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सिर्फ भारत नहीं, इन 20 देशों के साथ भी है चीन का जमीन को लेकर विवाद, डोनाल्ड ट्रम्प ने साधा निशाना

भारत-चीन सीमा विवाद मामले में अमेरिका ने खुले तौर पर अब भारत का समर्थन किया है। यूएस स्टेट सेक्रेट्री माइक पोम्पियो ने तो चीनी आक्रामकता का जवाब देने के लिए एशिया में न सिर्फ अपनी सेना की तैनाती बढ़ाने की चेतावनी दी है, बल्कि वहाँ कई सीनेटरों ने भारत के पक्ष में बिल प्रस्तुत किया है।

इसी कड़ी में गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से सीमा विवाद को लेकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा पर चीन का आक्रामक रुख दुनिया के अन्य हिस्सों में चीनी आक्रामकता के पैटर्न के साथ फिट बैठता है। ये कारनामें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की वास्तविक प्रकृति की पुष्टि करती है।

उल्लेखनीय है कि यहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के साथ विवाद में चीन के जिस पैटर्न का उल्लेख किया है। उसके संबंध में बीजिंग वाचर्स में भी चर्चा है। बीजिंग वाचर्स के मुताबिक, चीन पारंपरिक रूप से विदेशियों के खिलाफ ज़ेनोफोबिया से पीड़ित है। अब चूँकि मध्य साम्राज्य की आशंकाएँ पिछली दो शताब्दियों में समाप्त हो गई थीं, उसी के परिणामस्वरूप चीन का मानना रहा कि वह दुनिया की एकमात्र सभ्यता शक्ति है और बाकी या तो सहायक राज्य या बर्बर हैं।

चीन के ऐसे रवैये के कारण उसके जमीनों और समुद्रों को लेकर पूरे 20 अन्य पड़ोसी देशों (भारत छोड़कर) से भी विवाद हैं। आज उन्हीं देशों व उनसे जुड़े विवादों पर हम आपका ध्यान आकर्षित करवा रहे हैं।

चीन- ब्रुनेई : स्प्रैटली नाम के द्वीप समूह के दक्षिणी भाग के लिए चीन अपना दावा करता है। वहीं दूसरी ओर, ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर के हिस्से को अपने महाद्वीपीय शेल्फ और विशेष आर्थिक क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है।

चीन-फिलीपींस: चीन और फिलीपींस के बीच दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों पर आपसी विवाद है। जिनमें स्प्रैटली द्वीप समूह भी शामिल है। फिलीपींस इस विवाद को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जा चुका है, जहाँ उन्होंने केस भी जीता लेकिन चीनी पक्ष ने फिर आईसीजे के आदेश का पालन नहीं किया। चीन द्वारा दिए गए आर्थिक प्रोत्साहन के बावजूद दोनों देशों के बीच तनाव जारी है।

चीन- इंडोनेशिया: इंडोनेशिया से चीन का विवाद नटूना सी यानी दक्षिण चीन सागर के उत्तरी क्षेत्र को लेकर भी है। चीन द्वीपों के पास पानी में मछली पकड़ने के अधिकार का दावा करता है। लेकिन इंडोनेशिया सरकार का तर्क है कि 1982 के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत चीन के दावों को मान्यता नहीं दी जाती है।

चीन-मलेशिया: मलेशिया के साथ चीन विवाद भी चीन सागर के दक्षिणी हिस्सों खासकर स्प्रैटली द्वीप को लेकर ही है। मलेशिया में तीन द्वीपों पर सेना की तैनाती है क्योंकि वह इसे महाद्वीपीय शेल्फ का हिस्सा मानते हैं।

चीन-सिंगापुर: वैसे सिंगापुर दक्षिण चीन सागर विवादों में कोई दावेदार राष्ट्र नहीं है, लेकिन वह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ करीबी से जुड़ा हुआ है और अपने पानी में अमेरिकी नौसेना बलों की उपस्थिति को अनुमति देता है।

लाओस-चीन: चीन 1271-1368 के दौरान चीन के युआन राजवंश के ऐतिहासिक मिसाल देकर लाओस के बड़े क्षेत्रों का दावा करता है।

कंबोडिया-चीन: चीन समय-समय पर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (1368 से 1644 में चीन के मिग राजवंश) का हवाला देकर कंबोडिया देश के कई हिस्सों पर दावा करता है।

थाईलैंड-चीन: थाईलैंड अपने भू-भाग वाले युन्नान प्रांत से थाईलैंड, लाओस और शेष दक्षिण पूर्व एशिया में बंदरगाहों तक माल ले जाने के लिए 2001 से मेकांग नदी पर चीन का विरोध करता है। खबरों के अनुसार, चीन ने वहाँ मेकांग नदी पर हाइड्रोपावर बाँध बना लिए हैं।

जापान-चीन: जापान का विवाद चीन के साथ पूर्वी चीन सागर में मुख्यत: सेनकाकू द्वीप, रयूकी द्वीप को लेकर है।

वियतनाम-चीन: चीन की विस्तारवादी नीति के चलते उसका वियतनाम से भी विवाद चल रहा है। दोनों देशों के बीच 1979 में युद्ध भी हो चुका है। राजनयिक संबंधों के बावजूद चीन और वियतनाम में समुद्री क्षेत्र को लेकर काफी लंबे वक्त से विवाद है।

नेपाल-चीन: नेपाल और चीन के पास दोलखा में माउंट एवरेस्ट के आसपास के क्षेत्र में सीमा मुद्दे लंबित हैं। हालाँकि, ऐसी खबरें हैं कि चीन ने नेपाल के 12 स्थानों पर रणनीतिक रूप से अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।

ताइवान-चीन: वैसे तो चीन पूरे ताइवान पर ही अपना दावा करता है। लेकिन विशेष रूप से ताइवान का विवाद मैकलेसफील्ड बैंक, पेरासेल द्वीप, स्कारबोरो शोल, दक्षिणी चीन सागर व स्प्रैटली द्वीप को लेकर है।

नॉर्थ कोरिया-चीन: दोनों देशों के बीच माउंट पेकतु और यलू और तुमान नदियों पर विवाद जारी है। चीन ने बाखू पर्वत और जियानडाओ पर भी दावा किया है।

साउथ कोरिया-चीन: साउथ कोरिया और चीन के मध्य विवाद पूर्वी चीन सागर में लेओडो (सोकोट्रा रॉक) को लेकर है।

मंगोलिया-चीन : वैसे मंगोलिया और चीन के बीच का सीमा विवाद अब सुलझ चुका है। लेकिन ऐतिहासिक संदर्भ (युआन राजवंश 1271-1368) में चीन मंगोलिया पर दावा करता है।

भूटान-चीन विवाद: चीन ने हाल ही में भूटान (Bhutan) की एक नई जमीन पर अपना दावा ठोका है। ग्लोबल इन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल की 58वीं बैठक के दौरान बीजिंग ने भूटान के सकतेंग वनजीव अभयारण्य (Sakteng Wildlife Sanctuary) की जमीन को विवादित बताते हुए इसकी फंडिंग का विरोध किया। हालाँकि, भूटान ने चीन की इस चाल पर कड़ा विरोध जताया है। उसका कहना है कि अभयारण्य की जमीन हमेशा से उसकी थी और आगे भी रहेगी।

ताजिकिस्तान-चीन: साल 1884 में दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय विवाद हुआ था। उस समय किंग राजवंश और ज़ारिस्ट रूस के बीच सीमा सीमांकन समझौते ने स्पष्ट परिभाषा के बिना आबादी वाले पूर्वी पामीर में सीमा के बड़े क्षेत्रों को छोड़ दिया था। अब चीन इसपर अपना दावा बताता है।

कजाकिस्तान-चीन : चीन ने कजाकिस्तान के एक क्षेत्र में सेमीराइची से लेकर बाल्ख्श झील तक 34,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करने का दावा किया है। मई 2020 में, एक चीनी वेबसाइट ‘Sohu.com’ ने एक लेख प्रकाशित किया जिसमें दावा किया गया कि कजाकिस्तान उन क्षेत्रों पर स्थित है जो ऐतिहासिक रूप से चीन से संबंधित हैं।

किर्गिस्तान-चीन: चीन पूरे किर्गिस्तान क्षेत्र पर दावा करता है। मई 2020 में, चीनी वेबसाइट tutiao.com ने इस तरह के दावे पर एक लेख प्रकाशित किया और तर्क दिया कि हान राजवंश के तहत, रूसी साम्राज्य द्वारा कब्जा करने से पहले पूरा किर्गिज़ क्षेत्र चीनी मुख्य भूमि का हिस्सा था।

रूस-चीन: 1991 और 1994 में द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बावजूद रूस-चीन के बीच कुछ मामले काफी विवादस्पद है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बावजूद चीन द्वारा 160,000 वर्ग किमी अभी भी एकतरफा दावा किया जाता है।

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