहबी मामलों के मंत्रालय ने नए मंदिर के निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
फतवे के आगे इमरान सरकार ने घुटने टेके, इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर के निर्माण पर लगाई रोक
पाकिस्तान के प्रताड़ित हिंदुओं ने जिस फतवा के आगे झुकने से इनकार कर दिया था, उसके सामने इमरान खान की सरकार ने घुटने टेक दिए हैं। इस्लामाबाद में कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (CDA) ने शुक्रवार (3 जुलाई, 2020) को कानून का हवाला देते हुए कृष्णा मंदिर के निर्माण में बनने वाली चारदीवारी का कार्य रोक दिया।
पाकिस्तान सरकार ने अब मंदिर के संबंध में इस्लामिक आइडियॉलजी काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है।ट्विटर के जरिए धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि वह केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों से संबंधित पूजा स्थलों को पुनर्निर्मित करने में मदद कर सकता है। नए मंदिर के निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
सीडीए के प्रवर्तन और भवन नियंत्रण विभागों की एक संयुक्त टीम शुक्रवार को एच-9/2 में मंदिर निर्माण स्थल पर पहुँची और श्रमिकों को निर्माण का काम रोकने का निर्देश दिया। सीडीए के प्रवक्ता मज़हर हुसैन ने कहा कि नागरिक प्राधिकरण के भवन नियंत्रण कानूनों ने स्पष्ट रूप से ये कहा कि जब तक इमारत के निर्माण के लिए मँजूरी नहीं मिल जाती तब तक इस जमीन पर कोई काम नहीं होगा।
सीडीए के प्रवर्तन विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि पहली बार इस क्लॉज़ को लागू किया है। वरना हमेशा अन्य लोगों को सीमा की दीवार का निर्माण करने की अनुमति दे दी जाती थी।
मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पंचायत इस्लामाबाद ने अब काम रोक दिया है और निर्माण शुरू करने की अनुमति लेने के लिए सोमवार को सीडीए से संपर्क करने का फैसला किया है।
पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स के संसदीय सचिव लाल चंद्र मल्ही ने कहा, “हम नियमों का पालन करते हैं, लेकिन बाउंड्री का निर्माण जरूरी है, क्यूंकि कुछ मदरसों से सम्बंधित लोगों ने 2018 में प्लॉट पर टेंट स्थापित कर दिया था और इस जगह को साफ करने के लिए हमें राजधानी प्रशासन की मदद पाने के लिए कई महीने लग गए थे।”
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल, 92 न्यूज एचडी प्लस ने हिंदू मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए इस्लामिक एजेंडे का हवाला दिया था।
कुछ मजहबी संस्थाओं ने बुधवार को मंदिर बनाने को लेकर सरकार की आलोचना की थी और इसे पाकिस्तानी विचारधारा के खिलाफ बताया था। उन्होंने इस मुद्दे को फ़ेडरल शरीअत कोर्ट ले जाने का फैसला भी किया था।
बता दें की इससे पहले पाकिस्तान में गंभीर धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले हिंदुओं ने साहसिक निर्णय लिते हुए इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर का निर्माण कार्य जारी रखने का फैसला किया था। इस्लामिक देश की राजधानी में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं ने 20,000 वर्गफुट में कृष्ण मंदिर बनाने का निश्चय किया था। यह जमीन उन्हें पाकिस्तान सरकार से आवंटित हुई थी।
इस फैसले के बाद कृष्ण मंदिर को लेकर कट्टरपंथियों की लगातार धमकियां मिल रही थी और इस्लामिक उलेमाओं से लेकर इस्लामिक नेता तक पाकिस्तान सरकार के इस फैसले के विरोध में आवाज बुलंद कर रहे थे।
पिछले दिनों इस संबंध में इस्लामी शिक्षा देने वाले संस्थान जामिया अशर्फिया के मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा था कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता। इसी संस्था ने मंदिर निर्माण को लेकर फतवा जारी करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) के लिए सरकारी धन से मंदिर निर्माण कई सवाल खड़े कर रहा है।
इस फतवे के अलावा इस्लामाबाद हाई कोर्ट में मंदिर निर्माण को लेकर एक याचिका भी डाली गई थी। याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह योजना राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद के लिए तैयार मास्टर प्लान के तहत नहीं आती है।
याचिका में आग्रह किया गया था कि इस्लामाबाद के सेक्टर एच 9 में मंदिर निर्माण के लिए आवंटित भूमि को वापस लिया जाना चाहिए और मंदिर के लिए निर्माण धन भी वापस लेना चाहिए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (सीडीए) को नोटिस जारी किया था।
गौरतलब हो कि वैसे तो श्रीकृष्ण मंदिर इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर होगा। लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पहले वहां दो और मंदिर थे। उनमें से एक को टूरिस्ट प्लेस बना दिया गया और दूसरा मुकदमेबाजी के चलते बंद पड़ा है।
अब इस श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण इस्लामाबाद के H-9 क्षेत्र में 20,000 वर्गफुट में किया जा रहा था। मंगलवार को मल्ही ने ही इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। नींव रखे जाने के इस कार्यक्रम के दौरान वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मल्ही ने जानकारी दी थी कि भारत और पाकिस्तान की आज़ादी से पहले इस्लामाबाद और उससे सटे हुए क्षेत्रों में कई हिंदू मंदिर हुआ करते थे।
इनमें सैदपुर गाँव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। हालाँकि, उन्होंने बताया कि इन मंदिरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया और कभी इस्तेमाल नहीं किया गया। वो पड़े रहे और प्रयोग में आए ही नहीं।
पाकिस्तानी नेता ने इस्लामाबाद में हिन्दू मंदिर निर्माण के विरूद्ध निकाला फतवा, बताया इस्लाम की भावनाओं के खिलाफ
इस्लामाबाद : पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष और इमरान खान सरकार के सहयोगी चौधरी परवेज इलाही ने इस्लामाबाद में हिंदू मंदिर के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए इसे इस्लाम की भावना के खिलाफ बताया है।
एक वीडियो साक्षात्कार में, उन्होंने मंदिर बनाने का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह न केवल इस्लाम की भावना के खिलाफ है बल्कि ‘मदीना’ का भी अपमान है। पंजाब विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि मक्का की जीत के बाद, हज़रत मुहम्मद ने हजरत अली के साथ बैतुल्लाह शरीफ में 360 मूर्तियां तोडी थीं और कहा था कि सच्चाई सामने आ गई है और झूठ गायब हो गया है।
Construction of a Hindu temple in Islamabad is getting a lot of heat. A lawyer has challenged its construction in IHC, while fatwas against it continue. Here's an ally of govt Pervaiz Elahi opposing construction: Making a new mandir in the capital is against the spirit of Islam. pic.twitter.com/ZV2nwVXvbx
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) July 1, 2020
उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बनाया गया था और राजधानी में एक और हिंदू मंदिर का निर्माण इस्लाम की आत्मा के खिलाफ है’। वैसे मंदिर का विरोध करने वालों में चौधरी अकेले नहीं हैं। इससे पहले 30 जून को एक वकील ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में मंदिर बनाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की स्थापना के 73 वर्षों के बाद 24 जून को यहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को राजधानी इस्लामाबाद में पहले मंदिर के निर्माण की खबर मिली थी। यदि मंदिर बन जाता है तो उन्हें पूजा के लिए शहर के बाहर नहीं जाना होगा। कृष्ण मंदिर राजधानी के एच-9 इलाके में 20,000 वर्ग फुट के प्लॉट पर बनाया जाएगा, इसके निर्माण पर 10 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। मानवाधिकारों पर संसदीय सचिव लाल चंद माल्ही ने मंदिर का शिलान्यास किया था। उन्होंने एक बयान में कहा था कि इस्लामाबाद और आसपास के इलाकों में 1947 से पहले के मंदिरों के कई ढांचे हैं, लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया है और इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
स्त्रोत : जी न्यूज